By पं. नीलेश शर्मा
जन्मकुंडली, कर्म और भविष्यवाणी की सूक्ष्म यात्रा
जातक शास्त्र भारतीय ज्योतिष का वह हिस्सा है जो मनुष्य के जीवन में घटने वाली घटनाओं, उसके स्वभाव, भाग्य और कर्मों का विश्लेषण करता है। यह शास्त्र केवल भविष्यवाणी नहीं करता, बल्कि यह बताता है कि व्यक्ति ने पूर्वजन्म में कौन-से कर्म किए और उनका फल इस जन्म में कैसे प्रकट हो रहा है।
जातक शास्त्र, जिसे होरा शास्त्र भी कहा जाता है, भारतीय ज्योतिष की एक मुख्य शाखा है जो जन्म समय की ग्रह-नक्षत्र स्थिति के आधार पर मनुष्य के जीवन की दिशा निर्धारित करती है। यह शास्त्र कहता है कि हर व्यक्ति का जन्म एक विशेष घड़ी में होता है, जो उसके भाग्य की रूपरेखा लेकर आती है।
वराहमिहिर के अनुसार:
"यदुपचितमन्यजन्मनि शुभाशुभं तस्य कर्मणः पंक्तिः ।
_ व्यञ्जयति शास्त्रमेतत्तमसि द्रव्याणि दीप इव ॥"_
-- बृहत्जातक
जिस प्रकार अंधकार में दीपक वस्तुओं को प्रकाशित करता है, वैसे ही यह शास्त्र मनुष्य के अदृश्य कर्मों को प्रकट करता है।
‘होरा’ शब्द संस्कृत के ‘अहोरात्र’ (अह: दिन, रात्रि: रात) से बना है। इसमें ‘अ’ और ‘त्र’ के लोप से 'होरा' शब्द बनता है। यह शब्दकाल-निर्धारण और ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
सारावली में उल्लेख है:
"आद्यन्तवर्णलोपाद् होराशास्त्रं भवत्यहोरात्रात्।"
-- सारावली
यह शास्त्र दिन-रात्रि के बारीक विभाजन से व्यक्ति के जन्मकाल को चिन्हित करता है और उससे जीवन की घटनाओं का विश्लेषण करता है।
जातक शास्त्र किसी मनुष्य के स्वभाव, स्वास्थ्य, शिक्षा, विवाह, संतान, धन, आयु, व्यवहार और मृत्यु तक की भविष्यवाणी करने में सक्षम है। यह न केवल वर्तमान जीवन, बल्कि पूर्व जन्म के कर्मों की कहानी भी उजागर करता है।
यह शास्त्र भाग्यवादी दृष्टिकोण नहीं देता, बल्कि यह बताता है कि आज की परिस्थिति, हमारे कल के कर्मों की देन है। यानी यह हमें कर्मशील बनने की प्रेरणा देता है, न कि मात्र नियति के भरोसे बैठने की।
जातक शास्त्र के अंतर्गत अनेक उपशाखाएं आती हैं:
यह ग्रंथ फलित ज्योतिष का स्तंभ माना जाता है। इसमें 28 अध्यायों में सभी प्रमुख विषयों जैसे जन्मलग्न, ग्रहबल, योग, दशा, स्त्रीजातक, स्वप्न, मृत्यु आदि को व्यवस्थित रूप में वर्णित किया गया है।
इसमें जातक शास्त्र के गूढ़ विषयों को अत्यंत सरल शैली में समझाया गया है। विशेषकर योग विचार, भावफल और ग्रहों के फलित को लेकर यह ग्रंथ अति महत्त्वपूर्ण है।
यह ग्रंथ व्यावहारिक दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है। जातक के जीवन में किस ग्रह की दशा कैसे फल देती है, इसे अत्यंत स्पष्ट रूप से बताया गया है।
"यदि कोई गणित का विशेषज्ञ हो किंतु फलित ज्योतिष में अज्ञानी हो, तो वह सभा में हँसी का पात्र बनता है।"
-- जातक रत्नमाला
इस कथन से स्पष्ट है कि फलित ज्योतिष, यानी जातक शास्त्र, न केवल गणना पर आधारित है बल्कि मानव जीवन की सूक्ष्म समझ के लिए भी आवश्यक है।
आज के युग में लोग विज्ञान की कसौटी पर हर बात को परखते हैं, किंतु जब जीवन में अव्यक्त और अनपेक्षित घटनाएँ घटती हैं, तब वही व्यक्ति ज्योतिष शास्त्र की शरण में आता है। जातक शास्त्र केवल भविष्यवाणी का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मबोध का विज्ञान है। यह हमें स्वयं को, अपने कर्मों को और अपने जीवन की यात्रा को गहराई से समझने का अवसर देता है।
जातक शास्त्र केवल ज्योतिष का एक अंग नहीं, यह मनुष्य जीवन की सूक्ष्मतम गहराइयों को उजागर करने वाला विज्ञान है। यह हमें सिखाता है कि जीवन की हर घटना किसी पूर्वकृत कर्म का परिणाम है और उस ज्ञान के माध्यम से हम अपने वर्तमान को समझते हुए भविष्य को दिशा दे सकते हैं। यह शास्त्र शंका नहीं, स्पष्टता देता है; भ्रम नहीं, बोध देता है।
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