By पं. अभिषेक शर्मा
ऋण मुक्त होने के लिए गणेश स्तोत्र का महत्व और सरल पाठ विधि

कई बार व्यक्ति को दुर्भाग्य घेर लेता है और वह लिए हुए क़र्ज़ को वापस नहीं लौटा पाता। ऋणी होकर जीवन असहाय लगता है। ऐसे में आशा की किरण बन जाते हैं श्री गणेश।
चाहे घर बनवाना हो या बच्चों को पढाई के लिए कॉलेज भेजना हो या फिर घर में शादी करनी हो कई बार हम क़र्ज़ या ऋण लेने पर मजबूर हो जाते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में कई बार कुछ लोग क़र्ज़ वापस चुकाने में असमर्थ होते हैं। ऐसे में वह क़र्ज़ तले दबकर परेशानियों का शिकार हो जाते हैं और लगता है कि कोई रास्ता ही नहीं बचा क़र्ज़ मुक्त होने का। ऐसे में गणपति की शरण में जाएं। भगवान श्री गणेश विघ्नहर्ता हैं और सारी परेशानियां दूर करते हैं।
ॐ अस्य श्रीऋणविमोचनमहागणपति स्तोत्रमन्त्रस्य
शुक्राचार्य ऋषिः ऋणविमोचनमहागणपतिर्देवता
अनुष्टुप् छन्दः ऋणविमोचनमहागणपतिप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
अर्थ: यह स्तोत्र ऋषि शुक्राचार्य द्वारा रचित है। इसमें उपास्य देवता ऋणविमोचन महागणपति हैं यानी वे भगवान गणेश जो भक्तों को ऋण और कर्ज़ से मुक्त करते हैं। यह स्तोत्र भगवान गणेश को समर्पित है जिन्हें ऋणों से मुक्त कराने वाला माना गया है और इसका पाठ नियमित रूप से करने से कर्ज़ से छुटकारा मिलने की मान्यता है।
ॐ स्मरामि देवदेवेशं वक्रतुण्डं महाबलम्
षडक्षरं कृपासिन्धुं नमामि ऋणमुक्तये॥
अर्थ: मैं देवों के भी ईश्वर वक्रतुण्ड महाबली गणेशजी का स्मरण करता हूँ। मैं उन कृपासागर षडक्षर स्वरूप भगवान को कर्ज़ से मुक्ति हेतु नमस्कार करता हूँ।
महागणपतिं वन्दे महासेतुं महाबलम्
एकमेवाद्वितीयं तु नमामि ऋणमुक्तये॥
अर्थ: मैं महान गणपति को प्रणाम करता हूँ जो महान सेतु और अत्यंत बलवान हैं। जो एकमात्र हैं जिनका कोई दूसरा नहीं उन परमेश्वर को कर्ज़ से मुक्ति के लिए नमन करता हूँ।
एकाक्षरं त्वेकदन्तं एकं ब्रह्म सनातनम्
महाविघ्नहरं देवं नमामि ऋणमुक्तये॥
अर्थ: जो एकाक्षर ॐ स्वरूप हैं एकदंत हैं और सनातन ब्रह्मस्वरूप हैं। उन महान विघ्नहर्ता देव को मैं ऋण मुक्ति के लिए प्रणाम करता हूँ।
शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णं शुक्लगन्धानुलेपनम्
सर्वशुक्लमयं देवं नमामि ऋणमुक्तये॥
अर्थ: जो श्वेत वस्त्रधारी हैं जिनका रंग श्वेत है और जो श्वेत गंध से विभूषित हैं। जो पूर्णतः शुभ्र हैं उस देव को मैं ऋण मुक्ति के लिए प्रणाम करता हूँ।
रक्ताम्बरं रक्तवर्णं रक्तगन्धानुलेपनम्
रक्तपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥
अर्थ: जो लाल वस्त्रधारी हैं जिनका रंग लाल है और जो लाल चंदन से सुगंधित हैं। जो लाल पुष्पों से पूजित होते हैं उन्हें मैं ऋण मुक्ति के लिए नमन करता हूँ।
कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णं कृष्णगन्धानुलेपनम्
कृष्णयज्ञोपवीतं च नमामि ऋणमुक्तये॥
अर्थ: जो काले वस्त्रों में हैं जिनका वर्ण कृष्ण है और जो काले चंदन से विभूषित हैं। जो काले यज्ञोपवीत से सुसज्जित हैं उन्हें मैं ऋण मुक्ति हेतु प्रणाम करता हूँ।
पीताम्बरं पीतवर्णं पीतगन्धानुलेपनम्
पीतपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥
अर्थ: जो पीले वस्त्रों में हैं जिनका रंग पीला है और पीली सुगंध से लेपित हैं। जो पीले पुष्पों से पूजित होते हैं उन गणेशजी को मैं ऋण मुक्ति के लिए प्रणाम करता हूँ।
सर्वात्मकं सर्ववर्णं सर्वगन्धानुलेपनम्
सर्वपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥
अर्थ: जो समस्त रूपों में व्याप्त हैं जिनका स्वरूप सभी रंगों में है और सभी प्रकार के सुगंध से विभूषित हैं। जो सभी फूलों से पूजे जाते हैं उन सर्वात्मा गणेशजी को मैं ऋण मुक्ति हेतु प्रणाम करता हूँ।
एतद् ऋणहरं स्तोत्रं त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः
षण्मासाभ्यन्तरे तस्य ऋणच्छेदो न संशयः॥
अर्थ: जो व्यक्ति इस ऋणहर स्तोत्र का पाठ तीनों संध्याओं में करता है उसका कर्ज़ छह महीनों के भीतर समाप्त हो जाता है इसमें कोई संदेह नहीं है।
सहस्रदशकं कृत्वा ऋणमुक्तो धनी भवेत्॥
अर्थ: यदि कोई इसे हज़ार बार दस के समूह में करता है तो वह न केवल ऋणमुक्त होता है बल्कि धनवान भी बनता है।
इस विधि को नियमित रूप से अपनाने से जीवन की आर्थिक परेशानियाँ दूर होने लगती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्र कब पढ़ना चाहिए
दिन में तीनों संध्याओं सुबह दोपहर और शाम इसका पाठ करना श्रेष्ठ माना जाता है।
क्या इस स्तोत्र से सच में कर्ज़ से मुक्ति मिलती है
हाँ नियमित रूप से श्रद्धा के साथ पाठ करने से कर्ज़ का भार कम होता है और आर्थिक स्थिति सुधरती है।
क्या ऋणमुक्ति स्तोत्र के साथ कोई विशेष पूजा आवश्यक है
सरल पूजा अनिवार्य है जिसमें धूप दीप फूल और गणेशजी का स्मरण शामिल हो।
क्या ऋणमुक्ति स्तोत्र को बुधवार को पढ़ना अधिक फलदायी होता है
बुधवार गणेशजी का दिन माना जाता है इसलिए इस दिन स्तोत्र पाठ अत्यंत शुभ फल देता है।
कितने समय तक नियमित पाठ करने से लाभ मिलता है
छह महीनों तक नियमित पाठ करने से उल्लेखनीय लाभ मिलने की मान्यता है।
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