By पं. अभिषेक शर्मा
रहस्य, लक्षण, जीवन की कहानी, उपाय, सफलता-असफलता, FAQs

भारतीय ज्योतिष में ग्रहण दोष को सबसे कठिन और रहस्यमय दोषों में गिना गया है। केवल पंडित या ज्योतिषी ही नहीं, आम लोग भी अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य के जीवन में आश्चर्यजनक बाधाओं, संघर्षों और सफलताओं की कमी का कारण इसी दोष को मानते हैं।
यह दोष कभी अचानक भाग्य में रुकावट, नौकरी या कारोबार में विशेष रोक, कई बार रिश्तों में फासला, या बार-बार अप्रत्याशित बीमारियों के साथ सामने आता है।
घर की दादी या बड़े बुजुर्गों ने अनगिनत बच्चियों को सिर से दूध उतारकर मंदिर या नदी में बहाया, कई बार तो ग्रहणकाल में मांगलिक कार्य रुकवा दिए-इसके पीछे डर नहीं बल्कि एक पूरी पीढ़ी की पहचानी हुई सच्चाई थी कि ग्रहण दोष को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
किसी भी कुंडली में जब सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु या केतु बैठे हों, या उनका युति-संबंध हो, तो ग्रहण दोष बनता है। यदि बच्चा सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय जन्मा हो, तो भी इसे ग्रहण दोष माना जाता है।
राहु-केतु राक्षसी प्रकृति के हैं और सूर्य-चंद्र को गला देते हैं, इससे जीवनीशक्ति, मनोबल, आत्मविश्वास व जीविका बार-बार कमजोर हो सकती है। सबसे खास असर उस भाव पर पड़ता है, जहाँ यह ग्रहण-दोष या योग बन रहा हो।
| दोष/योग | भाव/स्थिति | असर/प्रभाव |
|---|---|---|
| सूर्य-राहु/केतु | आत्म, परिवार, पिता | आत्मविश्वास गिरना, पिता से विवाद, धन हानि |
| चंद्र-राहु/केतु | मन, माँ, सुख | चिंता, अवसाद, भावनात्मक, स्वास्थ संकट |
| ग्रहण 2, 4, 5 | धन, सुख, विद्या | शिक्षा, करियर, संपत्ति में हानि, खर्च |
| ग्रहण 7, 10, 11 | संबंध, करियर | शादी, व्यवसाय, आय-व्यय में रुकावट |
| क्षेत्र | विशाल असर |
|---|---|
| मन, आत्मा | डर, अवसाद, खुद पर अविश्वास, अकेलापन, उलझन |
| आर्थिक | धन हानि, कर्ज, काम का बिगड़ना, अस्थिरता |
| परिवार | रिश्तों में खटास, कहीं ना कहीं तनाव |
| स्वास्थ्य | बार-बार बुखार, लंबी बीमारी, उपचार में बाधा |
| करियर/शिक्षा | प्रमोशन में रुकावट, शिक्षा में बार-बार बाधाएं |
एक गाँव के परिवार की तीसरी बेटी शिशु से ही बीमार रहने लगी। डॉक्टरों ने इलाज किया, लेकिन जब उससे भी कुछ हल नहीं हुआ, ज्योतिषी बुलाया गया। चंद्र-केतु का ग्रहण दोष निकला। नौ सोमवार दूध-चावल मंदिर, गाय को खिलाए गए, शिव को जल अर्पित किया गया। सालभर में बच्ची की तबियत अच्छी हो गई।
एक शिक्षक ने परिश्रम किया लेकिन आय हमेशा असंतुलित, नौकरी में अस्थिरता, बच्चों की पढ़ाई में विघ्न। कुंडली में सूर्य-राहु का दोष था। हर रविवार सूर्योदय पर गायत्री मंत्र, सूर्य को जल, ब्राह्मण को गुड़ दान शुरू किया। छह महीने में नौकरी स्थिर, परिवार की तरक्की शुरू।
दिल्ली की रमा के करियर में, बार-बार इंटरव्यू में रिजेक्ट, शादी टूटना, बार-बार रिश्तों में दर्द। कुंडली में ग्रहण दोष, उपाय-शिव पूजा, सोमवार उपवास, हर पूर्णिमा को दान, गायत्री मंत्र-जीवन में धैर्य, आत्म-बल और नई सोच वापिस आई।
| उपाय | लाभ |
|---|---|
| मंत्र जाप | आत्मबल, मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा |
| दान | ग्रह दोष का शमन, कर्म वृद्धि |
| रुद्राभिषेक/हवन | दीर्घकालिक रोग/निर्णय समस्या हल |
| रोज शक्ति पूजा | परिवार में शांति, स्वास्थ्य प्रबल |
मन, निर्णय, स्वास्थ्य, परिवार, धन।
समय, दशा और उपाय से दोष शिथिल होता है, पूरी तरह खुद नहीं जाता।
भय, संकोच, आलस्य छोड़कर चेतना बनाएँ और नियमित पूजा, उपवास, दान प्रारम्भ करें।
महामृत्युंजय जाप, सूर्य/चंद्र पूजा, नियमपूर्वक दान, जीवनशैली में अनुशासन।
कभी-कभी, सतत प्रयास और शुभ ग्रहों के जुड़ाव से बाधाएं महान क्रांति, सफलता और सीख बन सकती हैं।
ग्रहण दोष का भय व्यक्ति को भीतर मजबूत, जागरूक, अनुशासित और संकल्पित बनाता है। जो व्यक्ति कर्म, सेवा, उपासना, दान की राह पकड़े, वह सबसे बड़े दोष को भी अवसर में बदल सकता है। हर कुंडली में ग्रहण दोष का संदेश यही है-करें, जागें, सीखें और आगे बढ़ें।

अनुभव: 19
इनसे पूछें: विवाह, संबंध, करियर
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि., ओडि, उ.प्र.
इस लेख को परिवार और मित्रों के साथ साझा करें