By पं. अभिषेक शर्मा
शुक्र ग्रह का महत्व, प्रभाव, उपाय और धार्मिक दृष्टि से इसकी भूमिका
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक अत्यंत शुभ और प्रभावशाली ग्रह माना गया है। यह भौतिक सुख, वैवाहिक संतुष्टि, सौन्दर्य, कला, प्रेम, शौहरत और विलासिता का प्रतिनिधित्व करता है। शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी है, मीन में उच्च का और कन्या में नीच का होता है। इसके अधीन भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र आते हैं। शुक्र का गोचर लगभग 23 से 28 दिनों तक एक राशि में रहता है।
शुक्र के मित्र ग्रह बुध और शनि हैं, शत्रु सूर्य और चंद्र हैं, जबकि गुरु और मंगल तटस्थ माने जाते हैं। शुक्र का संबंध माँ लक्ष्मी से है और इसे शुक्रवार का स्वामी माना जाता है।
खगोल विज्ञान में शुक्र को वीनस कहा जाता है। यह सूर्य से दूसरी और पृथ्वी से सबसे नजदीकी ग्रह है। आकार और घनत्व में यह पृथ्वी से मिलता-जुलता है। यह सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा 225 दिनों में पूरी करता है और अपनी धुरी पर घूर्णन 243 दिनों में करता है। यह सबसे चमकीला ग्रह है, जिसे भोर का तारा या सांझ का तारा कहा जाता है।
शुक्र ग्रह के प्रमुख तथ्य
विशेषता | विवरण |
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गोचर अवधि | 23-28 दिन |
दिशा | दक्षिण-पूर्व |
धातु | चांदी |
रत्न | हीरा |
रंग | गुलाबी, सफेद |
दिवस | शुक्रवार |
मित्र ग्रह | बुध, शनि |
शत्रु ग्रह | सूर्य, चंद्र |
उच्च राशि | मीन |
नीच राशि | कन्या |
महादशा अवधि | 20 वर्ष |
संबंधित शरीर अंग | जननांग, प्रजनन शक्ति |
जब शुक्र ग्रह कुंडली में शुभ स्थिति में होता है, तो यह व्यक्ति के जीवन में कला, सौन्दर्य और प्रेम का संचार करता है। ऐसे जातक सुंदर, आकर्षक व्यक्तित्व वाले और रचनात्मक होते हैं। वे संगीत, नृत्य, चित्रकला, लेखन या फिल्मी जगत में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और भौतिक सुख-समृद्धि का आनंद मिलता है।
अशुभ या पीड़ित शुक्र वैवाहिक जीवन में तनाव, वित्तीय कठिनाइयाँ और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ दे सकता है। यह गलत आदतों, चरित्र दोष और संबंधों में अस्थिरता का कारण बन सकता है। महिलाओं की कुंडली में अशुभ शुक्र वैवाहिक असंतोष और संबंधों में जटिलता ला सकता है।
अशुभ शुक्र के संभावित परिणाम
क्षेत्र | असर |
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विवाह | कलह, असंतोष |
स्वास्थ्य | मधुमेह, थायरॉयड, प्रजनन संबंधी समस्या |
आर्थिक स्थिति | विलासिता की कमी |
चरित्र | अनुचित संबंध, गलत आदतें |
पौराणिक मान्यता के अनुसार, शुक्र देव असुरों के गुरु हैं और महर्षि भृगु के पुत्र हैं। इनका वर्ण श्वेत है और ये ऊँट, घोड़े या मगरमच्छ की सवारी करते हैं। हाथ में दण्ड, कमल, माला और धनुष-बाण धारण करते हैं। माँ लक्ष्मी से संबंध होने के कारण शुक्र की आराधना से ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
1. शुक्र ग्रह किसका कारक है
शुक्र कला, प्रेम, सौन्दर्य, भोग-विलास, वैवाहिक सुख और धन का कारक है।
2. शुभ शुक्र के क्या लाभ होते हैं
सुंदरता, आकर्षक व्यक्तित्व, रचनात्मक प्रतिभा, प्रेमपूर्ण विवाह और भौतिक सुख प्राप्त होते हैं।
3. अशुभ शुक्र से बचने का सबसे आसान उपाय क्या है
शुक्रवार को दान, गाय को चारा खिलाना और संबंधों में सम्मान बनाए रखना सबसे सरल उपाय हैं।
4. शुक्र ग्रह के लिए उपयुक्त रत्न कौन सा है
हीरा शुक्र ग्रह का रत्न है, परंतु अशुभ शुक्र में इसे धारण नहीं करना चाहिए।
5. शुक्र के उच्च और नीच राशि कौन सी हैं
उच्च राशि मीन है और नीच राशि कन्या है।
अनुभव: 19
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इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि., ओडि, उ.प्र.
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