By पं. सुव्रत शर्मा
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के चार पाद, उनके गुण, चुनौतियाँ और उदाहरण
सिंह राशि के 13°20' से 26°40' अंश तक फैला पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र जीवन में आनंद, सृजनात्मकता, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक है। इसका स्वामी शुक्र है और अधिष्ठाता देवता भग माने जाते हैं जो वैभव और सौभाग्य प्रदान करते हैं। इस नक्षत्र के चार पाद हैं और हर पाद जन्मजात व्यक्तित्व को अलग ढंग से प्रभावित करता है।
नहीं। यह नक्षत्र व्यक्ति को प्रेम और विलासिता की ओर तो प्रेरित करता ही है, साथ ही साहस, महत्वाकांक्षा और परिश्रम का भी भाव जगाता है। चारों पाद जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न प्रभाव छोड़ते हैं।
पाद | डिग्री | स्वामी ग्रह | गुण | चुनौतियाँ |
---|---|---|---|---|
पहला | 13°20' - 16°40' | सूर्य | साहस, नेतृत्व, आत्मविश्वास | आत्मकेन्द्रित, अधीर |
दूसरा | 16°40' - 20°00' | बुध | मेहनती, व्यावहारिक, वित्तीय सफलता | हठी, भौतिकवादी |
तीसरा | 20°00' - 23°20' | शुक्र | कलात्मक, आकर्षक, रोमांटिक | भोगी, अनुशासनहीन |
चौथा | 23°20' - 26°40' | मंगल | भावनात्मक, करुणामय, निष्ठावान | संवेदनशील, भावुक |
1. पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र का स्वामी कौन है?
इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है और अधिष्ठाता देवता भग हैं।
2. पहला पाद किस क्षेत्र में सफल बनाता है?
पहला पाद नेतृत्व और समाज में पहचान बनाने की क्षमता देता है।
3. क्या दूसरा पाद भौतिकवाद से जुड़ा है?
हाँ, दूसरा पाद भौतिक सुख और वित्तीय स्थिरता पर केंद्रित होता है।
4. कौन सा पाद कला और सौंदर्य से जुड़ा है?
तीसरा पाद शुक्र के प्रभाव से कलात्मक प्रतिभा और सौंदर्यबोध प्रदान करता है।
5. चौथे पाद की सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
भावनात्मक संवेदनशीलता और अस्थिरता इसकी प्रमुख चुनौतियाँ हैं।
अनुभव: 27
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