By अपर्णा पाटनी
जानिए ऋग्वेद के गूढ़ रहस्यों, ब्रह्मांडीय रचनात्मकता और देवताओं के संघर्ष की अनसुनी कथाएँ
भारतीय संस्कृति के प्राचीनतम ग्रंथों में ऋग्वेद का स्थान अनूठा है। संस्कृत के इन सूक्तों में जहां एक ओर वेदकालीन आराधना, यज्ञ और देवप्रार्थना की झलक मिलती है, वहीं दूसरी ओर ब्रह्मांड की रचनात्मकता, जीवन का उद्भव, अराजकता और संतुलन की गहन अनुभूति भी दिखाई देती है। यह केवल मंत्रों और अनुष्ठानों का संग्रह नहीं, बल्कि मानवता के नितांत जिज्ञासु मस्तिष्क की गहराई है - जहाँ ब्रह्मांड, देवता और जीवन के अर्थ को खोजने की चेष्टा नज़र आती है।
विषय | विवरण |
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हिरण्यगर्भ | सृष्टि का पहला बीज, ‘स्वर्ण अंडा’ |
सूर्य व अन्य देवता | सूर्य: समय व जीवन के केंद्र; अन्य देवता: ब्रह्मांड के क्रम के रक्षक |
देव-असुर संघर्ष | न्याय और अराजकता के मध्य संतुलन की खोज |
सोम | अमरता व दिव्यता का अमृत, अनुचित प्रयोग पर संकट |
यज्ञ | ब्रह्मांड का रचनात्मक बलिदान एवं जीवन का प्रवाह |
नासदीय सूक्त | सृष्टि व अस्तित्व का अप्रत्याशित व गूढ़ रहस्य |
ऋग्वेद के छुपे संदेश सिर्फ कथा नहीं, बल्कि मानव चेतना के गहरे सवालों और ब्रह्मांड के सृजन-अराजकता-संतुलन के रहस्यों की विविध परतें हैं। सूर्य का प्रकाश, वायु की लय, जल का प्रवाह, यज्ञ की अग्नि, सोम का आनंद-ये सब हमें ब्रह्मांड के विराट नृत्य और हमारी भूमिका का निरंतर स्मरण कराते हैं।
अगली बार जब सूरज को देखो, या पवन में लय अनुभव करो, याद रखो-तुम स्वयं भी इस ब्रह्मांडीय रचना का अनिवार्य अंश हो। ऋग्वेद के ये गूढ़ प्रकरण हमें निमंत्रण देते हैं - इस सृष्टि के गीत में अपना स्थान खोजना है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, मुहूर्त
इनके क्लाइंट: म.प्र., दि.
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