सावन (श्रावण मास) के आते ही पूरे भारत में बारिश, हरियाली और पवित्रता की छाया छा जाती है। इस न सिर्फ धार्मिक माहौल बनता है, बल्कि प्राचीन परंपराओं के अनुसार ये समय ऊर्जा को स्थिर करने, मन को साफ़ करने और अपने भीतर डूब जाने का बेहतरीन मौका है। वैदिक शास्त्रों, योग और आयुर्वेद के अनुसार, यही समय है जब वायु दोष (Vata dosha) बढ़ता है और इससे मन अस्थिर या थका हो सकता है। ऐसे में शारीरिक के साथ-साथ भावनात्मक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए सावन के खास उपाय अपनाएं।
पहला उपाय: भोजन ही नहीं, विचारों का भी उपवास करें
- सोमवर व्रत या उपवास सिर्फ खाने से नहीं, बल्कि अनावश्यक शोर-शराबे से भी करें।
- हफ़्ते में एक दिन मोबाइल, टीवी, सोशल मीडिया से दूरी बनाकर पूरी तरह खुद को डिटॉक्स करें।
- सिर्फ यूट्यूब या व्हाट्सएप से नहीं, ऑफिस की गॉसिप और न्यूज की ओवरडोज़ से भी बचें।
- खुद को कुछ घंटे मौन दें-शिव मंत्र सुनें या पूर्ण शांति में बैठें-आपकी मानसिक ऊर्जा रिचार्ज होगी।
दूसरा उपाय: थाली में सच्चा प्रेम शामिल करें
- सावन में प्याज, लहसुन, अति नमक, तली-भुनी व खमीरयुक्त चीजें, और मांसाहार से परहेज़ करें।
- भोजन ऊर्जा देता है-जो आप खाते हैं, वही आपके विचार बनते हैं।
- मन को शांत, निर्मल और ध्यान-युक्त बनाने के लिए सात्विक भोजन लें।
- थाली में साबूदाना, फल, नारियल, सिंघाड़ा, गाय का दूध, घी और सेंधा नमक रखें।
- भोजन करते समय पूरा ध्यान सिर्फ खाने पर रहे-ना नेटवर्किंग, ना नेटफ्लिक्स।
तीसरा उपाय: अंदर और बाहर दोनों का जलाभिषेक
- शिवलिंग पर जल चढ़ाना भीतरी आग को ठंडा करने का प्रतीक है।
- उसी तरह अपने मन की जलन-गुस्सा, ईर्ष्या, दुख-भी जल से शांत करें।
- हर सोमवार तीन ऐसी बातें लिखें, जो आपको मानसिक रूप से बोझिल करती हैं। कागज फाड़ें और हर संकट के लिए जल चढ़ाएं।
चौथा उपाय: सुबह घास या मिट्टी पर नंगे पाँव चलें
- बारिश के बाद गीली धरती पर चलना शरीर की नकारात्मकता को दूर करता है।
- बिना चप्पल घास पर चलें और “ॐ नमः शिवाय” का जप सांस के बहाव के साथ करें-आपका तन-मन शांत रहेगा।
पांचवाँ उपाय: मन की डायरी शिव को समर्पित करें
- पूजा-पाठ में ज़्यादा शब्दों या रीति-रिवाजों की जरूरत नहीं।
- रोज़ाना सुबह या रात को अपनी भावनाएँ एक डायरी में लिखें।
- सच-सच लिखें कि आज मन किस कारण भारी है, क्या छोड़ना कठिन लग रहा है।
- ईमानदारी से खुद से या शिव से संवाद करें। असली साधना यहीं से शुरू होती है।
छठा उपाय: संस्कृत ना आये, फिर भी जप अवश्य करें
- मंत्र की ताकत सिर्फ उच्चारण या भाषा में नहीं, उसकी कंपन में होती है।
- “ॐ नमः शिवाय”-(मैं अपने भीतर के शिव को नमन करता हूँ)-का 108 बार जप करें।
- चाहे आवाज़ टेढ़ी हो, मन भटके-जप जारी रखें।
- कपड़े तह करते, खाना बनाते या चलते वक्त भी मंत्र का जप करें।
सातवाँ उपाय: पूजा में दूध चढ़ाएँ, खुद को भी दया का दान दें
- शिव को दूध, बेल पत्र, धतूरा-ये सब चढ़ाएँ, लेकिन खुद के लिए भी नर्मी, विश्राम और सच्चाई का भाव रखें।
- उपवास रखें लेकिन क्रोध या जलन न पालें-वरना व्रत का प्रभाव जाता रहता है।
- सावन आत्म-खोज और स्पर्श की पूजा है, न कि केवल त्याग की।
आठवाँ उपाय: प्रतिक्रिया नहीं, चिंतन चुनें
- शिव भोलेनाथ कहलाते हैं, क्योंकि वे हर बार प्रतिक्रिया नहीं करते, अक्सर शांति चुनते हैं।
- किसी भी विवाद या तनाव में तुरंत प्रतिक्रिया देने की जगह, एक बार खुद से पूछें-“क्या बोल रहा है, अहंकार या आत्मा?”
- एक दिन ऐसा निकालें, जब सिर्फ देखना और नोट करना हो, प्रतिक्रिया न करें। यही असली तपस्या है।
नौवाँ उपाय: सेवा करें, बिना तारीफ की चाह के
- सावन के दौरान सिर्फ मंदिर में जल या दूध चढ़ाने की बजाय-किसी भूखे को खाना दें, पेड़ लगाएँ, किसी दुखी को फोन करें।
- सेवा बिना सोशल मीडिया पर डाले, बिना कोई अपेक्षा के करें-यही सच्ची शिव-सेवा है।
दसवाँ उपाय: जल्दी सोएँ, सूर्योदय से पहले उठें
- योगशास्त्र के अनुसार, ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) साधना और ध्यान के लिए सर्वोत्तम समय है।
- भोर में 15 मिनट मौन बैठें, जप करें, श्लोक पढ़ें या अभिव्यक्ति लिखें।
- फोन की घंटी से नहीं, अपनी सांस और शुद्ध ऊर्जा से दिन की शुरुआत करें।
- रात को एक घंटा डिजिटल डिटॉक्स भी लें-मन शांत होगा।
जीवन में एकता और आत्मचिंतन ही है असली ज्ञातव्य
सावन आपसे परिपूर्णता नहीं, उपस्थिति की मांग करता है। यह सवाल नहीं करता कि आपने कितने नियम माने, बल्कि पूछता है कि जब माने तब मन और आत्मा से जुड़े या नहीं। यह महीना दर्पण है-कि आप क्या ढो रहे हैं, किन आदतों या भावनाओं को दबा रहे हैं। खाने की थाली, सोच और आदतें साफ़ करें-प्योरिटी के लिए नहीं, प्रेम के लिए। क्योंकि शरीर की सफाई स्वच्छता है, लेकिन आत्मा की सफाई-यह असली आज़ादी है।