By पं. सुव्रत शर्मा
जानें कब है जून का अंतिम प्रदोष व्रत, क्या है मासिक शिवरात्रि का संयोग और कैसे मिलेगा दोगुना लाभ
प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का अत्यंत शुभ अवसर है, जो हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। जून 2025 का अंतिम प्रदोष व्रत 23 जून, सोमवार को रखा जाएगा, जिसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस बार का व्रत और भी खास है क्योंकि सोम प्रदोष के साथ मासिक शिवरात्रि का संयोग बन रहा है, जिससे साधकों को व्रत का दोगुना पुण्य फल प्राप्त होने की मान्यता है। यह दुर्लभ योग शिव कृपा और मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत फलदायी है।
वैदिक शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत का समय सूर्य और चंद्रमा की ऊर्जा के संतुलन का काल है। सोम प्रदोष पर शिव उपासना से साधक को मानसिक शांति, पारिवारिक सुख, संतान सुख और रोग-मुक्ति का विशेष वरदान मिलता है। इस बार मासिक शिवरात्रि का संयोग व्रत के पुण्य को कई गुना बढ़ा देता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से साधक के जीवन के सभी दोष, रोग, शत्रु बाधा और ग्रह पीड़ा दूर होती है। दांपत्य जीवन में प्रेम, सौहार्द और समृद्धि आती है।
प्रातःकाल की तैयारी
शिवलिंग का अभिषेक
प्रदोष काल की पूजा
विशेष उपाय
सोम प्रदोष व्रत चंद्रमा की ऊर्जा को संतुलित करता है, जिससे मन की शांति, भावनाओं में स्थिरता और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है। मास शिवरात्रि के संयोग से शिव तत्व की शक्ति अत्यंत प्रबल हो जाती है, जिससे साधक को आध्यात्मिक उन्नति, ग्रह दोष शांति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
प्रदोष व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि शिवभक्ति, संयम और श्रद्धा का पर्व है। यह व्रत साधक को आत्मबल, सकारात्मकता और शिव कृपा का अद्भुत अनुभव कराता है। जून 2025 का अंतिम प्रदोष व्रत, सोम प्रदोष और मासिक शिवरात्रि के दुर्लभ योग के साथ, आपके जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करे-यही सच्ची शिव भक्ति है।
अनुभव: 27
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