शुभ तिथि और संयोग
अघोरा डाकिनी चतुर्दशी वर्ष 2025 में 21 अगस्त को पड़ रही है। यह दिन भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि पर आएगा। उस दिन सूर्य सिंह राशि में और चंद्रमा कर्क राशि में होंगे। पुष्य नक्षत्र का संयोग रहेगा और मासिक शिवरात्रि भी होगी। यह क्रम शक्ति साधना, मानसिक सामर्थ्य और तांत्रिक उपासना के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है।
अघोरा डाकिनी चतुर्दशी का महत्व
इस तिथि का वर्णन शास्त्र और तंत्र परंपरा दोनों में विशेष रूप से मिलता है।
- इसे रक्त चतुर्दशी भी कहा जाता है क्योंकि इस रात्रि साधक अंधकार में विशेष प्रयोग कर दिव्य ऊर्जा से तादात्म्य साधने का प्रयत्न करते हैं।
- यह रात्रि अघोर साधना, डाकिनी शाकिनी उपासना और कालभैरव आराधना के लिए जानी जाती है।
- विधि पूर्वक साधना से भूत प्रेत बाधा, अकाल मृत्यु और ऋण जैसी जटिलताओं के शमन की मान्यता है।
शास्त्रीय और पौराणिक संकेत
- कालिका पुराण और रुद्रयामल तंत्र में इस दिन को डाकिनी शाकिनी शक्तियों के आह्वान का श्रेष्ठ अवसर कहा गया है।
- कालभैरव तंत्र के अनुसार इस रात्रि की साधना मृत्यु भय, शत्रु विघ्न और अदृश्य संकटों से रक्षा देती है।
- यह तिथि तांत्रिक सिद्धि और सूक्ष्म शक्तियों से संयोजन का पुण्य समय मानी जाती है।
पूजन विधि स्टेप बाय स्टेप
सामान्य गृहस्थ भी सरल पूजा से फल प्राप्त कर सकते हैं।
- स्नान और वस्त्र
प्रातःकाल या मध्यरात्रि स्नान कर श्वेत या काले वस्त्र धारण करें।
- दीपदान
सरसों के तेल का दीपक उत्तर दिशा की ओर जलाएं।
- नींबू और तिल अर्पण
नींबू पर सिंदूर बिंदी लगाकर देवी या भैरव को अर्पित करें। काले तिल चढ़ाएं।
- मंत्र जप
- ॐ अघोरेभ्यो नमः 108 बार जपें।
- कालभैरवाष्टक अथवा देवी कवच का पाठ करें।
- भोग
नारियल, नींबू या हलवा पूरी अर्पित करें।
- दान
अन्न, तिल और वस्त्र का दान करें। नकारात्मक ऊर्जा शिथिल होती है।
क्या करें
- कालभैरव और देवी की उपासना करें।
- दीपदान, तिलदान और अन्नदान करें।
- हनुमान चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।
- घर में दीप जला कर अंधकार का निवारण करें।
क्या न करें
- अपमान, छल और कठोर वचन से बचें।
- क्रोध, झगड़ा और विवाद न करें।
- मांस, मदिरा और नॉनवेज का सेवन न करें।
- रात में सुनसान स्थान पर अकेले न जाएं।
- गुरु मार्गदर्शन के बिना कोई तांत्रिक क्रिया न करें।
तांत्रिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण
- अदृश्य बाधा शमन
भय, दु:स्वप्न और मानसिक अशांति में यह रात्रि सहायक मानी जाती है।
- ऋण मुक्ति संकेत
व्यापारी और कर्जग्रस्त जन जप और दान से राहत पा सकते हैं।
- शत्रु निवारण
साधना से साहस और सुरक्षा भाव प्रबल होता है।
ग्रह स्थिति और प्रभाव
ग्रह | स्थिति | प्रभाव |
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सूर्य | सिंह | आत्मविश्वास और अधिकार भावना में वृद्धि |
चंद्रमा | कर्क | मानसिक स्थिरता और करुणा में विस्तार |
मंगल | तुला | न्यायप्रिय निर्णय और साहस में तीव्रता |
शनि | मीन | गूढ़ साधनाओं और अंतर्मुखता का बल |
सामान्य साधकों के लिए सरल उपाय
- रात में 11 नींबू बहते जल में प्रवाहित करें।
- मुख्य द्वार पर सरसों तेल का दीपक जलाएं।
- पितरों को तिल और जल अर्पित करें।
- गृह मंदिर में ॐ नमः शिवाय 108 बार जप करें।
आज के जीवन में सीख
तेज गति और तनाव के बीच यह तिथि आंतरिक शक्ति, धैर्य और सुरक्षा का अभ्यास कराती है।
- मानसिक अस्थिरता वाले व्यक्ति ध्यान और जप अपनाएं।
- विद्यार्थी परीक्षा भय निवारण के लिए कालभैरव की उपासना करें।
- व्यापारी ऋण शमन और सिद्धि के भाव से दीपदान करें।
यह दिन साधक और गृहस्थ दोनों के लिए अदृश्य सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है।
FAQs
Q1. क्या सामान्य व्यक्ति भी पूजा कर सकते हैं?
हाँ, दीपदान, दान और मंत्रजप से लाभ मिलता है।
Q2. क्या यह दिन भूत प्रेत बाधा हटाने में सहायक है?
हाँ, शास्त्रों में इसे अदृश्य संरक्षण का श्रेष्ठ समय कहा गया है।
Q3. क्या इस दिन मांस और शराब वर्जित है?
हाँ, पूर्णतः वर्जित है।
Q4. ग्रह स्थिति का क्या संदेश है?
सूर्य सिंह और चंद्र कर्क में होने से शक्ति और मनोबल बढ़ता है।
Q5. विद्यार्थी और व्यापारी कैसे लाभ लें?
विद्यार्थी जप और ध्यान करें, व्यापारी दीपदान और तिलदान करें।