By पं. अभिषेक शर्मा
लक्षण, प्रभाव, उपाय, मंत्र, कर्म, FAQs

वैदिक ज्योतिष में शनि को सबसे निर्णायक, परखने वाले और परिवर्तनशील ग्रहों में गिना गया है। शनि जिस तरह धीरे-धीरे हर राशि में चलता है, वैसे ही इंसान के जीवन का हर क्षेत्र-करियर, स्वास्थ्य, संबंध, सम्मान, धन-कहीं न कहीं शनि की दशा और दृष्टि से प्रभावित होता है। शनि दोष तभी बनता है जब यह ग्रह व्यापार, करियर, पारिवारिक संगति और व्यक्तिगत प्रयासों को निरंतर बाधित करने लगे-या कुंडली में पाप ग्रहों के साथ बैठा हो, शत्रु राशि, वक्री या अस्त हो, अथवा महादशा में प्रतिकूल योगदान करता हो। शनि के बारे में एक आम धारणा है कि यह केवल पीड़ा देता है, पर यह ग्रह 'कर्म का नियामक' भी है-साधना, मेहनत और अनुशासन से जीवन बदल सकता है।
| कारण | शनि दोष बनने का संकेत |
|---|---|
| भाव विशेष में निर्बल शनि | चौथा, सप्तम, दशम, द्वादश भाव |
| पाप ग्रहों के साथ युति | मंगल, राहु, केतु, चंद्र |
| वक्री/अस्त शनि | हर भाव, खासकर लग्न व चंद्र से संबंध |
| मेहनत/न्यायहीनता | जीवन में बार-बार असफलता, स्वास्थ्य व संपत्ति संकट |
| क्षेत्र | लक्षण / दिक्कत |
|---|---|
| करियर | जिम्मेदारियाँ बदलना, व्यावसायिक संकट, प्रमोशन अभाव |
| धन | आमदनी का रुकना, बेवजह खर्च, परिवार पर बोझ |
| स्वास्थ्य | लंबे समय की बीमारी, खासकर हड्डियां, घुटने, त्वचा |
| संबंध | जीवनसाथी, परिवार, मित्रों में टकराव, बदनामी |
| मनोदशा | नकारात्मकता, चिंता, जिम्मेदारी से बचना, विफल सपने |
शास्त्रों में शनि को यम का, कर्म का एवं दंड का उप-रक्षक कहा गया है।
ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति न्याय और कर्तव्य से मुंह मोड़ता है, उसके जीवन में शनि बाधाएं और रुकावटें लाता है।
शनि केवल पीड़ा ही नहीं देता-यह व्यक्ति को अपनी सीमाओं से ऊपर उठने, नए गुण सीखने, धैर्य, मेहनत, अनुशासन और वास्तविक सेवा के लिए प्रेरित करता है।
पुराणों के अनुसार, शनि की दशा में व्यक्ति को अपनी गलतियों और दोषपूर्ण सोच का सामना अवश्य करना पड़ता है, ताकि वह जीवन में नया बदलाव ला सके।
शनि दोष की पुष्टि के लिए कुंडली के भाव, गोचर, दशा, नवांश, नक्षत्र, अशुभ ग्रहों के प्रभाव और जातक की जीवनशैली को मिलाकर देखना चाहिए।
कई बार नक्षत्रों के संयोग (विशाखा, अनुराधा, शतभिषा) या खास कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, कुम्भ राशि में शनि की विशेष स्थिति दोष की ताकत बढ़ा सकती है।
| योग / स्थिति | चरम असर |
|---|---|
| साढ़ेसाती | बड़ा रिश्तों, धन, करियर का उथल-पुथल |
| ढैया | व्यक्तिगत संघर्ष, परिवार की समस्या |
| नवग्रह शनि दोष | संपूर्ण जीवन में असंतुलन, कमजोरी |
दृश्य रूप में करियर, परिवार, धन व कर्म पर।
गहरे मनोवैज्ञानिक स्तर पर आत्मविश्वास, सोच और मानसिक ऊर्जा पर भी असर डालता है।
हाँ। शनि जीवन में आत्मावलोकन, परिश्रम, संयम और उपासना के साथ बदलाव देता है।
नहीं। शुभ दशा-कर्म, गुरु दृष्टि, सत्संग और सही उपाय वाला व्यक्ति इसी काल में जबरदस्त उपलब्धि भी कर सकता है।
ज्योतिषीय परीक्षण और दशा देखकर ही; बिना कुंडली जांच, रत्न विशेषकर नीलम न धारण करें।
शनि का असली अर्थ-कर्म, सहिष्णुता, अभ्यास, सेवा और सत्यनिष्ठा। संकट भी योग्यता, अनुशासन और भक्ति के द्वार खोलता है।
शनि न तो केवल दुर्भाग्य का ग्रह है, न ही महज दण्ड देने वाला। यह जीवन की सार्थकता, सेवा, संयम, मेहनत और परिवार में भरोसे की परख है। प्रतीक है कर्म का और हर व्यक्ति को खुद के भीतर शक्ति, जिम्मेदारी और सेवा के जरिए अपनी दशा की दिशा बदलनी चाहिए। संकट को प्रेरणा बनाएं, सेवा, ईमानदारी, दया और ज्ञान से शनि के कठोर भाव को भी वरदान में बदलें-यही असली ज्योतिषीय और धरातली संदेश है।

अनुभव: 19
इनसे पूछें: विवाह, संबंध, करियर
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि., ओडि, उ.प्र.
इस लेख को परिवार और मित्रों के साथ साझा करें