By पं. सुव्रत शर्मा
बुध ग्रह के गुण, प्रभाव, मंत्र, स्वास्थ्य और करियर में भूमिका का विस्तृत विश्लेषण
वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को शुभाशुभ ग्रह माना जाता है, जो अपने साथ स्थित ग्रहों के अनुसार फल देता है। यदि यह गुरु, शुक्र या बली चंद्रमा जैसे शुभ ग्रहों के साथ हो तो अत्यंत सकारात्मक परिणाम देता है, जबकि मंगल, केतु, शनि, राहु और सूर्य जैसे क्रूर ग्रहों के साथ होने पर अशुभ प्रभाव डाल सकता है।
बुध मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है, जिसमें कन्या इसकी उच्च राशि और मीन इसकी नीच राशि मानी जाती है।
यह अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र का स्वामी है और इसे बुद्धि, तर्क, संवाद, गणित, चतुरता और मित्र का कारक माना जाता है। सूर्य और शुक्र इसके मित्र हैं, जबकि चंद्रमा और मंगल शत्रु माने जाते हैं। बुध का वर्ण हरा है और बुधवार का दिन इसे समर्पित है।
जब जन्म कुंडली में बुध लग्न भाव में स्थित होता है, तो व्यक्ति आकर्षक व्यक्तित्व का धनी होता है, उसकी आयु दीर्घ होती है और वह देखने में वास्तविक आयु से कम प्रतीत होता है। आंखें चमकदार होती हैं और व्यक्तित्व में सौम्यता के साथ बौद्धिक गहराई होती है।
बुध से प्रभावित जातक प्रायः कई भाषाओं के ज्ञाता होते हैं, कुशल वक्ता होते हैं और व्यवसाय में सफलता पाते हैं।
पहलू | प्रभाव |
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संवाद शैली | धाराप्रवाह और प्रभावशाली वाणी |
बुद्धि | तीव्र और तार्किक सोच |
विषयगत कौशल | गणित और विश्लेषणात्मक क्षमता |
कार्यक्षेत्र | वाणिज्य और कारोबार में सफलता |
सामाजिक छवि | लोकप्रिय और सम्मानित वक्ता |
जब बुध पाप ग्रहों से पीड़ित होता है, तो जातक मानसिक और शारीरिक दोनों स्तरों पर चुनौतियों का सामना करता है।
ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपने विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं कर पाता, गणितीय गणना में कठिनाई आती है और व्यवसाय में हानि का जोखिम बढ़ता है।
पीड़ित बुध दरिद्रता, मानसिक अशांति और निर्णय क्षमता की कमी भी ला सकता है।
समस्या | संभावित कारण |
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बोलने में कठिनाई | नसों पर नकारात्मक प्रभाव |
कान और गले के रोग | तंत्रिका तंत्र की कमजोरी |
त्वचा रोग | प्रतिरक्षा में कमी |
अत्यधिक पसीना | हार्मोनल असंतुलन |
बुध का सीधा संबंध वाणिज्य, लेखन, पत्रकारिता, एंकरिंग, वकालत, प्रवचन, शिक्षा और परामर्श से है।
यह ग्रह अखरोट, पालक, पौधे, हरी दालें, हरे वस्त्र, घी और तेल जैसी वस्तुओं का कारक है।
श्रेणी | विवरण |
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रत्न | पन्ना |
रुद्राक्ष | चार मुखी रुद्राक्ष |
यंत्र | बुध यंत्र |
रंग | हरा |
दिशा | उत्तर |
जड़ | विधारा मूल |
पशु पक्षी | कुत्ता, बकरी, तोता, लोमड़ी, सरीसृप |
वैदिक मंत्र
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते सं सृजेथामयं च।
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।।
तांत्रिक मंत्र
ॐ बुं बुधाय नमः
बीज मंत्र
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
सौर मंडल का सबसे छोटा और सूर्य के सबसे निकट ग्रह बुध है। इसकी घूर्णन गति अत्यंत तेज है और यह सूर्य की परिक्रमा लगभग 87 दिन 23 घंटे में पूरी करता है।
इसका एक दिन पृथ्वी के 90 दिनों के बराबर होता है और यहां वायुमंडल का अभाव है।
यह सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले नग्न आंखों से देखा जा सकता है।
सनातन धर्म में बुध को प्रज्ञा और व्यापार का देवता माना गया है। बुधवार के दिन बुध की पूजा से बुद्धि, विवेक और समृद्धि प्राप्त होती है।
यह भगवान विष्णु का प्रतिनिधि है और उत्तर दिशा का स्वामी माना जाता है, जो कुबेर का स्थान है।
विवरण | अवधि या स्थिति |
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प्रत्येक राशि में गोचर | लगभग 25 दिन |
ऊंचा | कन्या |
नीच | मीन |
महादशा काल | 17 वर्ष |
मित्र | सूर्य, शुक्र |
शत्रु | चंद्रमा |
तटस्थ | शनि, मंगल |
स्वभाव | मिश्रित |
व्यवसाय | लेखन, संचार, गणित, व्यापार, मीडिया, परामर्श |
बुध व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता, संचार कौशल, तार्किक सोच और अनुकूलनशीलता को नियंत्रित करता है। मजबूत स्थिति में यह जातक को सफलता, लोकप्रियता और समृद्धि देता है, जबकि कमजोर या पीड़ित स्थिति में मानसिक अस्थिरता, संचार की कमी और पेशेवर बाधाएं उत्पन्न करता है।
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