By पं. अभिषेक शर्मा
दशम भाव में शुक्र का प्रभाव आपके व्यक्तित्व, करियर, विवाह और जीवन की दिशा को कैसे बदलता है
दशम भाव में स्थित शुक्र व्यक्ति के व्यक्तित्व में एक अद्भुत आभा और आकर्षण प्रदान करता है। यह न केवल आपके शारीरिक सौंदर्य को निखारता है, बल्कि आपके आचरण को भी सुसंस्कृत और प्रभावशाली बनाता है। ऐसे जातक प्रायः शांत स्वभाव के, मिलनसार और विवादों से दूर रहने वाले होते हैं। धार्मिक भावना, श्रद्धा और यज्ञ-पूजा में गहरी रुचि इनकी विशेष पहचान बन जाती है। दान-पुण्य के कार्यों में यह अपना समय और संसाधन लगाना पसंद करते हैं।
इस स्थिति में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को कई शास्त्रों का ज्ञान होता है और वे समाज में माननीय स्थान पाते हैं। वाणी की मधुरता और संवाद का विशेष कौशल इन्हें लोकप्रिय बनाता है। सरकारी नौकरी या प्रतिष्ठित पद प्राप्त करने की संभावना अधिक होती है। इनके पास सोना, चांदी, रत्न और विलासितापूर्ण वस्तुओं का संग्रह होना सामान्य बात है। विवाह प्रायः उच्च कुल में होता है और विवाहोपरांत भाग्यवृद्धि व आर्थिक लाभ सुनिश्चित रहता है।
शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति की रुचि संगीत, चित्रकला, साहित्य, नृत्य, अभिनय, फोटोग्राफी जैसी ललित कलाओं में बढ़ती है। ऐसे व्यक्ति देश-विदेश में घूमने के इच्छुक होते हैं और उच्च गुणवत्ता के वस्त्र, आभूषण तथा ब्रांडेड वस्तुएं पसंद करते हैं। विभिन्न संस्कृतियों के लोगों से मित्रता करना इनके स्वभाव का हिस्सा है।
दशम भाव में शुक्र होने से त्वचा आकर्षक और संवेदनशील होती है। संवाद के दौरान या नृत्य करते समय इनकी अदाएं लोगों को आकर्षित करती हैं। खेलकूद में सक्रिय रहने के कारण कभी-कभी चोट लगने की संभावना भी रहती है। यदि तीसरे, चौथे और ग्यारहवें भाव में शुक्र हो तो शतरंज, सट्टेबाजी और हॉर्स रेस जैसी गतिविधियों में रुचि बढ़ सकती है, विशेषकर छोटे शहरों में पले-बढ़े जातकों में।
यदि पंचम या सप्तम भाव में शुक्र के साथ बुध भी हो, तो व्यक्ति अपनी उपलब्धियों, जीवन की चुनौतियों और प्रेम जीवन के विषय में खुलकर बातचीत करता है। यह अपनी रुचियों को पेशे में बदल सकता है, किंतु कई बार परिवार या जीवनसाथी पर निर्भर रहने की प्रवृत्ति रखता है। विशेषकर जब छठे या बारहवें भाव में शुक्र अपनी राशि वृषभ या तुला में स्थित हो और कोई अन्य ग्रह उपस्थित न हो।
इस स्थिति में व्यक्ति दूतावास, अंतरराष्ट्रीय संस्थान, कला, कैटरिंग, शिल्प, डॉक्टर, वैद्य, दवा निर्माण या अन्य उपचार संबंधी कार्यों में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकता है। यदि गुरु चौथे या सप्तम भाव में हो, तो विश्व बैंक, IMF, या एशियाई विकास बैंक जैसी संस्थाओं में कार्य करने का अवसर मिल सकता है।
यदि छठे भाव में सौम्य ग्रह और आठवें व बारहवें भाव में कठोर ग्रह हों, तो यौन संचारित रोगों के प्रति सतर्क रहना आवश्यक है। जल राशि में शुक्र होने पर इनके स्वामी ग्रहों के साथ केंद्र या त्रिकोण संबंध बनता है, जो करियर और प्रतिष्ठा के लिए शुभ है। किंतु यदि मंगल, शनि या राहु का प्रभाव तीसरे, पांचवें, नौवें या ग्यारहवें भाव से पड़े, तो व्यक्ति अवैध व्यापार, तस्करी या प्रतिबंधित वस्तुओं के आयात-निर्यात में संलिप्त हो सकता है।
कभी-कभी व्यक्ति अपनी मां या मातृ-समान महिला के प्रभाव का उपयोग कर करियर में प्रगति करता है। दशम भाव में किसी भी ग्रह की उपस्थिति, महादशा या अंतरदशा जीवन की घटनाओं, आय और प्रतिष्ठा पर गहरा प्रभाव डालती है।
राशि | प्रभाव का सार |
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वृषभ | स्थिरता, उत्कृष्ट योजनाएं, भव्य जीवन शैली |
कन्या | अनुशासन, तर्कशीलता, सटीक निर्णय |
तुला | रोमांटिक स्वभाव, अनुकूलनशीलता |
मीन | करुणा, संवेदनशीलता, आध्यात्मिक झुकाव |
प्र1: क्या दशम भाव में शुक्र विवाह के लिए शुभ है
हाँ, यह प्रायः उच्च कुल में विवाह और विवाहोपरांत भाग्यवृद्धि का संकेत देता है।
प्र2: क्या यह स्थिति करियर में सफलता देती है
हाँ, विशेषकर कला, चिकित्सा और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में।
प्र3: क्या नकारात्मक प्रभाव भी संभव हैं
हाँ, कठोर ग्रहों के प्रभाव से व्यक्ति अवैध कार्यों की ओर भी आकर्षित हो सकता है।
प्र4: क्या विदेश यात्रा के योग बनते हैं
हाँ, विशेषकर जब शुक्र का संबंध जल राशियों या विदेशी संस्थानों से हो।
प्र5: क्या यह स्थिति आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है
अधिकांश मामलों में हाँ, परंतु खर्च और विलासिता पर नियंत्रण आवश्यक है।
अनुभव: 19
इनसे पूछें: विवाह, संबंध, करियर
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि., ओडि, उ.प्र.
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