By पं. अभिषेक शर्मा
वैदिक ज्योतिष में चंद्र राशि आपके स्वभाव और मनोभाव का वास्तविक परिचय कराती है।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में चंद्र राशि को व्यक्ति की वास्तविक राशि माना गया है। जन्म के समय लग्न कुंडली में चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है, वही आपकी चंद्र राशि कहलाती है। चंद्रमा मन और भावनाओं का प्रतीक ग्रह है, इसलिए आपकी सोच, भावनाएं, स्वभाव और व्यक्तित्व का सीधा संबंध आपकी चंद्र राशि से होता है।
बहुत से लोग अपनी सूर्य राशि को ही राशि मान लेते हैं, जबकि वैदिक परंपरा में चंद्र राशि का महत्व अधिक है।
उदाहरण:
यदि किसी व्यक्ति का जन्म 1 जनवरी को हुआ है, तो सूर्य उस समय धनु राशि में हो सकता है, लेकिन उसकी कुंडली में यदि चंद्रमा कर्क राशि में है, तो उसकी चंद्र राशि कर्क होगी।
अपनी चंद्र राशि जानने के लिए जन्म कुंडली देखी जाती है।
उदाहरण तालिका:
कुंडली में चंद्रमा की स्थिति | चंद्र राशि |
---|---|
4 अंक लिखा हो | कर्क राशि |
5 अंक लिखा हो | सिंह राशि |
7 अंक लिखा हो | तुला राशि |
चंद्रमा हर ढाई दिन में राशि बदल लेता है, इसलिए चंद्र राशि सूर्य राशि की तुलना में अधिक व्यक्तिगत और सटीक मानी जाती है।
चंद्र राशि के आधार पर व्यक्ति के जीवन की अनेक बातें समझी जा सकती हैं:
गुण मिलान की प्रक्रिया में वर और वधु की चंद्र राशियां अवश्य देखी जाती हैं।
जन्म के समय लग्न कुंडली में चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है, वही चंद्र राशि कहलाती है।
क्योंकि यह आपके व्यक्तित्व, मनोभाव और स्वभाव को सही रूप से दर्शाती है।
सूर्य राशि इच्छाओं का परिचय देती है, जबकि चंद्र राशि भावनाओं और स्वभाव का।
क्योंकि यह वर-वधु के आपसी सामंजस्य और दाम्पत्य सुख का संकेत देती है।
वैदिक परंपरा में शिशु का नाम चंद्र राशि और नक्षत्र देखकर रखा जाता है।
अनुभव: 19
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