By अपर्णा पाटनी
भरणी नक्षत्र के अधिपति, यम देव मृत्यु, कर्म और धर्म का संतुलन सिखाते हैं
वैदिक संस्कृति में यम केवल मृत्यु के देवता नहीं, बल्कि धर्म, न्याय और जीवन-मृत्यु चक्र के संतुलन के प्रतीक हैं। इन्हें "धर्मराज" (धर्म के राजा) और "काल" (समय) भी कहा जाता है। यम दक्षिण दिशा के अधिपति, पितृलोक के स्वामी और कर्मफल के निर्धारक हैं। भरणी नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता के रूप में, यम मनुष्य के जीवन में नैतिकता, न्याय और आध्यात्मिक जवाबदेही का प्रतिनिधित्व करते हैं।
तत्व | विवरण |
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अधिष्ठाता नक्षत्र | भरणी (मेष राशि 13°20'-26°40') |
माता-पिता | सूर्य देव (विवस्वान्) और संज्ञा (सरण्यू) |
भाई-बहन | यमुना (जुड़वां बहन), अश्विनी कुमार, शनि, मनु, रेवंत, तपती |
वाहन | भैंसा |
आयुध | गदा (कर्म का प्रतीक), पाश (आत्मा को बाँधने का प्रतीक) |
सहयोगी | चित्रगुप्त (कर्म-लेखा), कालभैरव, दो चतुरक्षी कुत्ते (सर्वदर्शी) |
लोकपाल | दक्षिण दिशा के अधिपति |
ऋग्वेद (10.14.1) के अनुसार, यम प्रथम मनुष्य थे जिन्होंने मृत्यु का मार्ग खोजा। इनका जन्म सूर्य देव और संज्ञा के यहाँ हुआ। संज्ञा के तपस्या हेतु चले जाने पर, सूर्य के अश्रुओं से यम का जन्म हुआ। इस कारण इन्हें "मृत्यु का पुत्र" कहा गया।
यम की जुड़वाँ बहन यमुना (नदी देवी) हैं। पुराणों में वर्णित है कि यमुना के आग्रह पर यम ने घोषणा की: "जो भाई बहन के प्रेम से यमुना में स्नान करेगा, उसे मृत्यु का भय नहीं रहेगा।" इसी से भाई-बहन के त्योहार "यम द्वितीया" की उत्पत्ति हुई।
महाभारत (वनपर्व) में वर्णित है कि सावित्री ने अपनी तपस्या से यमराज को प्रसन्न कर पति सत्यवान के प्राण वापस लिए। यह कथा यम की न्यायप्रियता और धर्म के प्रति समर्पण को दर्शाती है।
यमराज चित्रगुप्त द्वारा लिखित "कर्म-पुस्तिका" के आधार प्राणियों का न्याय करते हैं। गरुड़ पुराण (अध्याय 12) में वर्णित है कि यमलोक में:
स्कंद पुराण के अनुसार, यम दो रूपों में कार्य करते हैं:
विष्णु पुराण (2.2.7) में यम को दक्षिण दिशा का लोकपाल माना गया है। यह दिशा मृत्यु, पितृऋण और आध्यात्मिक परिवर्तन का प्रतीक है।
भरणी नक्षत्र (मेष राशि) में जन्मे जातकों पर यम का विशेष प्रभाव होता है:
"भरणी जातक यम के प्रतिनिधि हैं - वे जीवन में न्याय, साहस और कर्म-साक्षी भाव का संदेश देते हैं।"
यम को बौद्ध धर्म में "धर्मराज" और जैन धर्म में "काल" कहा गया। तिब्बती बौद्ध धर्म में इन्हें "शिनजे" कहते हैं, जो कर्मानुसार नवजाति निर्धारित करते हैं।
भारत में यम को "सड़क सुरक्षा देवता" माना जाता है। यातायात नियमों के उल्लंघन को यम के न्याय से जोड़ा जाता है।
"यम न्याय के देवता हैं - वे हमें याद दिलाते हैं कि प्रत्येक कर्म का लेखा-जोखा होता है।"
यम देवता का व्यक्तित्व मनुष्य को धर्म, न्याय और आत्म-जिम्मेदारी की प्रेरणा देता है। भरणी नक्षत्र के अधिष्ठाता के रूप में, वे जातकों में साहस, नैतिक बल और कर्म के प्रति सजगता का संचार करते हैं। यम का आशीर्वाद मनुष्य को अधर्म से बचाता है और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
अनुभव: 15
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