By पं. संजीव शर्मा
नवदुर्गा उपासना: ज्योतिषीय संतुलन, ग्रहों की शांति और जीवन में उन्नति का राज
जब भी कोई श्रद्धालु अपनी राशि, ग्रहों और भाग्य में उलझन पाता है तब नवदुर्गा की उपासना ज्योतिष शास्त्र में अविश्वसनीय समाधान के रूप में सामने आती है। यह केवल परंपरा या भावना का विषय नहीं बल्कि गहन वैदिक, पौराणिक और चिकित्सा अनुभवों से प्राप्त विज्ञान है। विवेकशील साधक जानता है कि देवी के नौ विभूतियां न केवल शक्तिपूजन बल्कि ग्रहों की अपार शक्तियों को शुद्ध व सशक्त करने का भी माध्यम हैं। प्राचीन ग्रंथ, रामायण, महाभारत, वेदों और पौराणिक कथाओं में देवी-पूजन और ग्रह-शांति का अटूट संबंध दर्ज है।
ज्योतिष परंपरा के अनुसार, नवदुर्गा और ग्रहों का गहरा संबंध है। नवरात्रि का हर दिन एक देवी और उसके अधिष्ठाता ग्रह को समर्पित है, जो न केवल जीवन की दिशा बदल सकते हैं बल्कि रोग, मानसिक तनाव, रिश्तों, अध्ययन, धन, करियर, विवाह, संतान और मोक्ष जैसे हर पहलू को छूते हैं।
शैलपुत्री को पर्वतराज की पुत्री और प्रकृति का पहला स्वरूप माना जाता है। भावनात्मक असंतुलन, निर्णय भ्रम और चिंता के लिए शैलपुत्री की पूजा श्रेष्ट उपचार है। जब चंद्रमा कुंडली में कमजोर हो तब सफेद पुष्प, दुग्ध, घी, मंत्रजप और शांत ध्यान अहम उपाय माने गए हैं। सीता माता की वनवास यात्रा में उनका मनोबल, शैलपुत्री के गुणों का परिचायक था।
माता ब्रह्मचारिणी अनुशासन और साधना की देवी हैं। मंगल नियंत्रित न हो तो क्रोध, विचारहीन निर्णय और दाम्पत्य जीवन में उथल-पुथल आती है। इस देवी की साधना से संयम, सकारात्मक ऊर्जा और जीवन में स्पष्टता आती है। भगवान हनुमान, मंगलग्रह के प्रमुख, श्रीराम के प्रति निःस्वार्थ तप और सेवा के प्रतीक हैं, जो ब्रह्मचारिणी के मार्ग को उजागर करता है।
माँ चंद्रघंटा का स्वरुप युद्ध की सजगता, साथ ही सौंदर्य, प्रेम और सुखद संबंधों का प्रतीक है। शुक्र के अस्त-अव्यस्त होने पर रिश्तों में दरार आना, वैवाहिक झगड़ा, या आर्थिक अस्थिरता आती है। देवी के प्रति भक्ति, घी-दीपक, खुशबूदार पुष्प और सच्चे ह्रदय से की प्रार्थना शुक्रदोष मिटाती है। रुक्मिणी के रूप में प्रेम और संयम का संदेश मिलता है।
रामायण की कथा में हनुमानजी ने रावण का संघर्ष छोड़कर सूर्य को अपना गुरु चुना और उनसे शिक्षाएं पाईं। यही स्वरुप कूष्मांडा का है-जिनकी मुस्कान से सृष्टि उत्पन्न हुई। सूर्य कमजोर हो तो आत्मविश्वास, स्वास्थ्य, प्रतिष्ठा कमज़ोर होती है। लाल फूल, लाजवंती पत्ते, सूर्यस्नान और मिठाई भोग से जीवन शक्ति और मानसिक तेज मिलता है।
स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय की माता, हर बालक, छात्र, शिक्षक और माता-पिता के लिए आदर्श हैं। बुध बुद्धि, गणना और संवाद का ग्रह है। बुध कमजोर हो, तो बच्चों की शिक्षा, वाणी या तार्किकता में कमी आती है। केले, पीला पुष्प और मंत्र साधना जीवनशैली का हिस्सा बनाएं। भगवान गणेश की बुद्धिवर्धक कथा भी इसी गोलाई में आती है।
विद्यार्थी, शादी योग्य कन्याएँ या गुरुबल की कमी वाले व्यक्तियों के लिए कात्यायनी देवी की साधना अनिवार्य है। गुरु कष्ट में हो तो अध्यापन, समाज या धन में रुकावट आती है। शहद, केला, गुरु मंत्र और ध्यान, पढ़ाई और रिश्तों में सफलता देते हैं। श्रवण कुमार की अपने माता-पिता के प्रति सेवा इसी स्वरुप का विस्तार है।
शनि प्रधान दशाएं जीवन में डर, कठिनाई या बाधा लाती हैं। यह देवी भयमुक्ति, संकटनाश और सतत् कर्म की प्रेरणा देती हैं। शनि की शांति के लिए तिल, तेल, दीप, ध्यान और सत्संग अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। भीम की चुनौती और साहस कालरात्रि की प्रेरणा में गूंथी गई है।
राहु भ्रम, addictions, मानसिक असहजता और अचानक बदलाव का कारक है। महागौरी की पूजा से मन स्थिर, व्यवहार में संतुलन और बुरी आदतों पर नियंत्रण आता है। सफेद मिठाई, जल, नारियल और शांत जल-पूजन से शुभता आती है। अपाला ऋषिका को माँ के संकल्प और शुद्धि का वरदान मिला था।
सिद्धिदात्री योग, गूढ़ साधना, सिद्धि दान और मोक्ष का द्वार खोलती हैं। केतु का प्रभाव अध्यात्म, वैराग्य, गूढ़ समझ में है। यदि केतु अशांत है, तो साधना, लाल फल, ध्यान और शास्त्र-पाठ से मन में शांति, क्लैरिटी और उच्च जीवन पथ मिलता है। महाभारत में विदुरजी की निष्पक्षता और तप इसी स्वरुप का सार है।
कई विद्वानों ने बताया कि नवरात्रि में हर देवी की पूजा, उसके अनुरूप ग्रह, रंग, भोग, जाप और दान से की जाए तो जीवन में मानसिक, शारीरिक, पारिवारिक और पेशेवर शक्ति बढ़ती है। जन्मपत्रिका के अनुरूप रंग, फूल, प्रसाद, मंत्र और समय से पूजा का महत्व कितना सटीक है, यह हजारों वर्षों से अनुभव में आया है। संकट के समय, विशेषकर ग्रहदोष की दशा में सिंचित साधना, ग्रहों के संतुलन का अनूठा विज्ञान देती है।
देवी स्वरुप | ग्रह | विषय / समस्या | पूजन व उपाय |
---|---|---|---|
शैलपुत्री | चंद्र | मन, स्थिरता | घी, दूध, सफेद फूल, ध्यान |
ब्रह्मचारिणी | मंगल | प्रेरणा, ऊर्जा, झगड़ा | दुग्ध, शक्कर, नियमबद्ध पूजा |
चंद्रघंटा | शुक्र | रिश्ते, कला | मिठाई, दीप, पुष्प, प्रार्थना |
कूष्मांडा | सूर्य | स्वास्थ्य, तेज | लाल फूल, सूरज, मीठा भोजन |
स्कंदमाता | बुध | बच्चों की शिक्षा | केला, मंत्र, पीले पुष्प |
कात्यायनी | गुरु | विवाह, ज्ञान | शहद, ध्यान, गुरु मंत्र |
कालरात्रि | शनि | डर, बाधा, बाधाएँ | तिल, तेल, दीप्य, सत्संग |
महागौरी | राहु | दुविधा, भ्रम, अशुद्धि | सफेद प्रसाद, जल, नारियल |
सिद्धिदात्री | केतु | मोक्ष, ध्यान, विवेक | लाल फल, साधना, योग, शास्त्र पाठ |
हर दिन विशेष-मंत्र, दान, भोग, रंग, ध्यान ग्रह की विशेषता के अनुसार चुनना चाहिए। नवरात्रि केवल बाहरी उत्सव नहीं बल्कि स्वयं के भाव, मन, शक्ति, रिश्तों और भाग्य की दशा बदलने का परम वैदिक अवसर है।
शास्त्रों में बार-बार लिखा है कि जब कोई श्रद्धालु संकट में पूरी श्रद्धा और विधि से देवी को पूजता है तो उसकी राह अपने आप बनती है। जैसे महाभारत में द्रौपदी ने, वनवास में सीता ने, जन्मपत्रिका दोष में अनेक संतों और राजाओं ने इस साधना का लाभ लिया।
प्र1. क्या ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव मानव जीवन, रिश्तों अथवा स्वास्थ्य पर रोक सकता है?
ग्रहों की मजबूत दशा कई बार बाधाएं, रोग या निर्धनता ला सकती है, पर सही साधना, समर्पण और देवी-पूजन से बदलाव संभव है।
प्र2. क्या ग्रह पूजा में रंग, फूल, भोग और मंत्र का चयन भी आवश्यक है?
हां, ग्रह, जन्मपत्रिका, जातक के दोष या योग के अनुसार विशेष पूजा-प्रक्रिया अत्यंत असरदार है।
प्र3. क्या कर्म और पुरुषार्थ के साथ नवदुर्गा उपासना कार्यसिद्धि दिला सकती है?
जब भक्त पूजा के साथ पुरुषार्थ, नियम और साधना का मार्ग चुनता है, परिवर्तन और उन्नति अवश्य होती है।
प्र4. क्या परिवार के हर सदस्य को अपनी परेशानी के अनुसार देवी पूजा करनी चाहिए?
अपनी समस्या, ग्रहदशा और जन्म समय की गणना के अनुरूप देवी, पूजा, दान और रंग चुनने चाहिए, तभी गहरा लाभ मिलेगा।
प्र5. क्या नवदुर्गा के मंत्र, पूजन और विषयवस्तु हर आयु, वर्ग और समस्या के लिए व्यापक समाधान है?
पूरे परिवार, समाज और संसार के लिए देवी के नौ स्वरुप ही संतुलन, शांति, उत्साह और उन्नति के शाश्वत स्तंभ हैं।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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