By पं. सुव्रत शर्मा
मंगल ग्रह के विवाह से जुड़ी धार्मिक मान्यताएँ, ग्रंथों के मत और ज्योतिषीय प्रभाव
मंगल ग्रह के वैवाहिक जीवन को लेकर भारतीय ज्योतिष और धर्मशास्त्रों में विविध मत मिलते हैं, जो सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी काफी रोचक हैं। उनकी कहानी जीवन के कई पहलुओं को स्पर्श करती है, खासकर मांगलिक दोष और विवाह से जुड़े विचारों को।
एक प्रमुख मान्यता यह है कि मंगल ग्रह अविवाहित हैं। इसी कारण उनसे जुड़ा क्रोध, तीव्रता तथा अनुशासन का गुण उभरकर सामने आता है। इस परंपरा के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में मंगल विशेष स्थान पर होता है, उनके विवाह की प्रक्रिया पर भी विशेष ध्यान देने की परंपरा रही है। इस विचारधारा ने भारतीय विवाह संस्कारों में मांगलिक दोष जैसे विषय को जन्म दिया और समाज में मंगल से जुड़े तनाव व समाधान के कई उपाय प्रचलित हुए।
धार्मिक शास्त्रों में मंगल ग्रह की पत्नी के संबंध में अलग-अलग मत मिलते हैं। कुछ ग्रंथों के अनुसार देवी ज्वालिनी को मंगल देव की पत्नी माना गया है। देवी ज्वालिनी की उपासना और कथा मंगल के दांपत्य पक्ष को उजागर करती है। वही, कुछ अन्य पुराणों में मंगल को अविवाहित बताया गया है। इनके पिता भगवान शिव और माता देवी भूमि कही गई हैं, जिससे मंगल को भूमि पुत्र भी कहा जाता है।
मान्यता | सारांश |
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मंगल अविवाहित | क्रोध और साहस का कारक, मांगलिक दोष की मान्यता पर आधारित |
मंगल विवाहित | देवी ज्वालिनी से विवाह, दांपत्य पक्ष की मान्यता |
कुंडली में प्रभाव | मांगलिक दोष के समाधान हेतु विशेष उपाय और पूजन |
कुछ ग्रंथों में मंगल के विवाह का उल्लेख है, तो कुछ में उन्हें सदा अविवाहित बताया गया है। यह मतभेद श्रुति, स्मृति, पुराण, और अन्य धार्मिक ग्रंथों के दृष्टिकोण में भिन्नता के कारण भी हो सकता है। कई विद्वानों का मत है कि मंगल देव का अविवाहित होना उनके स्वभाव और प्रभाव की व्याख्या करता है, किंतु देवी ज्वालिनी के साथ उनके दांपत्य का उल्लेख मंगल की कृपा और शांति का भी प्रतीक माना जाता है।
मंगल ग्रह के वैवाहिक जीवन को लेकर यह द्वैत दृष्टिकोण ज्योतिष में विशेष महत्व रखता है। मांगलिक जातकों के विवाह, कुंडली मिलान, मंगल दोष शांति, और उपासना सब कुछ इन्हीं मान्यताओं से प्रेरित हैं। मंगल का संयम, उसके क्रोध का स्वरूप, और मांगलिक दोष से ग्रस्त जातकों के जीवन में समस्या तथा समाधान की प्रक्रिया इसी पौराणिक विचारधारा से जुड़े हैं।
मंगल ग्रह के विवाह के संबंध में भारतीय परंपरा में कोई एकमत कथानक नहीं है। कहीं वे अविवाहित और कहीं देवी ज्वालिनी के पति कहे गए हैं। इन विविधताओं के बीच, मंगल का वैवाहिक विषय जीवन के अनुशासन, संघर्ष, समाधान, और सांस्कृतिक विविधता के व्यापक आयामों को दर्शाता है। उनका चरित्र प्रेरणा, साहस और संतुलन के साथ-साथ समाज के लिए एक आध्यात्मिक संदेश भी छोड़ता है।
अनुभव: 27
इनसे पूछें: विवाह, करियर, संपत्ति
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