By पं. सुव्रत शर्मा
दूसरे भाव में बृहस्पति के शुभ-अशुभ फल, धन, वाणी, परिवार और उपाय
ज्योतिष में दूसरे भाव को धनस्थान या कुटुंब स्थान कहते हैं, जो व्यक्ति की संपत्ति, परिवार, वाणी, विरासत और सामाजिक प्रतिष्ठा का सूचक होता है। जब बृहस्पति यहां स्थापित हो, तो व्यक्ति के जीवन में धन, प्रभावशाली वाणी, सुख-संपत्ति और समाज में उज्जवल छवि का सुंदर संगम देखा जाता है। इस घर का बृहस्पति जातक को आकर्षक व्यक्तित्व, मधुर बोल और हर परिस्थिति में मान-सम्मान दिला सकता है।
जीवन क्षेत्र | दूसरे भाव के बृहस्पति का असर |
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वाणी और व्यवहार | मधुर, प्रभावशाली, स्पष्ट |
सम्मान | हर वर्ग में प्रिय, सभा में आकर्षक |
संपत्ति/धन | संचय, वृद्धि, अधिकार, विरासत |
विद्या/पेशा | शिक्षा, बैंक, कानूनी सेवाएँ, काव्य, प्रशासन |
कुटुंब व संबंध | परिवार में सुख, संतति, बहुप्राप्ति |
सकारात्मक प्रभावों का सार:
नकारात्मक संकेत | क्यों और कैसे संयम बरतें |
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स्वास्थ्य, मोटापा, तृष्णा | अधिक मिठाई, तैलीय भोजन से बचाव |
खर्च की प्रवृत्ति | आवश्यकता के अनुरूप बजट व संयम |
भोग-विलास, आलस्य | सक्रियता और संयमित जीवनशैली |
भावनाओं में बह जाना | मानसिक संतुलन और स्व-विकास |
मंत्र | Transliteration | Meaning |
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ॐ बृं बृहस्पतये नमः | Om brim brihaspataye namah | Wisdom and positivity from Guru Jupiter |
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः | Om gram grim groum sah gurave namah | Obeisance to Guru, remover of ignorance |
बृहस्पति का दूसरे भाव में होना वैभव, विद्या, मीठी वाणी और सामाजिक प्रतिष्ठा की नींव है। परिवार और कुटुंब में सुख, आर्थिक आत्मनिर्भरता, और सामाजिक नेतृत्व के साथ जीवन को सार्थक बनाता है। जरूरत बस इतनी है कि गरिमा, संतुलन और सतर्कता बनी रहे-फिर यह योग व्यक्ति को सम्मान, सुख और बुद्धिमत्ता की ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।
अनुभव: 27
इनसे पूछें: विवाह, करियर, संपत्ति
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि., ओडि
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