By पं. अभिषेक शर्मा
जानिए गोपद्म व्रत 2025 की तिथि, पूजन विधि, धार्मिक महत्व और परिवार में प्रेम और कृतज्ञता का संदेश
गोपद्म व्रत भारतीय संस्कृति में परिवार, भाई-बहन के प्रेम और गौ-पूजन की अद्भुत परंपरा है। यह व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि जीवन में कृतज्ञता, समर्पण और प्रकृति से जुड़ाव का सुंदर संदेश भी देता है। विशेष रूप से माध्व समुदाय में मनाया जाने वाला यह पर्व हर वर्ष सात दिनों तक चलता है और पांच वर्षों तक अनवरत रखा जाता है। आइए, इस पावन व्रत की तिथि, विधि, महत्व और गहराई को विस्तार से जानें।
अवसर | तिथि |
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व्रत प्रारंभ | 6 जुलाई 2025, रविवार |
व्रत समापन | 2 नवम्बर 2025, रविवार |
कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बहन सुभद्रा को यह व्रत करने की प्रेरणा दी थी। सुभद्रा को अपने दिव्य परिवार पर गर्व था, पर श्रीकृष्ण ने उन्हें विनम्रता और भक्ति का महत्व समझाया। उन्होंने सुभद्रा को मोती और शिलाखंड के चूर्ण से रंगोली बनाकर गौमाता की पूजा करने को कहा। यह परंपरा आज भी माध्व समाज में श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाई जाती है।
गोपद्म व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह जीवन में कृतज्ञता, परिवार के प्रति प्रेम और प्रकृति के साथ एकात्मता का उत्सव है। जब महिलाएं सात दिनों तक श्रद्धा से यह व्रत करती हैं, तो वे न केवल अपने भाइयों के लिए, बल्कि पूरे परिवार और समाज के लिए सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। यह व्रत हमें सिखाता है कि विनम्रता, सेवा और समर्पण से जीवन में हर संबंध मजबूत होता है और ईश्वर की कृपा सहजता से प्राप्त होती है। गोपद्म व्रत का यह सुंदर पर्व हर वर्ष परिवार, समाज और आत्मा में नई ऊर्जा और संतुलन का संचार करता है-यही इसका सबसे बड़ा संदेश है।
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