By पं. अमिताभ शर्मा
जानिए 7 सितंबर को होने वाले पूर्ण चंद्र ग्रहण की तिथि, सूतक और धार्मिक महत्व
भारत में इस वर्ष का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को घटित होगा। यह संपूर्ण भारतवर्ष में दिखाई देगा। खास बात यह है कि यह ग्रहण पितृ पक्ष के दौरान हो रहा है, जब पितरों के श्राद्ध और तर्पण की परंपरा निभाई जाती है। चंद्र ग्रहण का वैदिक धर्म में विशेष महत्व माना गया है, विशेषकर तब जब यह ऐसे शुभ या संवेदनशील कालखंडों में आता है।
विवरण | समय |
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तिथि | 7 सितंबर 2025 (शनिवार) |
ग्रहण प्रारंभ | रात्रि 9:58 बजे (IST) |
ग्रहण का मध्य काल | रात्रि 11:42 बजे (IST) |
ग्रहण समाप्त | 8 सितंबर, 1:26 बजे प्रातः |
कुल अवधि | लगभग 3 घंटे 28 मिनट |
यह चंद्र ग्रहण पूरे भारत में देखा जा सकेगा, विशेषकर उन स्थानों पर जहां उस समय चंद्रमा क्षितिज से ऊपर रहेगा।
जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है तब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे चंद्र ग्रहण होता है। यह घटना पूर्णिमा के दिन ही होती है। चंद्रमा पर पड़ने वाली यह छाया धीरे-धीरे फैलती है और एक अलौकिक दृश्य प्रस्तुत करती है।
इस ग्रहण के दौरान सूतक काल मान्य होता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, सूतक काल ग्रहण प्रारंभ से 9 घंटे पूर्व शुरू हो जाता है। इस हिसाब से 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से सूतक काल प्रारंभ होगा।
यह समयकाल एक तरह का मानसिक और शारीरिक शुद्धिकरण का काल माना जाता है।
यह चंद्र ग्रहण पितृ पक्ष के दौरान हो रहा है, जो कि पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण करने का समय होता है। इस काल में किए गए शुभ कर्म और दान अत्यधिक फलदायक माने जाते हैं।
ऐसा करने से पितरों को शांति प्राप्त होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
1. यह चंद्र ग्रहण भारत में कहाँ दिखाई देगा?
यह चंद्र ग्रहण भारत के सभी प्रमुख शहरों में दिखाई देगा जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु।
2. सूतक काल कब शुरू होगा?
सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से आरंभ होगा, जो कि ग्रहण शुरू होने से लगभग 9 घंटे पहले है।
3. क्या गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतनी चाहिए?
हां, गर्भवती महिलाओं को इस दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और घर के अंदर ही रहना चाहिए।
4. क्या चंद्र ग्रहण देखने के लिए किसी उपकरण की जरूरत है?
नहीं, यह ग्रहण खुली आंखों से देखा जा सकता है।
5. क्या ग्रहण के दौरान पूजा की जा सकती है?
ग्रहण काल में पूजा, हवन या अन्य धार्मिक अनुष्ठान नहीं करने चाहिए। केवल ध्यान और मंत्र जाप की अनुमति होती है।
अनुभव: 32
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इनके क्लाइंट: छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश
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