By पं. अमिताभ शर्मा
लंका के स्वर्णिम वैभव के पीछे छुपी रावण-कुबेर की संघर्ष गाथा, कर्म, धर्म और विनाश की गहराई
कुबेर, ऋषि विश्रवा और उनकी श्रेष्ठ पत्नी देववर्णिनी के पुत्र थे। जन्म से ही उन पर दिव्यता की छाप थी। देवताओं द्वारा उन्हें धन के अधिपति और उत्तर दिशा के रक्षक (दिक्पाल) के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त थी। उनका निवास स्थान था-द्वीपों से घिरी, रहस्यमयी और समृद्ध लंका।
विश्वकर्मा जैसे दिव्य शिल्पकारों ने इस नगर को स्वप्नवत् बना दिया था-सोने के महल, क्रिस्टल की सड़कें, दिव्य पुष्पों और वृक्षों से सुसज्जित बाग़-बगिचे। कुबेरसभा दिव्य ज्ञान और संपन्नता का केंद्र थी, जहाँ ऋषि, गंधर्व और देवगण एकत्र होते।
कुबेर की सबसे अमूल्य संपत्ति थी-'पुष्पक विमान', एक दिव्य तथा मनचाही गति वाला हवाई रथ, जिसे स्वयं ब्रह्माजी ने उन्हें दिया था। कुबेर का राज्य न्यायप्रिय, रौद्रहीन और वैभवशाली था।
लेकिन समय के प्रवाह में कुछ और ही रचा जा रहा था। राक्षसराज सुमाली के आग्रह पर ऋषि विश्रवा ने राक्षसी कैकसी से विवाह किया, जिससे रावण, कुम्भकर्ण, विभीषण और शूर्पणखा उत्पन्न हुए। कुबेर और रावण सौतेले भाई थे।
रावण, अत्यंत बुद्धिमान, शक्तिशाली और महत्वाकांक्षी बने। शिव और ब्रह्मा से प्राप्त वरदानों के साथ रावण ने स्वयं को आगामी समय का चक्रवर्ती सम्राट मान लिया था।
भाई की श्रेष्ठता और वैभव ने रावण के मन में जलन और स्पर्धा का विष बो दिया-“कुबेर की लंका पर मेरा अधिकार क्यों नहीं?” इसी विचार ने अंततः लंका को युद्धभूमि बना दिया।
रावण की पतन की शुरुआत राजनीति से नहीं, बल्कि वासना से हुई। एक बार रावण ने कुबेर के महल में नालकुबेर (कुबेर के पुत्र) की पत्नी रंभा का अनादर कर दिया। रंभा ने बहुत विनती और रोना-काटना किया, पर रावण की कामना ने हर मर्यादा तोड़ दी। जब नालकुबेर को ज्ञात हुआ, तो उसने रावण को गंभीर श्राप दिया-"यदि तू किसी नारी पर बलपूर्वक अधिकार करेगा, तो तेरा मस्तक सौ टुकड़ों में बंट जाएगा।" यही श्राप रावण के लिए एक शृंखला बन गया-यह वही श्राप था जिसने सीता हरण के बाद भी रावण को उन्हें स्पर्श करने से रोके रखा।
इस घटना के बाद भाइयों का संबंध पूरी तरह छिन्न-भिन्न हो गया। रावण की महत्वाकांक्षा और प्रतिशोध की ज्वाला भड़क उठी। उसने अपने वरदानों, तांत्रिक शक्तियों और राक्षसों की सेना के साथ लंका पर आक्रमण किया।
कुबेर, जिन्होंने बस संपन्नता और पवित्रता का जीवन जिया था, युद्ध क्षेत्र में रावण के सामने टिक नहीं सके। शक्तिशाली रावण ने लंका का राज्य, पुष्पक विमान और सभी धन-संपदा छीन ली। हृदय-विदीर्ण किंतु गरिमामयी कुबेर कैलाश पर्वत लौट गए, वहाँ ब्रह्मांड के धनाध्यक्ष और भगवान शिव के पार्षद-भक्त के रूप में दिव्य कर्तव्यों का निर्वहन करने लगे।
लंका पर रावण के शासन की शुरुआत वैभव और प्रताप से हुई। लंका का वैभव दोगुना हुआ, सेनाएँ पुष्ट हुईं, और दुनिया पर रावण का खौफ छा गया।
परंतु अभिमान का दानव भीतर ही भीतर रावण को खोखला करता रहा। सीता अपहरण और श्रीराम के साथ युद्ध-यही कालचक्र रावण के विनाश का कारण बना। वह अभिशाप, जिसने उसे सीता के प्रति मर्यादा में बाँध रखा था, वही उसके पतन की पटकथा बन गया। कुबेर के स्वर्णिम यश के उलट, रावण के अभिमान ने लंका को भस्म कर दिया। वह नगर, जो कभी समृद्धि का प्रतीक थी, अब विनाश की स्मृति बन गई।
कुबेर और रावण की कथा केवल दो भाइयों का संघर्ष नहीं, बल्कि धर्म, कर्म और नियति के गहरे मर्म की व्याख्या है। कुबेर जिन्होंने पुण्य, संयम और भक्ति से वैभव पाया, यथा स्थान टिके रहे। रावण ने शक्ति के बल पर राजसिंहासन छीना, पर उसका अंत वैभव और अहंकार के साथ हुआ।
आध्यात्मिक दृष्टि से कुबेर 'स्थायित्व व न्याय' के प्रतीक हैं-ऐसा धन, जो धर्म के साथ आता है; वहीं रावण 'अत्याचार और अभिमान' से प्राप्त वैभव के विनाश का उदाहरण हैं।
इनकी जीवन यात्रा यह सिखाती है कि अन्यायपूर्वक हड़पी गई समृद्धि कभी टिकती नहीं, और जिसके साथ धर्म नहीं, उसका वैभव अंततः विनाश में बदल जाता है।
प्रमुख पात्र | भूमिका/विशेषता | ऐतिहासिक संदेश |
---|---|---|
कुबेर | धन के देवता, लंका के वैभव के निर्माता | धर्म, संयम और पुण्य से प्राप्त वैभव टिकाऊ है |
रावण | शक्ति-पिपासु, विजय के प्रति असंतुलित | अन्याय, वासना और अभिमान विनाश का कारण हैं |
रंभा | नालकुबेर की पत्नी, उपेक्षित नारित्व | अपमानित स्त्री का शाप भी सम्राट के पतन का कारण बनता है |
पुष्पक विमान | दिव्य यान, सत्ता का प्रतीक | अन्याय से ली गई शक्ति टिकती नहीं |
कुबेर और रावण की लंका का संग्राम आज भी मानव स्वभाव, इच्छाओं और संतुलित जीवन के विचार को झंकृत करता है। यह कथा हमें बताती है कि धर्म, संयम और विवेक से पाया गया वैभव ही चिरस्थायी है, बल, अहंकार और लालसा से छीन ली गई समृद्धि का अंत सदा विनाश में ही होता है।
अनुभव: 32
इनसे पूछें: जीवन, करियर, स्वास्थ्य
इनके क्लाइंट: छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश
इस लेख को परिवार और मित्रों के साथ साझा करें