By अपर्णा पाटनी
जानिए भरणी नक्षत्र के चार पादों की विशेषताएं, स्वभाव, करियर दिशा और ज्योतिषीय महत्व
भरणी नक्षत्र वैदिक ज्योतिष के 27 नक्षत्रों में दूसरा स्थान रखता है। यह नक्षत्र जीवन के पोषण, सृजन, परिवर्तन और कर्म के गहन रहस्यों का प्रतीक माना जाता है। "भरणी" शब्द का अर्थ है “धारण करने वाला”। यह स्त्री ऊर्जा, जन्म, पालन-पोषण और मृत्यु के चक्र का प्रतिनिधित्व करता है। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शुक्र है और इसके अधिष्ठाता देवता यम हैं, जिन्हें न्याय, धर्म और कर्मफल का देवता माना जाता है। भरणी नक्षत्र मेष राशि (13°20' से 26°40') के भीतर आता है। इसका प्रतीक योनि है, जो सृष्टि, जन्म और नए जीवन का द्योतक है।
तत्व | विवरण |
---|---|
नक्षत्र क्रम | 2 (दूसरा) |
राशि | मेष |
डिग्री सीमा | 13°20' - 26°40' मेष |
स्वामी ग्रह | शुक्र |
अधिष्ठाता देवता | यम (मृत्यु और न्याय के देवता) |
प्रतीक | योनि (स्त्री जननांग) |
तत्व | पृथ्वी |
गुण | राजसिक |
गण | मानव (मनुष्य) |
नाड़ी | मध्यम |
शुभ अक्षर | ली, लू, ले, लो |
वृक्ष | आँवला |
पक्षी | हंस |
रंग | रक्त लाल |
भरणी नक्षत्र की उत्पत्ति का संबंध दक्ष प्रजापति की पुत्री भरणी से माना जाता है, जिनका विवाह चंद्रमा से हुआ था। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस नक्षत्र के देवता यम हैं, जो मृत्यु, न्याय और कर्म के अधिपति हैं। यम केवल मृत्यु के देवता ही नहीं, बल्कि न्याय और पुनर्जन्म के प्रतीक भी हैं। भरणी नक्षत्र आत्मा की उस यात्रा का दर्पण है, जिसमें जीव एक शरीर त्यागकर दूसरे शरीर को धारण करता है। यह जीवन की शुरुआत और अंत के बीच का सेतु है, जिसमें जन्म, पालन-पोषण, परिवर्तन और अंत - सभी चरण सम्मिलित होते हैं।
भरणी नक्षत्र (मेष 13°20' - 26°40') का प्रत्येक पाद जातक के स्वभाव, सोच, जीवन के उद्देश्य और करियर की दिशा में अलग-अलग रंग भरता है। वैदिक ज्योतिष में नक्षत्र के पादों का महत्व अत्यंत गहरा है, क्योंकि यही सूक्ष्म अंतर व्यक्ति की मूल प्रकृति और जीवन की दिशा तय करते हैं। नीचे भरणी के चारों पादों का विस्तार से विश्लेषण प्रस्तुत है।
भरणी नक्षत्र (मेष 13°20' - 26°40') का प्रत्येक पाद जातक के स्वभाव, सोच, जीवन के उद्देश्य और करियर की दिशा में अलग-अलग रंग भरता है। वैदिक ज्योतिष में नक्षत्र के पादों का महत्व अत्यंत गहरा है, क्योंकि यही सूक्ष्म अंतर व्यक्ति की मूल प्रकृति और जीवन की दिशा तय करते हैं। नीचे भरणी के चारों पादों का विस्तार से विश्लेषण प्रस्तुत है।
विशेषता | विवरण |
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नवांश राशि | सिंह |
स्वामी ग्रह | सूर्य |
मुख्य गुण | महत्वाकांक्षा, आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता, रचनात्मकता |
प्रमुख स्वभाव | महत्वाकांक्षी, जिद्दी, आत्मनिर्भर, कभी-कभी स्वार्थी |
करियर रुचि | प्रशासन, राजनीति, खेल, नृत्य, अभिनय, कला |
विशेषता | विवरण |
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नवांश राशि | कन्या |
स्वामी ग्रह | बुध |
मुख्य गुण | मेहनती, व्यावहारिक, विश्लेषणात्मक, परोपकारी |
प्रमुख स्वभाव | अनुशासित, संगठित, सेवा-भाव, विवेकशील |
करियर रुचि | शिक्षा, चिकित्सा, लेखन, प्रशासन, समाज सेवा |
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विशेषता | विवरण |
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नवांश राशि | तुला |
स्वामी ग्रह | शुक्र |
मुख्य गुण | सामंजस्य, आकर्षण, सौंदर्यबोध, न्यायप्रियता, विलासिता |
प्रमुख स्वभाव | सामाजिक, आकर्षक, संतुलनप्रिय, कलात्मक |
करियर रुचि | कला, संगीत, फैशन, न्याय, काउंसलिंग, व्यापार |
विशेषता | विवरण |
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नवांश राशि | वृश्चिक |
स्वामी ग्रह | मंगल |
मुख्य गुण | तीव्र ऊर्जा, गहराई, अन्वेषण, साहस, रहस्यप्रियता |
प्रमुख स्वभाव | उत्साही, उत्पादक, गूढ़, शोधप्रिय, कभी-कभी गुप्त स्वभाव |
करियर रुचि | अनुसंधान, चिकित्सा, मनोविज्ञान, रक्षा, अन्वेषण, गूढ़ विद्या |
पाद | नवांश राशि | स्वामी ग्रह | मुख्य गुण/स्वभाव | करियर रुचि |
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प्रथम | सिंह | सूर्य | महत्वाकांक्षा, नेतृत्व | प्रशासन, कला, खेल |
द्वितीय | कन्या | बुध | मेहनती, सेवा-भाव | शिक्षा, चिकित्सा, समाज सेवा |
तृतीय | तुला | शुक्र | सामंजस्य, आकर्षण, सौंदर्य | कला, न्याय, व्यापार |
चतुर्थ | वृश्चिक | मंगल | तीव्र ऊर्जा, अन्वेषण | अनुसंधान, चिकित्सा, रक्षा |
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भरणी नक्षत्र के चारों पाद जातक के जीवन, स्वभाव और करियर की दिशा को अलग-अलग ढंग से प्रभावित करते हैं। सिंह नवांश का पाद नेतृत्व और महत्वाकांक्षा देता है, कन्या नवांश सेवा-भाव और अनुशासन, तुला नवांश सौंदर्यबोध और सामंजस्य, जबकि वृश्चिक नवांश गहराई, अन्वेषण और तीव्र ऊर्जा का संचार करता है। इनकी सही समझ व्यक्ति को अपने जीवन के उद्देश्य, करियर और संबंधों में संतुलन और सफलता दिला सकती है।
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