By पं. अभिषेक शर्मा
जानिए अष्टम भाव का वैदिक महत्व, जीवन में रहस्य, गहन परिवर्तन, आकस्मिक घटनाएँ, गूढ़ विद्या और पुनर्जन्म पर इसका प्रभाव
वैदिक ज्योतिष में अष्टम भाव (Eighth House) को अत्यंत रहस्यमय और गूढ़ भाव माना गया है। इसे प्रायः "मृत्यु भाव", "रहस्य भाव" और "पुनर्जन्म भाव" कहा जाता है, लेकिन इसकी भूमिका इससे कहीं अधिक व्यापक और सूक्ष्म है। यह भाव व्यक्ति के जीवन में होने वाले गंभीर परिवर्तन, अप्रत्याशित घटनाएँ, आध्यात्मिक अनुभव, गूढ़ विद्या और आकस्मिक धन प्राप्ति जैसे क्षेत्रों को प्रभावित करता है। यह भाव जीवन की अनिश्चितताओं, विरासत, मानसिक क्लेश और मोक्ष से जुड़े गहरे विषयों का प्रतिनिधित्व करता है। आमतौर पर इसे अशुभ भाव माना जाता है, लेकिन इसकी भूमिका जीवन के गूढ़ रहस्यों को उजागर करने और गहन आत्म-परिवर्तन में भी है।
तत्व | विवरण |
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भाव संख्या | अष्टम (8th) |
स्वाभाविक राशि | वृश्चिक (Scorpio) |
कारक ग्रह | शनि (Saturn) |
तत्त्व (Element) | जल (Water) |
भाव का प्रकार | दुष्ट भाव (Trik Sthana), गूढ़ और कर्मफलिक क्षेत्र |
अष्टम भाव निम्नलिखित क्षेत्रों को प्रभावित करता है
ग्रह | शुभ प्रभाव | अशुभ प्रभाव |
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सूर्य | गूढ़ ज्ञान, नेतृत्व क्षमता | स्वास्थ्य संबंधी समस्या, ससुराल से तनाव |
चंद्रमा | विरासत से लाभ, भावनात्मक गहराई | मानसिक असंतुलन, जलजनित रोग, माता से दूरी |
मंगल | साहस, गुप्त विद्या में रुचि | दुर्घटना, अचानक संकट, स्वास्थ्य समस्या |
बुध | अनुसंधान, लेखन, गूढ़ विषयों में दक्षता | आर्थिक हानि, साझेदारी में धोखा |
गुरु | दार्शनिक दृष्टि, दीर्घायु, आध्यात्मिकता | लालच, कंजूसी, स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव |
शुक्र | विरासत, सुंदरता, साथी से लाभ | भोग-विलास, गलत संबंध, शारीरिक समस्याएँ |
शनि | धैर्य, अनुसंधान, दीर्घायु | पुरानी बीमारियाँ, विलंब, मानसिक तनाव |
राहु | गुप्त शक्तियाँ, अचानक लाभ | भ्रम, दुर्घटना, मानसिक तनाव |
केतु | आध्यात्मिकता, मोक्ष | रिश्तों में दूरी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ |
कुंडली का अष्टम भाव जीवन के रहस्यों, अनिश्चितताओं और गहन परिवर्तनों का केंद्र है। यह भाव जितना चुनौतीपूर्ण है, उतना ही व्यक्ति को आत्म-ज्ञान, गूढ़ विद्या और आध्यात्मिक विकास की ओर प्रेरित करता है। अष्टम भाव का सही विश्लेषण न केवल संभावित संकटों से सतर्क करता है, बल्कि जीवन में गहरे परिवर्तन और पुनर्जन्म की संभावना को भी उजागर करता है। वैदिक ज्योतिष में अष्टम भाव की उपेक्षा नहीं की जा सकती, क्योंकि यही भाव जीवन के छिपे हुए पहलुओं और मुक्ति के मार्ग का द्वार है।
अनुभव: 19
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