By अपर्णा पाटनी
सूर्य के मकर राशि में गोचर से बन रहा है दुर्लभ संयोग, जानें वृश्चिक, मकर और मीन राशि पर इसका प्रभाव।
नव वर्ष का आगमन अपने साथ नई ऊर्जा और आशाएं लेकर आता है। इस नई शुरुआत के ठीक बाद, हिंदू पंचांग का पहला और महत्वपूर्ण पर्व मकर संक्रांति आता है, जो प्रकृति और आस्था के गहरे संबंध को दर्शाता है। यह केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि सूर्य देव की एक महत्वपूर्ण यात्रा का प्रतीक है, जब वे अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ते हुए उत्तरायण होते हैं। वर्ष 2025 में यह दिन और भी विशेष होने वाला है, क्योंकि ग्रहों और नक्षत्रों का एक ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है, जो कई वर्षों में एक बार देखने को मिलता है। इस दिन सूर्य का शनि की राशि मकर में प्रवेश, कुछ राशियों के लिए सौभाग्य के नए द्वार खोलने जा रहा है।
इस बार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होगा, जो इस गोचर को और भी प्रभावशाली बनाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सूर्य के इस गोचर से ठीक 12 वर्षों के बाद सूर्य और गुरु का नवम पंचम योग बन रहा है। इस योग में सूर्य और गुरु एक दूसरे से नौवें और पांचवें भाव में स्थित होंगे, जो ज्ञान, भाग्य, और सम्मान में वृद्धि करने वाला एक अत्यंत शुभ ज्योतिषीय संयोग है। आइए विस्तार से जानें कि यह दिव्य योग किन राशियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लेकर आएगा।
सूर्य का गोचर आपकी राशि से तीसरे भाव में हो रहा है, जो आपके पराक्रम, साहस और संचार का स्थान है।
सूर्य देव गोचर करके आपकी ही राशि के लग्न भाव यानी प्रथम भाव में विराजमान होंगे, जो आपके व्यक्तित्व और आत्मा का प्रतीक है।
सूर्य देव का गोचर आपकी राशि से ग्यारहवें भाव में होगा, जिसे ज्योतिष में लाभ और इच्छाओं की पूर्ति का भाव माना जाता है।
मकर संक्रांति का यह पर्व केवल परंपराओं का निर्वहन नहीं है, बल्कि यह सूर्य की ऊर्जा से प्रेरित होकर जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक अवसर है। 12 वर्षों बाद बनने वाला यह नवम पंचम योग इन भाग्यशाली राशियों को यह संदेश दे रहा है कि मेहनत और सही दिशा में किए गए प्रयास उन्हें नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।
अनुभव: 15
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