By अपर्णा पाटनी
जानिए कैसे एलोरा की गुफाओं में स्थित कैलाशा मंदिर बना अद्वितीय वास्तुकला, भक्ति और शिल्प का संगम
भारत की वास्तुकला और अध्यात्मिक विरासत में एलोरा के कैलाशा मंदिर का स्थान अतुलनीय है। यह मंदिर न केवल अपनी बनावट में विलक्षण है, बल्कि अपने निर्माण के हर पहलू में श्रद्धा और आश्चर्य का संगम है।
महाराष्ट्र के प्रसिद्ध एलोरा गुफा समूह में स्थित कैलाशा मंदिर, औरंगाबाद से करीब 30 किलोमीटर दूर पाया जाता है। एलोरा की ये गुफाएँ यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हैं, और कैलाशा मंदिर यहाँ का सबसे बड़ा और आश्चर्यजनक आकर्षण है।
विशेषता | विवरण |
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स्थान | एलोरा गुफाएँ, औरंगाबाद, महाराष्ट्र |
निर्माण काल | राष्ट्रकूट शासक कृष्ण प्रथम, 8वीं सदी |
निर्माण शैली | एकल बासाल्ट चट्टान को ऊपर से नीचे की दिशा में तराशना |
कुल निकाली गई चट्टान | लगभग 2,00,000 टन |
निर्माण का समय | लगभग 18 वर्ष |
प्रमुख विशिष्टता | सीमेंट/सरिया के बिना, पूरी तरह हाथ से तराशा गया |
नक्काशी | रामायण, महाभारत के दृश्य और कई देवी-देवताओं की कलाकृतियाँ |
कैलाशा मंदिर में घूमना केवल स्थापत्य वैभव का अनुभव नहीं, बल्कि भारतीय धर्म, संस्कृति, भक्ति और कला के जीवंत संगम को देखने जैसा है। यह मंदिर न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा है-जो यह सिखाता है कि समर्पण, बुद्धि और श्रद्धा से असंभव को भी संभव किया जा सकता है।
अनुभव: 15
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