By पं. नीलेश शर्मा
आषाढ़ अमावस्या का दिन पितृ शांति, आध्यात्मिक शुद्धि और वंशजों की समृद्धि के लिए अति पावन माना गया है।
आषाढ़ अमावस्या हिन्दू पंचांग में एक अत्यंत पावन और पुण्यकारी तिथि मानी जाती है। यह दिन पितरों की शांति, तर्पण, दान-पुण्य और आत्मिक शुद्धि के लिए समर्पित है। आषाढ़ मास की अमावस्या न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ज्योतिषीय और पारिवारिक कल्याण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं 2025 में आषाढ़ अमावस्या कब है, स्नान-दान और पितृ तर्पण का शुभ समय, साथ ही क्या करें और क्या न करें।
आषाढ़ अमावस्या को पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य करने का विशेष विधान है। मान्यता है कि इस दिन पितृलोक के द्वार खुलते हैं और पितर धरती पर आकर अपने वंशजों से तर्पण, जलदान और स्मरण की आशा करते हैं। इस दिन किए गए तर्पण और दान से पितृगण प्रसन्न होते हैं, आशीर्वाद देते हैं और वंशजों के जीवन से पितृ दोष, रोग, आर्थिक संकट और संतति संबंधी बाधाएं दूर होती हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, अमावस्या तिथि पर सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं, जिससे पृथ्वी पर आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, सूर्य को अर्घ्य और पितरों को तिल, कुश, जल से तर्पण करना अत्यंत पुण्यकारी है।
एक समय की बात है, अलकापुरी के राजा कुबेर शिवभक्त थे। उनके माली ने एक दिन पूजा के फूल लाने में देर कर दी क्योंकि वह अपनी पत्नी के साथ हास्य-विनोद में व्यस्त था। राजा ने क्रोधित होकर माली को श्राप दिया कि वह पृथ्वी पर कोढ़ी होकर जन्म लेगा और पत्नी से वियोग का कष्ट भोगेगा। माली ने पृथ्वी पर आकर आषाढ़ अमावस्या के दिन विधिपूर्वक स्नान, दान और पितृ तर्पण किया, जिससे उसका पाप नष्ट हुआ और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। यह कथा बताती है कि आषाढ़ अमावस्या पर स्नान, दान और तर्पण से पापों का नाश और पितरों की शांति होती है।
आषाढ़ अमावस्या केवल एक तिथि नहीं, बल्कि पूर्वजों से जुड़ाव, कृतज्ञता, आत्मशुद्धि और परिवार की खुशहाली का पर्व है। इस दिन की गई पूजा, तर्पण और दान न केवल पितरों को तृप्त करते हैं, बल्कि वंशजों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग भी खोलते हैं। यह दिन हमें हमारे मूल, परंपरा और आत्मिक जिम्मेदारी की याद दिलाता है-कि हम अपने पूर्वजों को स्मरण कर, उनकी आत्मा की शांति के लिए अपना कर्तव्य निभाएं।
आषाढ़ अमावस्या 2025, 25 जून को मनाई जाएगी। इस दिन प्रातःकाल स्नान, सूर्य को अर्घ्य, पितृ तर्पण, दान-पुण्य और पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। यह दिन पितरों की आत्मा की शांति, पितृ दोष निवारण और आध्यात्मिक उत्थान के लिए अत्यंत शुभ है। श्रद्धा, नियम और विधिपूर्वक किए गए कर्म आपके जीवन में सुख, समृद्धि और पितरों का आशीर्वाद अवश्य लाएंगे।
अनुभव: 25
इनसे पूछें: करियर, पारिवारिक मामले, विवाह
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि.
इस लेख को परिवार और मित्रों के साथ साझा करें