By पं. अभिषेक शर्मा
अष्टम भाव में शुक्र का प्रभाव वैवाहिक जीवन, धन और स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है
अष्टम भाव में स्थित शुक्र व्यक्ति के जीवन में आकर्षण, रहस्य और अचानक घटित होने वाली घटनाओं का अद्भुत मेल लाता है। यह स्थिति वैवाहिक जीवन, प्रेम संबंधों, धन प्राप्ति और स्वास्थ्य सभी पर गहरा प्रभाव डालती है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह भाव गोपनीय इच्छाओं, गुप्त संसाधनों और मानसिक गहराइयों का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में जब शुक्र इस भाव में स्थित हो, तो यह प्रेम और भोग की ऊर्जा को अनोखे ढंग से आकार देता है।
अष्टम भाव में शुक्र होने से व्यक्ति सौंदर्य, आकर्षक व्यक्तित्व और सम्मोहक दृष्टि से युक्त होता है। उसकी आंखें बड़ी और भावपूर्ण होती हैं, स्वभाव में आत्मविश्वास झलकता है। वह निडर, प्रसन्नचित्त और विनम्रता से युक्त होते हुए भी अपने विचारों में दृढ़ रहता है। ऐसे लोग ज्ञान, धर्म और सदाचार की ओर झुकाव रखते हैं और कई बार ज्योतिष या अन्य विद्या में पारंगत हो जाते हैं।
यह स्थिति कई बार अप्रत्याशित रूप से धन लाभ दिलाती है, विशेषकर जीवनसाथी, महिला सहयोगी या ट्रस्ट के माध्यम से। कुछ जातकों को सरकारी पद, सम्मान और विलासितापूर्ण जीवन का आनंद भी मिलता है। साथ ही विदेश यात्रा, नौकर-चाकर और वाहन सुख का भी योग बनता है। हालांकि कभी-कभी यह स्थिति ऋण का बोझ भी ला सकती है, इसलिए आर्थिक प्रबंधन में सावधानी आवश्यक है।
संभावित धन के स्रोत | विवरण |
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जीवनसाथी या महिला सहयोगी से | विवाह या साझेदारी के माध्यम से लाभ |
ट्रस्ट या संस्था से | दान, अनुदान या वसीयत के जरिए धन |
व्यवसाय से | वस्त्र, घी, चीनी, कपास, मसाले, दवाइयों का व्यापार |
विदेश से | इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट, विशेषकर गुप्त सौदे |
शुक्र के इस स्थान के कारण वैवाहिक जीवन में रोमांस और आकर्षण तो होता है, लेकिन कई बार मतभेद और अविश्वास की स्थिति भी बन सकती है। यदि अन्य ग्रहों का अशुभ प्रभाव हो, तो यह स्थिति विवाहेतर संबंधों की प्रवृत्ति को जन्म दे सकती है। मंगल और शनि के साथ होने पर रिश्तों में उतार-चढ़ाव और तनाव बढ़ सकता है, जबकि राहु के साथ होने पर किसी पुरानी बीमारी से राहत मिलने की संभावना रहती है।
सामान्यतः शुक्र यहां स्वास्थ्य के लिए शुभ माना जाता है, लेकिन मंगल या शनि के साथ होने पर यौन रोगों का खतरा बढ़ सकता है। चंद्रमा के साथ होने पर नशे की प्रवृत्ति, मानसिक अशांति या फेफड़ों की बीमारियों का योग बन सकता है। बृहस्पति के साथ स्थिति सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसे रोगों की ओर संकेत कर सकती है।
अष्टम भाव का स्वामी होकर शुक्र यहां विपरीत राज योग बना सकता है, जो जातक को धनवान, विद्वान और सुखी बनाता है।
राशि | प्रभाव |
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वृषभ | अत्यंत रोमांटिक, स्थिरता की चाह, मजबूत संबंध |
कन्या | अंतर्मुखी, भावनाओं को कम प्रदर्शित करने वाला, आलोचनात्मक स्वभाव |
तुला | सच्चा प्रेमी, संतुलन और सौंदर्य की चाह |
मीन | रचनात्मक, धन और समृद्धि की ओर आकर्षण |
प्र1: क्या अष्टम भाव में शुक्र विवाहेतर संबंधों का कारण बनता है?
यदि अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो, तो हां, यह विवाहेतर संबंधों की प्रवृत्ति ला सकता है।
प्र2: क्या यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है?
सामान्यतः नहीं, लेकिन मंगल या शनि के साथ होने पर यौन रोगों का खतरा बढ़ता है।
प्र3: क्या अष्टम भाव में शुक्र धन लाभ देता है?
हां, विशेषकर जीवनसाथी, महिला सहयोगी या ट्रस्ट से लाभ मिलता है।
प्र4: विपरीत राज योग का क्या प्रभाव है?
यह योग जातक को धन, विद्या और सुख प्रदान करता है।
प्र5: क्या यह स्थिति व्यवसाय में मदद करती है?
हां, वस्त्र, कपास, मसाले, दवाइयों और इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट से लाभ मिलता है।
अनुभव: 19
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