By पं. संजीव शर्मा
संकटमोचन की अदृश्य कृपा, मनोबल, संकट, पूजा, मनोवैज्ञानिक संकेत, FAQs
हनुमान केवल वीरता, शक्ति और भक्ति का प्रतीक नहीं हैं-वे भारतीय सनातन ज्ञान में 'अदृश्य संरक्षक', रक्षक और मन, परिवार व समाज की ऊर्जा के आधार स्तंभ भी माने जाते हैं। रामायण, श्री हनुमान बाहुक, रामचरितमानस, यंत्र-मंत्र साहित्य, तंत्रग्रंथ और दर्जनों पुराणों में बार-बार सावधान करता है: हनुमान हमेशा अपने भक्तों, ईमानदार सेवकों और जीवन यात्रा में सत्य के मार्ग पर चलने वालों के साथ अदृश्य ढाल बनकर साथ रहते हैं। उनका संरक्षण, कृपा और आशीर्वाद जीवन के हर क्षेत्र-मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक, आध्यात्मिक-में मौन किन्तु सुरक्षित जाल बुनता है। इस लेख में विस्तार से पढ़िए वे पाँच कमाल के, गहरे और सत्यापित संकेत जिसके द्वारा आप जान सकते हैं कि हनुमान की छाया आपके जीवन में अवश्य काम कर रही है-भले ही बिना किसी शोर या चमत्कार के।
अक्सर लोग सोचते हैं कि अगर हनुमान रक्षा करेंगे तो कोई बड़ी दुर्घटना, संकट या मृत्यु से असंभव रूप से बचाव हो जाएगा। पर शास्त्र, वेदांत, योग और अध्यात्म के अनुसार, हनुमान रक्षा subtly, बहुत सूक्ष्म रूप में करते हैं। वे कभी-कभी आम परिस्थितियों, छोटे मोड़ों, सामान्य दैनंदिन अनुभवों, या 'संयोग' लगने वाले किनारे में अपने संकेत छोड़ जाते हैं।
हनुमान चालीसा में कहा गया है-'सब सुक लहै तुम्हारी शरणा, तुम रक्षक काहू को डरना।'
जब आपके जीवन में भय, फोबिया, चिंता, अशांति, मानसिक बेचैनी अचानक प्रकट होती है, लेकिन बिना रोज की कोशिश के कम हो जाती है, तो समझें हनुमान ने अपनी छाया फैलायी है।
मेडिकल विज्ञान भी मानता है, हनुमान भजन से जुड़े लोगों में तनाव, डर एक-तिहाई कम देखा गया है और उन लोगों में सकारात्मक ऊर्जा, इच्छाशक्ति और नैतिक साहस बढ़ता है।
संकटमोचन हनुमान, जिनका अर्थ ही संकट दूर करना है-अक्सर जीवन की बड़ी समस्याएं, जैसे आकस्मिक दुर्घटना, परिवारिक विवाद, कार्यक्षेत्र से हानि, स्वास्थ्य संबंधी डर-शुरू होने से पहले ही पलट जाते हैं।
कभी कोई मुश्किल मामला अचानक सुलझ जाए, कोई रुकावट बिना किसी बड़ी वजह के हट जाए, या कोई कठिन परिस्थिति आपको छुए बिना ही गुजर जाए-तो इसे मात्र सौभाग्य या संयोग मत समझें, ये घनीभूत हनुमान-कृपा है।
श्रद्धा, साधना और माता-पिता के सत्कर्म कई पीढ़ियों तक हनुमान की रक्षा का कारण हो सकते हैं।
कभी संयोगवश मंदिर चले जाना, सुबह उठते ही 'जय बजरंगबली' या चालीसा का पाठ करने का मन-ये सोचकर नहीं बल्कि सहज भाव से होता है।
स्कंद पुराण में वर्णित है-हनुमान कभी भी अपने सच्चे भक्त या जिज्ञासु के मन में 'जल' की तरह प्रवाहित होते हैं। भक्ति, जप, नाम-स्मरण जब बिना प्रयास के उठे, समझो यह आत्मा में जागरण है और वहाँ हनुमान स्वयं प्रेरणा देते हैं।
प्रसिद्ध मानस श्लोक है-'राम नाम बस जहं हनुमाना, होत संकट बिनु अनुसाना।'
कोई अजीब सपना-जहां लाल ध्वजा, गदा, संजीवनी, ऊँचा पर्वत, या हनुमान स्वयं दिखें; कभी अचानक गुड़, सिंदूर, चमेली, गुलाब की गंध महसूस हो-जबकि पास कोई वजह न हो; या रास्ते में, घर में, वाहन पर अचानक हनुमान जी की प्रतिमा, पोस्टर, तस्वीर दिख जाना-शास्त्रीय मान्यता है कि ये संकेत संज्ञान के गहरे स्तर पर मिलते हैं।
यह 'अनुभूतिक' या अदृष्टश्रृंखला का साक्ष्य है-अर्थात हनुमान कह रहे हैं 'मैं आसपास हूं, घबराओ मत'।
कांग्रेस, बारिश, मेले, मंदिर यात्रा आदि के समय ये जागरण अक्सर बढ़ जाते हैं।
वाल्मीकि रामायण तथा हजारों साधकों के अनुभव में वह एक लक्षण सबसे खास है, जब आप खुद से बड़ा, अनसुना धैर्य, किसी संकट में संयम, अथवा परिवार-समाज के लिए नि:स्वार्थ सेवा करते हैं-जबकि आमतौर पर आप कमजोर होते हैं-ये हनुमान की 'बल-वृद्धि' का संकेत है।
कभी यथार्थ में 'तुम रखवारे-कौन हरे डर'-का भाव मन में आए; या पारिवारिक कलह, नौकरी की परेशानी, बीमारी की रात, परीक्षा का डर अचानक कम लगने लगे-समझें यह हनुमान की कृपा है।
इन्हीं क्षणों में पीढ़ियों तक घर, कुल, समाज सुरक्षित रहते हैं।
संकेत | अनुभव और प्रभाव |
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भय हटता है | अंदर तक शांति, साहस, निर्भयता |
संकट बिना लड़ाई मिटे | बचाव, आस, राहत |
सहज भक्ति जाग्रत | बार-बार स्मृति, लगातार जप या भजन |
दिव्य स्वप्न, आकस्मिक दृश्य व गंध | छाया, सुरक्षा का संदेश |
अनसुना धैर्य, सेवा, संयम | समाज, परिवार में मजबूत ऊर्जा, वरिष्ठ होना |
प्रश्न 1: क्या प्रतिदिन पूजा जरूरी है या केवल नाम-जप से भी कृपा मिलती है?
उत्तरा: नियमित नाम-स्मरण, सरल प्रार्थना और सच्चा मन ही हनुमान के निकट लाता है; पूजन साधन है, भाव साध्य है।
प्रश्न 2: क्या हनुमान बाहरी-आंतरिक संकटों से बचाते हैं?
उत्तरा: पूर्णतः, वे मन, शरीर, माहौल, समाज हर स्तर की रक्षा देते हैं।
प्रश्न 3: क्या चमत्कार न होने पर भी हनुमान कृपा मिलती है?
उत्तरा: हाँ, हनुमान की सबसे बड़ी कृपा उनका मौन संरक्षण, प्रेरणा और नैतिक शक्ति देना है-जो समय-समय पर जीवन को संभालता है।
प्रश्न 4: क्या महिलाएं, युवा, बच्चे-सब पर हनुमान की कृपा बराबर है?
उत्तरा: जगत के हर सज्जन, नारी-पुत्र, वृद्ध-युवा, धर्म-जाति से परे; जो सच्चे मन से पुकारे, हनुमान तुरंत रक्षा करते हैं।
प्रश्न 5: क्या केवल तंत्र, मंत्र, यंत्र से ही कृपा आती है?
उत्तरा: नहीं, तंत्र-मंत्र पूरक हैं-मूल प्रेरणा भक्ति, शुद्ध विचार, सेवा और नियमित स्मरण में है।
हनुमान का संरक्षण दुनिया के हर घर, हर जीव, हर समाज के लिए प्रेम, सामर्थ्य, संकल्प और ऊर्जा का निरंतर स्रोत है। अगर आप खुद में विश्वास, अचानक मदद, अदृश्य ऊर्जा, अकारण साहस, या चुपचाप सकारात्मक बदलाव महसूस कर रहे हों-तो निस्संदेह, यह संकटमोचन की छाया, आपकी आत्मा की सबसे गहरी रक्षा है।
हनुमान की जीवन्तता आज भी हर वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक चिंतन का हिस्सा है। जब भी दिल डोलने लगे, जीवन डगमगाए, तो बस मुस्कुरा कर कह दें-'जय बजरंगबली', क्योंकि असल में, आप कभी अकेले नहीं हैं।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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