By पं. संजीव शर्मा
जब धरती पर जीवन संकट में था, तब बृहस्पति के ज्ञान और सेवा भाव ने जीवन में अमृत ऊर्जा लौटाई
भारतीय पुराणों और वेदों में पृथ्वी माता को जीवन, पोषण और सहनशीलता का प्रतीक माना गया है। वहीं, बृहस्पति को देवताओं का गुरु और ज्ञान का अमृत कहा गया है। इन दोनों की एक अद्भुत कथा है, जो न केवल पुष्य नक्षत्र की पोषण और करुणा की शक्ति को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि जब संसार में संकट आता है, तो ज्ञान, करुणा और सहयोग से ही जीवन में फिर से ऊर्जा और संतुलन लौटता है।
एक समय की बात है, जब पृथ्वी पर हिंसा, पाप और पीड़ा इतनी बढ़ गई कि जीव-जंतु, वनस्पति और स्वयं पृथ्वी माता भी दुखी हो गईं। अत्याचार और अधर्म के बोझ से पृथ्वी माता ने अपनी शक्ति समेट ली और स्वयं को पत्थर के रूप में बदल लिया। परिणामस्वरूप, धरती पर जीवन संकट में आ गया-नदियाँ सूखने लगीं, फसलें नष्ट होने लगीं और जीव-जंतु भूख-प्यास से तड़पने लगे।
जब देवताओं ने देखा कि पृथ्वी पर जीवन संकट में है, तो वे अत्यंत चिंतित हो उठे। सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे और प्रार्थना की-“हे नारायण! पृथ्वी माता ने खुद को पत्थर बना लिया है, जीवन का चक्र रुक गया है, कृपया कोई उपाय बताइए।” भगवान विष्णु ने देवताओं को धैर्य रखने और ऋषियों की सहायता लेने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि केवल ज्ञान, तप और करुणा से ही पृथ्वी माता को पुनः जागृत किया जा सकता है।
ऋषियों ने विचार-विमर्श किया और एक अनूठी युक्ति निकाली। उन्होंने बृहस्पति से अनुरोध किया कि वे बछड़े का रूप धारण करें। बृहस्पति, जो स्वयं ज्ञान और धर्म के प्रतीक हैं, बछड़े के रूप में पृथ्वी माता के पास गए। अन्य देवताओं और ऋषियों ने पृथ्वी माता के चारों ओर यज्ञ और स्तुति की। बृहस्पति ने बछड़े के रूप में पृथ्वी माता का दूध दुहा-यह दूध केवल पोषण का नहीं, बल्कि _ज्ञान, अमृत और जीवन ऊर्_जा का प्रतीक था। जैसे ही बृहस्पति ने दूध प्राप्त किया, पृथ्वी माता पुनः जागृत हो गईं, धरती पर हरियाली लौट आई, नदियाँ बहने लगीं और जीवन में फिर से ऊर्जा का संचार हुआ।
पृथ्वी माता, बृहस्पति और अमृत के दूध की यह कथा केवल पौराणिक नहीं, बल्कि आज के जीवन के लिए भी उतनी ही प्रासंगिक है। यह कहानी पुष्य नक्षत्र की तरह हमें सिखाती है कि जीवन में पोषण, करुणा और ज्ञान का अमृत ही सबसे बड़ा धन है। अगर आपको यह कथा प्रेरक लगी हो, तो इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ जरूर साझा करें-क्योंकि ज्ञान और करुणा जितना बांटेंगे, जीवन उतना ही सुंदर और समृद्ध होगा। पुष्य नक्षत्र - जहां पोषण, करुणा और ज्ञान का अमृत हर आत्मा को जीवन देता है।
अनुभव: 15
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