By पं. सुव्रत शर्मा
धान की खेती, वर्षा और पारिवारिक परंपराओं से जुड़ी आर्द्रा नक्षत्र की सांस्कृतिक और वैज्ञानिक यात्रा
बिहार की कृषि, लोक-संस्कृति और मानसून का सबसे सुंदर मिलन आर्द्रा नक्षत्र (जिसे स्थानीय भाषा में 'अदरा' कहा जाता है) के आगमन पर देखने को मिलता है। यह नक्षत्र केवल खगोलीय घटना नहीं, बल्कि वर्षा ऋतु की शुरुआत, धान की रोपाई, पारिवारिक उत्सव और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है। बिहार में आद्रा नक्षत्र की परंपराएँ मानसून और खेती से इतनी गहराई से जुड़ी हैं कि इसका इंतजार हर किसान और हर परिवार पूरे साल करता है।
परंपरा/घटना | महत्व/अर्थ |
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आर्द्रा नक्षत्र का आगमन | मानसून की शुरुआत, खेतों में नमी |
धान की रोपाई | फसल के लिए सर्वोत्तम समय, अधिक उत्पादन |
खीर-पूड़ी, दाल, आम | परिवार में सुख-समृद्धि की कामना, इंद्र-पूजन |
लोकगीत, कहावतें | किसानों की आशा, मौसम की भविष्यवाणी, प्रकृति से जुड़ाव |
सामूहिक उत्सव | सामाजिक एकता, परंपरा और विज्ञान का संगम |
बिहार में आर्द्रा नक्षत्र की परंपराएँ मानसून और खेती से इतनी गहराई से जुड़ी हैं कि यह नक्षत्र केवल मौसम नहीं, बल्कि संस्कृति, आस्था, विज्ञान और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का पर्व बन गया है। आर्द्रा नक्षत्र: जहाँ नमी है, वहाँ जीवन है-जहाँ खेतों में पानी है, वहाँ हरियाली और समृद्धि है। यह परंपरा हमें सिखाती है कि प्रकृति के साथ तालमेल, सामूहिकता और आभार ही जीवन के असली आधार
अनुभव: 27
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