By पं. अभिषेक शर्मा
जानिए 2025 में सावन के चौथे सोमवार की तिथि, पूजा मुहूर्त, उपाय और भक्ति का प्रभावशाली महत्व
बारिश की हल्की बूंदें, कहीं मद्धिम हरियाली की चादर, और मंदिरों की घंटियों की मधुर गूंज - इन सबका मेल सावन के चौथे सोमवार को कुछ अलग ही दिव्यता देता है। पूरे महीने भगवान शिव के नाम का जप, मंदिरों में उमड़ती श्रद्धा, व्रत रखने वाले घरों में उगता नया विश्वास - सावन के इस अंतिम सोमवार को दिल में एक अनोखा उत्कंठा और श्रद्धा छोड़ जाता है।
हर शिवभक्त को लगता है कि यह वही क्षण है, जब भोलेनाथ से अपनी हर प्रार्थना सीधे कहने का अवसर है - मानों कांवड़ की हर बूँद, हर मंत्र-ध्वनि और हर बेलपत्र में आत्मा की पुकार बिंध गई हो।
मुहूर्त | समय |
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ब्रह्म मुहूर्त | 04:20 AM - 05:02 AM |
प्रातः संध्या | 04:41 AM - 05:44 AM |
अभिजित मुहूर्त | 12:00 PM - 12:54 PM |
विजय मुहूर्त | 02:41 PM - 03:35 PM |
गोधूलि मुहूर्त | 07:10 PM - 07:31 PM |
सायाह्न संध्या | 07:10 PM - 08:13 PM |
अमृत काल | 01:47 AM - 03:32 AM (5 अगस्त) |
निशीथ काल | 12:06 AM - 12:48 AM (5 अगस्त) |
सर्वार्थ सिद्धि योग | 05:44 AM - 09:12 AM |
रवि योग | पूरे दिन |
पूजा के लिए पूरा दिन पावन है, लेकिन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद के 45–90 मिनट) विशेष फलदायी माना जाता है।
लाभ | प्रभाव |
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सौभाग्य, पति की दीर्घायु | विवाहित महिलाओं के लिए |
योग्य जीवनसाथी, संतान | अविवाहित व संतानहीन भक्तों हेतु |
अच्छा स्वास्थ्य, मानसिक शांति | रोग मुक्ति व मनोबल |
आर्थिक प्रगति | घर-परिवार व व्यवसाय में उन्नति |
आत्मबल और आध्यात्मिक शुद्धि | जीवन में संतुलन व सकारात्मकता |
सावन का चौथा सोमवार शिव-भक्ति का वह अंतिम और सबसे पावन शिखर है, जहाँ हर श्रद्धालु अपनी आंतरिक साधना को भोलेनाथ के चरणों में समर्पित करता है।
यह दिन केवल पूजन या व्रत नहीं, बल्कि आत्मा की अंतर्मुख यात्रा, श्रद्धा और विश्वास का अनुभव है।
हर सांस में जब “ॐ नमः शिवाय” गूंजता है और हर अभिलाषा शिव के चरणों में समर्पित होती है, तब यह सोमवार स्वयं एक उत्सव बन जाता है।
इस दिन पूर्ण श्रद्धा से व्रत, पूजन व शिवस्मरण करें - और कल्याण की राह अपने आप प्रशस्त हो जाएगी।
अनुभव: 19
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