By पं. सुव्रत शर्मा
आर्द्रा नक्षत्र की वर्षा, नमी और कृषि परंपरा में गहरा स्थान; कृषि, प्रकृति और मानसून के शुभ आरंभ का पर्व।
आर्द्रा नक्षत्र वैदिक ज्योतिष के 27 नक्षत्रों में छठा स्थान रखता है, जो मिथुन राशि के 6°40' से 20°00' तक फैला है। इसका स्वामी ग्रह राहु है और अधिदेवता भगवान शिव के उग्र रूप रुद्र हैं। आर्द्रा का अर्थ है "नमी" या "आँसू", जो जीवन में शुद्धि, परिवर्तन और पुनरुत्थान का प्रतीक है। इस नक्षत्र का भारत की कृषि और वर्षा परंपरा में गहरा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है।
भारतीय लोककथाओं और वैदिक ग्रंथों के अनुसार, आर्द्रा नक्षत्र के उदय के साथ ही मानसून ऋतु की शुरुआत मानी जाती है। यह नक्षत्र वर्षा, नमी और जीवनदायिनी ऊर्जा का द्योतक है। प्राचीन काल से ही गाँवों में आर्द्रा नक्षत्र के आगमन पर विशेष पूजा और अनुष्ठान होते रहे हैं, जिनका उद्देश्य वर्षा का स्वागत करना, खेतों की जुताई करना और फसलों की उन्नति के लिए देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।
विषय | विवरण |
---|---|
नक्षत्र क्रम | 6 (छठा) |
राशि सीमा | मिथुन 6°40' - 20°00' |
स्वामी ग्रह | राहु |
अधिदेवता | रुद्र (शिव का उग्र रूप) |
प्रतीक | आँसू, नमी, वर्षा |
तत्व | जल |
सांस्कृतिक महत्व | मानसून आरंभ, कृषि, वर्षा पूजन |
आर्द्रा नक्षत्र न केवल ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय कृषि और सांस्कृतिक परंपराओं में भी गहरा स्थान रखता है। इसके उदय के साथ मानसून की शुरुआत होती है, जो जीवन और समृद्धि का आधार है। आर्द्रा की ऊर्जा हमें जीवन में संवेदनशीलता, करुणा और पुनरुत्थान की प्रेरणा देती है। यह नक्षत्र प्रकृति के साथ हमारे गहरे संबंध और जीवन के चक्र को समझने का मार्ग दिखाता है।
आर्द्रा नक्षत्र: जहाँ नमी है, वहाँ जीवन है-यह नक्षत्र जीवन के हर पहलू में नवीनीकरण और आशा का संदेश देता है।
अनुभव: 27
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