By पं. नीलेश शर्मा
जानिए ११वें भाव का वैदिक महत्व, आय, सामाजिक मित्रता, इच्छाओं की पूर्ति और लाभ के योगों पर इसका प्रभाव
वैदिक ज्योतिष में कुंडली का एकादश भाव “लाभ स्थान” कहलाता है। यह भाव दर्शाता है कि व्यक्ति अपने जीवन में कितनी आर्थिक संपन्नता, सफलता और इच्छाओं की पूर्ति करेगा। यह भाव हमारी सोशल नेटवर्किंग, सहयोगी संबंधों, मित्र मंडली और वरिष्ठों के साथ संबंधों का भी सूचक है।
एकादश भाव को मूल रूप से उस भाव के रूप में देखा जाता है जहाँ परिश्रम के फल मिलते हैं। यह केवल आय का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि जातक कितने बड़े लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है और समाज में किस स्तर तक अपनी आकांक्षाओं को साकार कर सकता है।
एकादश भाव को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है, क्योंकि यही भाव निर्धारित करता है कि व्यक्ति को उसके प्रयासों का प्रतिफल किस रूप में और कितनी मात्रा में मिलेगा।
तत्त्व | विवरण |
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भाव संख्या | एकादश (11वां) |
प्राकृतिक राशि | कुंभ (Aquarius) |
तत्त्व (Element) | वायु (Air) |
स्वाभाविक ग्रह | शनि |
कारक ग्रह (Significator) | बृहस्पति (Jupiter) |
भाव का प्रकार | उपचय (उन्नति वर्धक), लाभ भाव |
क्षेत्र | विवरण |
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लाभ और आय | जातक को जीवन में आय के कितने स्रोत मिलेंगे और वह कितना लाभ कमा पाएगा-इसका निर्धारण इस भाव से होता है। |
लाभ और आय | यह भाव नियमित वेतन, बिज़नेस से लाभ, शेयर बाजार, पुरस्कार, बोनस, इनाम आदि का सूचक है। |
लाभ और आय | यह भाव यह भी दर्शाता है कि लाभ वैध होगा या अवैध साधनों से। |
इच्छाओं की पूर्ति | जातक को जीवन में आय के कितने स्रोत मिलेंगे और वह कितना लाभ कमा पाएगा-इसका निर्धारण इस भाव से होता है। |
इच्छाओं की पूर्ति | यह भाव नियमित वेतन, बिज़नेस से लाभ, शेयर बाजार, पुरस्कार, बोनस, इनाम आदि का सूचक है। |
इच्छाओं की पूर्ति | यह भाव यह भी दर्शाता है कि लाभ वैध होगा या अवैध साधनों से। |
मित्र और सामाजिक संबंध | एकादश भाव जातक के मित्रों, सहयोगियों और सामाजिक जुड़ाव को दर्शाता है। |
मित्र और सामाजिक संबंध | इस भाव से यह भी जाना जा सकता है कि जातक कैसे मित्र बनाएगा, मित्रता कितनी स्थायी होगी और क्या मित्र लाभकारी सिद्ध होंगे। |
बड़े भाई-बहन | विशेषतः बड़े भाई-बहनों, बहनों के पति, पुत्री के पति (दामाद), आदि से संबंधित जानकारियाँ एकादश भाव से प्राप्त होती हैं। |
बड़े भाई-बहन | बड़े भाई का स्वभाव, संबंध और उससे लाभ होने की संभावनाएँ भी इसी भाव में निहित होती हैं। |
बॉस, वरिष्ठ और सहयोगी संबंध | जातक के वरिष्ठों या अधिकारियों के साथ संबंध, उनका व्यवहार कैसा रहेगा-इसका भी विचार एकादश भाव से होता है। |
छिपी हुई संपत्ति और बचत | एकादश भाव गोपनीय आय, अप्रत्याशित लाभ और रक्षित धन की स्थिति को भी दर्शाता है। |
सामाजिक प्रतिष्ठा | समाज में पहचान, सम्मान, प्रसिद्धि और प्रभाव। |
शारीरिक अंग | एकादश भाव शरीर के टखनों, पिंडलियों और बाएँ कान से संबंधित होता है। |
शारीरिक अंग | इन अंगों की स्थिति, दुर्बलता या शक्ति का संकेत इस भाव से प्राप्त किया जा सकता है। |
स्वार्थ और व्यावसायिक दृष्टिकोण | यह भाव यह संकेत करता है कि जातक कितना स्वार्थी हो सकता है, या लाभ के लिए किस हद तक जा सकता है। |
स्वार्थ और व्यावसायिक दृष्टिकोण | यदि यहां पापग्रह हों, तो जातक दूसरों के साथ संबंधों में केवल निजी लाभ की दृष्टि रखता है। |
मामा और ससुराल पक्ष | मामा से संबंध और उनसे मिलने वाला सहयोग। |
ग्रह | प्रभाव |
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सूर्य | उच्च महत्वाकांक्षा, नेतृत्व, प्रभावशाली मित्र, राजनीतिक संबंध। |
चंद्रमा | भावुक मित्र, कलाकार, नाविक, पायलेट जैसे लोगों से मित्रता। |
मंगल | खिलाड़ी, पहलवान, साहसी मित्र, प्रतिस्पर्धा में सफलता। |
बुध | व्यापारी, बिजनेस क्लास मित्र, संचार में दक्षता। |
गुरु | धार्मिक, दार्शनिक, बैंकिंग, वित्तीय क्षेत्र के मित्र। |
शुक्र | कला, अभिनय, सुंदरता, आकर्षक मित्रता और सामाजिक आकर्षण। |
शनि | नौकरीपेशा, वरिष्ठ, अनुशासित मित्र, आयु में बड़े लोगों से संबंध। |
राहु/केतु | छद्म मित्र, विदेशी या अलग जाति के मित्र, असामान्य लाभ। |
यदि इस भाव में कोई ग्रह नहीं है, तो उस पर अन्य ग्रहों की दृष्टि और भाव की राशि के अनुसार फलादेश किया जाता है।
कुंडली का ग्यारहवाँ भाव व्यक्ति के जीवन में लाभ, आय, सामाजिक संबंध, मित्रता और आकांक्षाओं की पूर्ति का आधार है। यह भाव जितना मजबूत और शुभ होगा, जातक को उतना ही अधिक धन, सामाजिक प्रतिष्ठा और संतुष्टि मिलेगी। वहीं, इसका कमजोर या पीड़ित होना लाभ में बाधा, मित्रता में अस्थिरता और इच्छाओं की अपूर्णता का कारण बन सकता है। वैदिक ज्योतिष में ग्यारहवें भाव का गहन विश्लेषण व्यक्ति को उसके सामाजिक और आर्थिक जीवन की दिशा चुनने में मार्गदर्शन करता है।
अनुभव: 25
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