By पं. संजीव शर्मा
कमल और पुष्य नक्षत्र की यह कथा संघर्ष में भी सुंदरता, पवित्रता और आत्मज्ञान का संदेश देती है
भारतीय संस्कृति में कमल का फूल केवल सुंदरता का नहीं, बल्कि संघर्ष में खिलती पवित्रता और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है। पुष्य नक्षत्र को भी इसी प्रतीक से जोड़ा जाता है-क्योंकि यह नक्षत्र सिखाता है कि जीवन की कठिनाइयों के बीच भी, व्यक्ति अपने ज्ञान, सेवा और प्रेम से समाज में कमल की तरह खिल सकता है।
बहुत प्राचीन समय की बात है। सृष्टि की रचना से पहले चारों ओर केवल जल ही जल था। भगवान विष्णु योगनिद्रा में विश्राम कर रहे थे। तभी उनके नाभि से एक सुंदर कमल का फूल प्रकट हुआ। इस कमल के ऊपर ब्रह्मा जी प्रकट हुए-यही ब्रह्मा आगे चलकर सृष्टि के रचयिता बने।
ब्रह्मा जी ने जब अपनी उत्पत्ति देखी, तो उन्हें अभिमान हो गया कि वे ही सृष्टि के रचयिता हैं। लेकिन जिज्ञासा वश वे जानना चाहते थे कि उनका आधार क्या है। वे कमल की डंडी के रास्ते नीचे उतरने लगे, लेकिन लाखों वर्षों तक चलते रहने के बाद भी उन्हें उसका छोर नहीं मिला।
आखिरकार, थक-हारकर वे वापस लौट आए और अपने अभिमान का त्याग किया। इस कथा का गूढ़ संदेश है-सच्ची सुंदरता और शक्ति विनम्रता, जिज्ञासा और आत्म-ज्ञान में है। कमल कीचड़ में खिलता है, लेकिन उसकी पंखुड़ियों पर कभी कीचड़ नहीं लगता-वह अपनी पवित्रता और सौंदर्य को बनाए रखता है।
एक अन्य प्रसिद्ध कथा समुद्र मंथन की है। जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तो चौदह रत्नों में से एक कमल पर विराजमान लक्ष्मी थीं। लक्ष्मी-धन, समृद्धि और शुभता की देवी-कमल पर बैठी थीं, जिससे कमल का संबंध पवित्रता, समृद्धि और शुभारंभ से और गहरा हो गया।
प्रतीक | कथा का सार | जीवन के लिए संदेश |
---|---|---|
कमल का फूल | विष्णु की नाभि से उत्पत्ति, ब्रह्मा का जन्म, समुद्र मंथन में लक्ष्मी | संघर्ष में भी पवित्रता और सुंदरता बनाए रखें |
पुष्य नक्षत्र | कठिनाइयों में भी सेवा, ज्ञान और प्रेम | समाज में प्रेरणा और आदर्श बनें |
यह कथा और प्रतीक हमें सिखाते हैं कि जीवन में परिस्थितियाँ कैसी भी हों, अगर हमारे भीतर कमल जैसी पवित्रता, पुष्य जैसी सेवा-भावना और ज्ञान है, तो हम हर कीचड़ में भी सुंदरता और सफलता पा सकते हैं। अगर आपको यह कहानी प्रेरक लगी हो, तो इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ जरूर साझा करें-क्योंकि हर किसी के जीवन में कभी न कभी कीचड़ आता है, लेकिन कमल की तरह खिलना हर किसी के बस में है। पुष्य नक्षत्र - कीचड़ में खिलता सौंदर्य, जो हर आत्मा को प्रेरणा और शक्ति देता है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, आध्यात्मिकता और कर्म
इनके क्लाइंट: दि., उ.प्र., म.हा.
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