By पं. नीलेश शर्मा
तिथि मुहूर्त पूजा विधि और विशेष मान्यताएं
भाद्रपद मास की विनायक चतुर्थी बुद्धि और सिद्धि के दाता श्रीगणेश की आराधना का प्रमुख दिन है। इसी शुभ तिथि से दस दिन का गणेशोत्सव प्रारंभ होता है और घर परिवार में मंगल की भावना प्रकट होती है।
तिथि आरंभ: 26 अगस्त दोपहर 1:54
तिथि समाप्ति: 27 अगस्त दोपहर 3:44
गणपति पूजा मुहूर्त: 27 अगस्त सुबह 11:05 से दोपहर 1:40
इन समयों में श्रद्धापूर्वक पूजन करने से विघ्नों का शमन होता है और समृद्धि की वृष्टि मानी जाती है।
परंपरा के अनुसार इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित माना जाता है क्योंकि इससे कलंक का दोष लगने का विश्वास है।
27 अगस्त चंद्रोदय: सुबह 9:28
27 अगस्त चंद्रास्त: रात 8:57
भक्त इस अवधि में चंद्र दर्शन से बचें और आवश्यकता हो तो श्रीयंत्र या गणेश प्रतिबिंब की ओर दृष्टि स्थिर रखें।
यही तिथि सार्वजनिक पंडालों और घरों में श्रीगणेश प्रतिष्ठा का आरंभ कराती है। दस दिन तक आरती होती है, मॉडकों का नैवेद्य लगता है और सामुदायिक सद्भाव का भाव प्रबल होता है। विद्यार्थियों के लिए यह अध्ययन आरंभ का शुभ संकेत है और व्यापारियों के लिए नए उपक्रम का उत्तम अवसर माना गया है।
पूजा पूर्व तैयारी
मुख्य कर्म
उत्तम आचरण के संकेत
शास्त्रीय परंपरा में श्रीगणेश को विघ्नहर्ता और सिद्धिदाता कहा गया है। आज का पूजन बुद्धि की तीक्ष्णता, कार्य सिद्धि और गृहस्थ जीवन में सौहार्द प्रदान करने वाला माना गया है। नियमपूर्वक व्रत और जप परिवार में ऋणभार के शमन तथा रोग शांति का माध्यम बनते हैं।
प्रश्न 1. भाद्रपद विनायक चतुर्थी 2025 कब मनाई जाएगी
उत्तर: 27 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।
प्रश्न 2. पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त क्या है
उत्तर: 27 अगस्त को सुबह 11:05 से दोपहर 1:40 श्रेष्ठ माना गया है।
प्रश्न 3. क्या आज चंद्र दर्शन करना अशुभ है
उत्तर: हाँ, आज चंद्र दर्शन वर्जित माना गया है। समयावधि में चंद्र देखने से बचना चाहिए।
प्रश्न 4. पूजन में आवश्यक वस्तुएं कौन सी हैं
उत्तर: दूर्वा, गुड़, घी, मोदक, रोली, अक्षत, पंचामृत, तुलसी पत्र और स्वच्छ पीला या श्वेत वस्त्र।
प्रश्न 5. मंत्र जप कैसे करें
उत्तर: शांत मन से ॐ गं गणपतये नमः ग्यारह बार जप करें और अंत में आरती करें।
अनुभव: 25
इनसे पूछें: करियर, पारिवारिक मामले, विवाह
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि.
इस लेख को परिवार और मित्रों के साथ साझा करें