By अपर्णा पाटनी
उन दुर्लभ नामों पर प्रकाश डालिए, जो शिव की चैतन्यता, योग तथा विभिन्न गुणों का परिचय देते हैं
सनातन धर्म में भगवान शिव केवल देवता नहीं, अपितु एक अनंत और जन्म-मरण से परे सत्तावान सिद्धांत हैं। महादेव, भोलेनाथ, नटराज जैसे नाम अमुक प्रसिद्ध हैं, पर वेद और प्राचीन स्तोत्रों में शिव के अनेक ऐसे नाम पाए जाते हैं जो गूढ़ और दुर्लभ हैं। ये न केवल उपाधियां, बल्कि शिव की अनंत गुणात्मकता की कंपन हैं, जो उनके विविध रूपों को दर्शाती हैं।
'हरा' संस्कृत के मूल 'हृ' से, जिसका अर्थ है 'लेना' या 'हरना', आता है। शिव को 'हरा' कहा जाता है क्योंकि वे पाप, अहंकार और अज्ञानता का नाश करते हैं। "हर हर महादेव" में उनका यह रूप पढ़ा जाता है, जो आत्मा की बाधाओं को समाप्त करता है। हरा न केवल बाहरी जगत के बंधन तोड़ता है, बल्कि अविद्या (अज्ञान) को भी दूर करता है और मोक्ष का द्वार खोलता है।
श्रीरुद्रम में उल्लेखित 'भव' शब्द का अर्थ है "जिससे सभी प्राणों का उदय होता है"। शिव केवल संहारक नहीं, बल्कि वह गुप्त बीज हैं जिससे सृष्टि की शुरुआत होती है। वे एकाकी, तो अनंत का अंश है।
शर्व अशांत और प्रचंड स्वरूप शिव का नाम है, जो विक्षेप और पुरानी व्यवस्था का नाश करता है। यह संहार आवश्यक परिवर्तन है जिससे नव सृजन होता है। युद्ध के पूर्व महाभारत में इस नाम का जाप किया जाता था।
'उमापति' शिव का एक नाम है जो उनकी उमा (पार्वती) के प्रति दुलार और योगात्मक मेल दर्शाता है। यह नाम शिव की अनासक्ति और सक्रियता के संयोजन को पहचानता है।
मृत्युंजय नाम से शिव को पुख्ता जीत की उपाधि मिली है। यह नाम मृत्युंजय मंत्र में प्रसिद्ध है, जो मृत्यु भय को समाप्त करने वाला और मोक्ष प्रदायक है।
चंद्रपाल नाम शिव को विशेष करता है क्योंकि वे चंद्रमा को शिला में धारण करते हैं। चंद्रमा मानवीय मन, भाव और कालचक्र का प्रतिनिधि है।
विश्वेश्वर शिव का एक सबसे व्यापक नाम है जो उन्हें समस्त सृष्टि के स्वामी और व्यवस्था पालनहार के रूप में प्रस्तुत करता है।
अज का अर्थ है 'अजन्मा'। शिव का निराकार और अनादि रूप दर्शाता है जो जन्म-मरण से परे है।
स्थानु शिव का स्थिर और अचल स्वरूप है, जो संपूर्ण ब्रह्माण्ड के स्थायी चक्र के केंद्र में है।
महेश्वर नाम शिव को सम्पूर्ण जगत के ईश्वर के रूप में प्रतिष्ठित करता है जो करुणा, वैराग्य, और ज्ञान से भरपूर है।
इन दुर्लभ नामों के मंत्रों का जाप और चिंतन, शिव के सूक्ष्म पहलुओं और उनकी अनंतता को समझने में मदद करता है। वे न केवल आध्यात्मिक व्दारा शुद्धिकरण के लिए, बल्कि जीवन को पुनर्निर्मित करने का माध्यम हैं। ध्यान और ओम नमः शिवाय के साथ इनके जप से साधक गहरे अनुभव पाते हैं।
श्रेष्ठ साधु समझते हैं कि शिव केवल एक देवता नहीं, अपितु अनेक स्वरूपों का महासंगम हैं।
नाम | अर्थ और भूमिका |
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हरा | भ्रम और पापों का नाशक |
भव | सृष्टि का आधार |
शर्व | संहारक और नाशक |
उमापति | शक्ति के सहधर्मी, उमा के पति |
मृत्युंजय | मृत्यु का संहारक, भयमुक्त करने वाले |
चंद्रपाल | चंद्र को धारण करने वाले, भावों के नियंत्रक |
विश्वेश्वर | सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी |
अज | जन्मा नहीं, अनादि स्वरूप |
स्थानु | अचल और स्थिर स्वरूप |
महेश्वर | सर्वोच्च स्वामी, करुणामय और ज्ञानी |
सकल देवताओं में अबूझ वियोग और अनमोल एकता का बन्धन ये नाम दर्शाते हैं।
वे हमें सरल, सशक्त आध्यात्म की ओर ले जाते हैं जहाँ स्वभाव और परम सत्ता का मिलन होता है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, मुहूर्त
इनके क्लाइंट: म.प्र., दि.
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