By पं. अभिषेक शर्मा
पंच महापुरुष योग का निर्माण, असर, प्रकार, ऐतिहासिक उदाहरण और जीवन संदेश

भारतीय ज्योतिषशास्त्र में पंच महापुरुष योग को जीवन की दिशा बदलने वाले योगों में सबसे शक्तिशाली और शुभ माना जाता है। यह योग केवल भाग्य और सफलता का ही नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति, सेवा, समाज-सुधार और नेतृत्व का भी सूचक है। उपनिषदों, बृहज्जातक, फलदीपिका, ब्रह्मसूत्र, रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथों में पंच योगों की शक्ति का वर्णन मिलता है। पंच महापुरुष योग से जुड़े अनेक राजा, वैज्ञानिक, संत, विचारक और कलाकारों के जीवन का संस्थान इसी योग की देन है।
यह योग तब बनता है जब मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र या शनि में से कोई ग्रह अपनी उच्च या स्वराशि में केंद्र भाव (प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, दशम) में स्थित होता है। इन ग्रहों की सकारात्मक शक्ति, शुभ भाव और कुंडली में अन्य योगों के सहयोग से योग आदर्श बनता है। आधुनिक एवं परंपरागत ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों का बल, गोचर दशा, नवांश और चंद्र कुंडली का साथ मिलना योग को पूर्णतया प्रबल बनाता है।
| योग का नाम | ग्रह | उच्च/स्वगृह राशि | केंद्र भाव | ऐतिहासिक संदर्भ |
|---|---|---|---|---|
| भद्र योग | बुध | मिथुन, कन्या | 1, 4, 7, 10 | श्री रामानुज |
| मालव्य योग | शुक्र | वृषभ, तुला, मीन | 1, 4, 7, 10 | रवींद्रनाथ टैगोर |
| रुचक योग | मंगल | मेष, वृश्चिक, मकर | 1, 4, 7, 10 | झाँसी की रानी |
| हंस योग | बृहस्पति | धनु, मीन, कर्क | 1, 4, 7, 10 | आद्य शंकराचार्य |
| शश योग | शनि | मकर, कुंभ, तुला | 1, 4, 7, 10 | सरदार पटेल |
भद्र योग मानसिक शक्ति, तार्किक दृष्टिकोण, अच्छा स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा, तेज बुद्धि और व्यापारी सफलता देता है। ऐसे व्यक्तित्व गहन विचारशील, समाधान-प्रधान और संवाद में ख़ास होते हैं।
इनके शब्दों में स्पष्टता, प्रभावशीलता और सूझबूझ दिखती है। इतिहास में कई पंडित, विद्वान, नायक, सफल शिक्षक इसी योग की वजह से प्रसिद्धि पाए।
मालव्य योग प्रेम, सौंदर्य, कला, संगीत, उत्कृष्टता, सुख-सुविधा और सामाजिक सम्मान का परिचायक है।
इस योग के प्रभाव से व्यक्ति सर्वांगीण आकर्षण, भव्य व्यक्तित्व, रचनात्मक ऊर्जा, सफल प्रेम संबंधों और व्यावसायिक उन्नति को जीता है।
ऐसे व्यक्ति समाज में कला, फैशन, डिजाइनिंग, साहित्य और चिकित्सकीय क्षेत्रों में नाम कमाते हैं।
रुचक योग साहस, प्रतिस्पर्धा, खेल, सैन्य क्षमता, उद्देश्यपरकता, उच्च आत्मबल और तेज निर्णय क्षमता का कारण है।
ऐसे लोग चुनौतियों को स्वीकार कर इतिहास बनाते हैं।
इनकी लीडरशिप और टारगेट के प्रति समर्पण उच्चतम स्तर पर होता है जिससे ईमानदार, न्यायप्रिय और ठोस निर्णय लेनेवाले नेता निकलते हैं।
हंस योग शिक्षा, दर्शन, अध्यात्म, नीति, न्याय, प्रतिबद्ध सेवा, उच्च सोच, वाणी में प्रभाव और आदर्श नेतृत्व देता है।
ऐसे व्यक्ति संत-सुलभ, शिक्षक, नीति-निर्माता, मार्गदर्शक, निर्णायक और नैतिक बल के साथ समाज का आदर्श बनते हैं।
इनमें गहरी समझ, परिश्रम, नैतिकता और विद्वता निहित रहती है।
शश योग प्रारंभ में संघर्ष, देर से सफलता, लेकिन गहरी सोच, निरंतर प्रयास, नेतृत्व तथा समाज एवं देश की सेवा के गुण देता है।
इस योग से जातक नियम, अनुशासन, प्रणाली और न्याय के क्षेत्र में विशेष प्रतिष्ठा और सम्मान पाता है।
दूसरों के हित में कठोर निर्णय करने की क्षमता इन्हें समाज में उत्कृष्ट नेता और प्रशासक बनाती है।
| योग | प्रमुख गुण | जीवन के क्षेत्र | अतिरिक्त ऐतिहासिक उदाहरण |
|---|---|---|---|
| भद्र | बुद्धि, वाणी | शिक्षा, संवाद, व्यापार | चाणक्य, विदुर |
| मालव्य | आकर्षण, कला | संगीत, चित्रकला, फैशन | लता मंगेशकर, अमृता शेरगिल |
| रुचक | साहस, शक्ति | सेना, खेल, अन्वेषण | वीर शिवाजी, सचिन तेंडुलकर |
| हंस | ज्ञान, नेतृत्व | शिक्षा, धर्म, न्याय | स्वामी विवेकानंद |
| शश | अनुशासन, नेतृत्व | प्रशासन, न्यायालय, मिनिस्ट्री | लक्ष्मीबाई, भीम राव अम्बेडकर |
ग्रहों में नीचता, पीड़ा, अस्त स्थिति, अशुभ दृष्टि, या कुंडली में प्रतिकूल गोचर होने पर योग कमजोर या निष्प्रभावी हो सकता है।
मूल कुंडली की संपूर्णता, जन्म का समय, स्थान, वंशानुगत प्रभाव और ग्रहों की चल-अचल स्थिति से योग की शक्ति तय होती है।
| कमजोरी के कारण | योग का असर |
|---|---|
| ग्रह नीच या अस्त | योग निष्प्रभावी |
| अशुभ ग्रहों की नजर | शक्ति बेअसर |
| भाग्य कमजोर | सफलता बाधित |
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, शुभ गोचर, दशा, जातक की स्वभाविक प्रवृत्ति और परिवार का सहयोग भी योग को मजबूती देने वाले तत्व हैं।
योग की प्रबलता से शिक्षा, समझ, सेवा, व्यवहार, सम्मान, नेतृत्व, आर्थिक विकास, न्याय-प्रियता और समाज में लोकप्रियता बढ़ती है।
इसके हर योग का अलग गुण है - जैसे बुद्धि, सौंदर्य, शक्ति, ज्ञान और अनुशासन - जो मनुष्य के व्यक्तित्व को सर्वांगीण बनाता है।
हां, योग से व्यक्ति अपनी सोच, नेतृत्व और सद्गुणों से परिवार व समाज की दिशा बदल सकता है।
ग्रहों के अनुसार मंत्र, रत्न, शांति, पूजा, सेवा, अनुशासन व नीति की साधना करना आवश्यक है।
बृहज्जातक, फलदीपिका, ब्रह्मसूत्र, रामायण, महाभारत, संस्कृत विमर्श, पुराणों और उपनिषदों में पंच योगों की शक्ति का उल्लेख मिलता है।
पंच महापुरुष योग जीवन में न केवल सुख, पद, धन, प्रसिद्धि देता है बल्कि समर्पण, साधना, नीति, नेतृत्व, न्याय व सेवा की ऊर्जा भी प्रदान करता है।
इस योग का सार विनम्रता, संयम, समाज सेवा और उत्कृष्टता में समाहित है।
योग मिलने पर व्यक्ति संघर्षों को पार कर, समाज के लिए प्रेरणा और नेतृत्व का स्रोत बनता है।

अनुभव: 19
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