भरोसा कीजिए, ऐसा हर किसी के साथ होता है-कभी कोई व्यक्ति, कभी सोशल मीडिया, और कभी बस माहौल ही हम पर असर डाल देता है। कई बार हम दूसरों की समस्याएँ और चिंताओं को महसूस करने लगते हैं, जिनका हमारी असली ऊर्जा, आरोग्य और आत्मा से कोई लेना-देना नहीं। ऐसी स्थिति में, खुद को सुरक्षित रखना―अपनी ऊर्जा को संजोकर रखना―आवश्यक है। यहाँ वे पाँच प्रसाद स्वरूप, शाश्वत मंत्र हैं, जिन्हें मैंने वर्षों की साधना में प्रभावी पाया है। इन्हें सिर्फ पढ़ें नहीं, इन्हें जिएँ।
1. ॐ नमः शिवाय (Om Namah Shivaya): असली भावनात्मक और ऊर्जात्मक संरक्षण का आधार
- जब कभी आप बोझिल, डरे हुए, या दूसरों की भावनाओं से घिरे महसूस करें-ॐ नमः शिवाय का जप करें।
- यह शिव का सबसे प्रबल, सहज और ऋषि परंपरागत मंत्र है, जो भीतर जमी हर नकारात्मकता और डर को विनष्ट करता है।
- हर बार जब मन भारी हो, इस मंत्र को सांस के साथ लेते-छोड़ते जपें; जैसे आत्मा की धुलाई हो रही हो।
- यह मंत्र आपको आपकी असली पहचान तक पहुंचाता है-नकारात्मकता के बोझ से मुक्त।
2. गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra): रौशनी का आह्वान, मन के अंधेरों से मुक्ति
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
- यह मंत्र खुद को भीतरी रौशनी, जागरूकता और स्थिरता में बदल देता है।
- हर दिन सूर्योदय के समय, या जब कभी आप लक्ष्य या दिशा खोई हुई महसूस करें-गायत्री मंत्र का पाठ करें।
- यह सिर्फ सुरक्षा नहीं देता, बल्कि ऊर्जा को भी ऊँचा करता है। जहाँ भ्रम हो, वहाँ स्पष्टता; जहाँ डर हो, वहाँ साहस लाता है।
3. ॐ दुं दुर्गायै नमः (Om Dum Durgayei Namaha): सीमा और साहस का सशक्त कवच
- माँ दुर्गा का यह मंत्र जीवन में साहस, आत्म-सम्मान और मजबूती लाता है।
- जब आपको लगे कि आसपास की नकारात्मकता आपकी सीमाएँ तोड़ रही हैं, या 'ना' कहना मुश्किल हो-इस मंत्र का जप करें।
- यह बाहरी नहीं, भीतरी सुरक्षा का सत्य कवच है-माँ दुर्गा के आश्वासन जैसा।
4. महामृत्युञ्जय मंत्र (Maha Mrityunjaya Mantra): भीतर के घावों और भय के लिए अमोघ औषधि
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
- जीवन में जब डर, थकान या कहीं से लगी पीड़ा भारी लगे-महामृत्युञ्जय मंत्र का स्मरण करें।
- यह मंत्र सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक-आध्यात्मिक स्तर पर ऊर्जा को सुरक्षित और पुनर्स्थापित करता है।
- किसी भी बड़ी चिंता, भय या नुकसान के समय इसे कम से कम 11 बार गहरी साँस के साथ जपें।
5. ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः (Om Shanti Shanti Shanti): भीतर और बाहर की शांति का मंत्र
- हर रक्षा सिर्फ लड़ाई नहीं, कभी-कभी शांति भी कवच बनती है।
- दिन के अंत में, जब मन अशांत या दुनिया की गूँज भारी लगे-शांत बैठ जाएँ और तीन बार “ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः” का उच्चारण करें।
- यह मंत्र मन, घर और संसार-तीनों जगहों पर शांति का निमंत्रण है, हर नकारात्मकता के लिए निष्क्रिय बनाने वाला कवच।
जिएँ, जपें और ऊर्जा का घेरा मजबूत करें
इन मंत्रों में कोई जादू नहीं-बल्कि सैकड़ों वर्षों की साधना और श्रद्धा की ध्वनि है। जब भी जीवन में कोई भी बदनीयत या नकारात्मकता आपको छूने लगे, अपनी सांस, अपने स्वर और इन मंत्रों की शक्ति से खुद को घेर लें। याद रखिए: आप स्वयं अपने सबसे बड़े संरक्षक हैं।
इन मंत्रों को अपने नित्य जीवन में आत्मीयता से उतारें-फर्क अपने-आप दिखेगा। यही है ऊर्जा-रक्षा का सत्य पथ।