By पं. अमिताभ शर्मा
चंद्र ग्रहण के मानसिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक प्रभाव
वैदिक ज्योतिष में चंद्र ग्रहण को केवल खगोलीय घटना नहीं माना गया है बल्कि यह एक शक्तिशाली परिवर्तनकारी क्षण होता है, जब चंद्रमा की ऊर्जा रुद्ध हो जाती है। इस समय चंद्रमा, जो मन, भावनाएं और स्मृति का प्रतीक है, पृथ्वी की छाया में चला जाता है। यह दृश्य न केवल खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है बल्कि मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत प्रभावकारी होता है।
चंद्र ग्रहण आत्मनिरीक्षण, मानसिक संशोधन और आंतरिक परिवर्तन का द्वार खोलता है। यह एक ऐसा काल होता है जब व्यक्ति अपनी आदतों, संबंधों और करियर की दिशा पर गहराई से विचार कर सकता है। कई बार यह समय जीवन में अदृश्य बदलावों की शुरुआत करता है, जो भविष्य में स्पष्ट होते हैं।
हर चंद्र ग्रहण हर राशि पर समान प्रभाव नहीं डालता। इसका प्रभाव व्यक्ति की चंद्र राशि और गोचर में चंद्रमा की स्थिति पर आधारित होता है। नीचे कुछ प्रमुख संकेत दिए गए हैं:
ग्रहण काल में चंद्रमा की अस्थिरता व्यक्ति के भीतर भावनात्मक बेचैनी, चिंता और नकारात्मक विचारों को बढ़ा सकती है। खासकर वे लोग जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, उन्हें इस समय मानसिक थकावट या असंतुलन महसूस हो सकता है।
यह समय वैवाहिक जीवन, पारिवारिक संबंधों और कार्यस्थल पर तनाव का कारण बन सकता है। कुछ लोगों को अपने करियर में अचानक बदलाव या निर्णय लेने की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
हालांकि यह समय कठिनाइयों से भरा हो सकता है, लेकिन साथ ही यह आत्म-जागरूकता, आत्मनिरीक्षण और भीतरी शक्ति को पहचानने का भी अवसर देता है। कई बार ग्रहण के बाद व्यक्ति में स्पष्टता आती है और वह सही दिशा में कदम बढ़ा सकता है।
नहीं, हर चंद्र ग्रहण अशुभ नहीं होता। कई बार यह व्यक्ति को मानसिक रूप से परिपक्व बनाता है और पुरानी बाधाओं को समाप्त करता है। यदि व्यक्ति उपाय करता है और ग्रहण काल का आध्यात्मिक रूप से सदुपयोग करता है, तो यह काल जीवन में संतुलन और ऊर्जा ला सकता है।
उपाय जैसे मंत्र जाप, दान और ध्यान चंद्रमा की क्षीण ऊर्जा को स्थिर करते हैं। यह उपाय मन को शांत करते हैं और उस ऊर्जा को साकारात्मक रूप में बदलते हैं, जो ग्रहण के समय असंतुलित हो जाती है।
"ॐ सोम सोमाय नमः" मंत्र को विशेष रूप से प्रभावकारी माना जाता है क्योंकि यह चंद्रमा की ऊर्जा को स्थिर करता है और मानसिक शांति देता है।
नहीं, धार्मिक मान्यता अनुसार इस समय जागरण और मंत्र जाप करना चाहिए। सोने से मानसिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ सकता है।
हां, गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय घर के भीतर रहना, मंत्र जाप करना और नकारात्मकता से बचना चाहिए।
सामान्यतः ग्रहण के प्रभाव 2 से 3 दिन तक रह सकते हैं, विशेषकर भावनात्मक और मानसिक स्थिति पर।
यह व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है। किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से परामर्श करने के बाद ही कोई रत्न धारण करें।
अनुभव: 32
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