By अपर्णा पाटनी
जानें शिव आरती का भाव, लाभ और कैसे यह भक्त को आत्मिक शांति व शिव कृपा प्रदान करती है
भगवान शिव की आरती न केवल एक भक्ति गीत है, बल्कि यह शिव तत्व, उनकी महिमा, शक्ति, करुणा और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का साक्षात् अनुभव है। आरती का अर्थ है-दीप, भक्ति और स्वर के माध्यम से ईश्वर की आराधना। वैदिक परंपरा में आरती को पूजा का सबसे पवित्र और पूर्ण अंग माना गया है, क्योंकि इसमें साधक अपनी आत्मा, मन और कर्म तीनों से भगवान का स्मरण करता है। शिव आरती का पाठ करने से साधक को न केवल मानसिक शांति, बल्कि आध्यात्मिक जागरण, ग्रह दोष शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥
हे शिव! आप ओंकार स्वरूप हैं, आपको बार-बार प्रणाम है। आप ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में प्रकट होते हैं और माता पार्वती सदा आपके साथ रहती हैं। आप एक मुख, चार मुख और पांच मुख वाले रूपों में विराजमान हैं। आप हंस, गरुड़ और वृषभ (नंदी) पर विराजते हैं, जो सृष्टि, पालन और संहार के प्रतीक हैं।
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी॥
आपके दो, चार और दस भुजाओं वाले रूप अत्यंत सुंदर हैं। आप सत्व, रज और तम-तीनों गुणों के स्वरूप हैं, और तीनों लोकों के लोग आपके इन अद्भुत रूपों को देखकर मोहित हो जाते हैं। आप रुद्राक्ष, वनमाला और मुंडमाला धारण करते हैं। आपके मस्तक पर चंदन, कस्तूरी और चंद्रमा शोभायमान हैं।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥
आप कभी सफेद, कभी पीले वस्त्र और कभी बाघ की खाल धारण करते हैं। आपके साथ सनकादिक ऋषि, गरुड़ और भूत-गण भी रहते हैं। आप अपने हाथों में कमंडल, चक्र और त्रिशूल धारण करते हैं। आप ही सृष्टि के कर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता हैं।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥
ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों आपके ही रूप हैं, वे आपके स्वरूप का पूर्ण ज्ञान नहीं पा सकते। आप काशी में विश्वनाथ रूप में विराजमान हैं, नंदी आपकी सेवा में रहते हैं। जो भी श्रद्धा से आपकी आरती गाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शिव आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार, श्रद्धा का दीप और शिव कृपा का साक्षात् अनुभव है। यह आरती हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति, सेवा और समर्पण से भगवान शिव हर संकट, भय और कष्ट को दूर कर साधक के जीवन में दिव्यता, शांति और आनंद का संचार करते हैं। आरती का हर शब्द, हर स्वर, मनुष्य को शिव तत्व से जोड़ता है-जहां अहंकार, भय और मोह का अंत होता है और केवल शिवमय शांति शेष रह जाती है।
भगवान शिव की आरती का पाठ श्रद्धा, नियम और भक्ति से करने पर साधक को शिव कृपा, आत्मिक शांति, सुख-समृद्धि और मोक्ष का मार्ग मिलता है। यह आरती हर शिव भक्त के लिए शक्ति, धैर्य और सकारात्मकता का स्रोत है। हर सोमवार, प्रदोष व्रत या शिवरात्रि के दिन शिव आरती अवश्य करें-शिव कृपा आपके जीवन को मंगलमय बनाए।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, मुहूर्त
इनके क्लाइंट: म.प्र., दि.
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