नक्षत्र की परिभाषा
वैदिक ज्योतिष में 'नक्षत्र' शब्द का अर्थ है “जो क्षय न हो” — अर्थात् स्थायी तारा समूह। यह आकाश के वे खगोलीय बिंदु हैं जिनके आधार पर चंद्रमा अपनी गति पूरी करता है। चंद्रमा लगभग 27.3 दिनों में पृथ्वी की परिक्रमा करता है और इस दौरान वह 27 नक्षत्रों से होकर गुजरता है। इसलिए एक माह को 'नक्षत्र मास' कहा जाता है। प्रत्येक नक्षत्र 13 अंश 20 कला (13°20′) का होता है और उसे चार चरणों (पदों) में बाँटा जाता है।
नक्षत्र बनाम राशि
- राशि: आकाश के 12 खंड, प्रत्येक 30 डिग्री का, जिन्हें सूर्य की गति से जोड़ा जाता है।
- नक्षत्र: आकाश के 27 खंड, प्रत्येक 13°20′, जिन्हें चंद्रमा की गति से जोड़ा जाता है।
नक्षत्रों के गुण और स्वभाव
नीचे 27 नक्षत्रों का संक्षिप्त वर्णन उनके स्वभाव, प्रतिनिधि देवता और ग्रह स्वामी के साथ प्रस्तुत है:
1. अश्विन नक्षत्र
- 27 नक्षत्रों में प्रथम और अत्यंत महत्वपूर्ण।
- जातक ऊर्जावान, सक्रिय और महात्वाकांक्षी होते हैं।
- स्वभाव में बेचैनी, कार्यों में जल्दबाज़ी।
- निरंतर प्रयासों से उन्नति।
- दांपत्य जीवन सुखमय।
2. भरणी नक्षत्र
- स्वामी: शुक्र।
- आराम पसंद, आकर्षक, मिलनसार।
- सामाजिक प्रतिष्ठा में रुचि।
- प्रेम और सहयोग में विश्वास।
3. कृत्तिका नक्षत्र
- स्वामी: सूर्य।
- प्रबल आत्मसम्मान, परिश्रमी।
- भरोसा आसानी से नहीं करते।
- संबंधों में गंभीरता।
4. रोहिणी नक्षत्र
- स्वामी: चंद्र।
- कल्पनाशील, आकर्षक, रोमांटिक।
- निर्णय में अस्थिरता, भौतिक सुखों में रुचि।
5. मृगशिरा नक्षत्र
- स्वामी: मंगल।
- साहसी, परिश्रमी, संगीतप्रेमी।
- धोखा नहीं सहन करते।
6. आर्द्रा नक्षत्र
- प्रभाव: बुध + राहु।
- रणनीति में प्रवीण, गहरी सोच वाले।
- परिस्थितियों में अनुकूलन की क्षमता।
7. पुनर्वसु नक्षत्र
- दिव्य गुणों से युक्त, आध्यात्मिक।
- कठिनाइयों से सहज उभरते हैं।
- मजबूत स्मरण शक्ति, सहयोगी।
8. पुष्य नक्षत्र
- स्वामी: शनि।
- सेवा भावना, संयमित जीवन, शुभ नक्षत्रों में एक।
- क्रमिक सफलता प्राप्त करते हैं।
9. आश्लेषा नक्षत्र
- चतुर, अवसरवादी, व्यवसाय में सफल।
- संबंधों में स्वार्थ संभावित।
- प्रभावित करने में सक्षम।
10. मघा नक्षत्र
- स्वामी: सूर्य, गण्डमूल नक्षत्र।
- प्रभुत्वशाली, धार्मिक, स्वस्थापना की तीव्र इच्छा।
11. पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र
- संगीत, कला, शांति पसंद।
- भौतिक सुखों की ओर आकर्षण।
- नैतिकता में विश्वास।
12. उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र
- बुद्धिमान, संतुलित, धैर्यवान।
- सरकारी कार्यों में सफलता।
- स्थिर लेकिन धीमी प्रगति।
13. हस्त नक्षत्र
- व्यवसायिक समझ, निर्णय में भ्रम।
- भौतिक सुख प्राप्त करते हैं।
14. चित्रा नक्षत्र
- प्रभाव: मंगल।
- समाज सेवा, धैर्य, साहस।
15. स्वाति नक्षत्र
- मधुर भाषी, राजनीति में कुशल।
- हर परिस्थिति में समायोजन।
16. विशाखा नक्षत्र
- तेज़ दिमाग, महत्वाकांक्षी, सामाजिकता प्रबल।
- योजनाबद्ध कार्यशैली।
17. अनुराधा नक्षत्र
- आदर्शवादी, भावुक, कटु वाणी से नुकसान संभव।
18. ज्येष्ठा नक्षत्र
- गण्डमूल, संघर्षमय जीवन, तुनकमिजाज।
19. मूल नक्षत्र
- गण्डमूल में सबसे अशुभ माना गया।
- बुद्धिमान, संयमी, त्यागी, समाज हितकारी।
20. पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र
- खुशमिजाज, कला व साहित्य प्रेमी।
- मित्रों के साथ मजबूत संबंध।
21. उत्तराषाढ़ा नक्षत्र
- आशावादी, सामाजिक दायरा बड़ा, आर्थिक रूप से स्थिर।
22. श्रवण नक्षत्र
- माता-पिता के प्रति समर्पण।
- कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार, सोच-समझकर खर्च।
23. घनिष्ठा नक्षत्र
- ऊर्जावान, लक्ष्य साधक, शांतिप्रिय।
24. शतभिषा नक्षत्र
- आलसी, बुद्धिमान, स्वतंत्र सोच, नियमों से परे।
25. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र
- सत्यप्रिय, धार्मिक, ज्योतिष में रुचि।
- समाज में आदर्श दृष्टिकोण।
26. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र
- यथार्थवादी, त्यागी, स्थिर और सरल स्वभाव।
27. रेवती नक्षत्र
- ईमानदार, धार्मिक, मृदुभाषी, ज्ञानप्रिय, प्रायोगिक सूझबूझ।
नक्षत्रों से स्वयं की पहचान
नक्षत्रों का स्वभाव हमारे जीवन की दिशा और दृष्टिकोण को गहराई से प्रभावित करता है। हर नक्षत्र अपने साथ एक खास ऊर्जा, गुण और चुनौती लेकर आता है। जब हम अपने नक्षत्र को समझते हैं, तो हम न केवल अपने स्वभाव को बेहतर ढंग से जान पाते हैं, बल्कि जीवन में सही निर्णय लेने की दिशा में भी आगे बढ़ते हैं। यही आत्मबोध, आत्मविकास की पहली सीढ़ी है।