By पं. सुव्रत शर्मा
प्रेम, मोह, क्षमा और बुद्ध ग्रह की उत्पत्ति से जुड़ी यह कथा आज के संबंधों में भी गहरी सीख देती है
भारतीय पुराणों और वेदों में केवल देवताओं की शक्ति ही नहीं, बल्कि उनके संबंधों, भावनाओं और मानवीय कमजोरियों की भी गहरी झलक मिलती है। ऐसी ही एक रहस्यमयी और शिक्षाप्रद कथा है - तारा, चंद्रमा और बृहस्पति की, जिसमें प्रेम, मोह, ईर्ष्या, क्षमा और संबंधों की परीक्षा का अद्वितीय संगम है। यह कहानी न केवल वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह की उत्पत्ति से जुड़ी है, बल्कि हर युग के पाठकों के लिए गहरा संदेश भी देती है।
बृहस्पति, जिन्हें देवताओं का गुरु और धर्म का संरक्षक माना जाता है, उनकी पत्नी तारा अपनी सुंदरता, बुद्धिमत्ता और आकर्षण के लिए प्रसिद्ध थीं। तारा की उपस्थिति स्वर्ग में सभी को आकर्षित करती थी, लेकिन उनके मन में एक गहरी बेचैनी थी, जिसे कोई नहीं समझ पाता था।
चंद्रमा (सोम) अपनी शीतलता, सौंदर्य और आकर्षक व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे। स्वर्ग में जब तारा और चंद्रमा का आमना-सामना हुआ, तो दोनों के बीच एक अनकहा आकर्षण जाग उठा। तारा चंद्रमा की ओर खिंचने लगीं। चंद्रमा भी तारा की बुद्धिमत्ता और सुंदरता से मोहित हो गए। धीरे-धीरे तारा ने बृहस्पति का घर छोड़ दिया और चंद्रमा के साथ चली गईं।
तारा के चले जाने से बृहस्पति अत्यंत दुखी और क्रोधित हुए। उन्होंने तारा को वापस लाने का प्रयास किया, लेकिन चंद्रमा तारा को लौटाने को तैयार नहीं थे। यह विवाद इतना बढ़ गया कि देवताओं और असुरों के बीच भी मतभेद उत्पन्न हो गए। इंद्र, शनि और अन्य देवता बृहस्पति के पक्ष में थे, जबकि कुछ असुर और अन्य ग्रह चंद्रमा के साथ। स्वर्ग में अशांति फैल गई।
जब विवाद चरम पर पहुंच गया, तब ब्रह्मा जी ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने तारा से पूछा कि वह किसके साथ रहना चाहती हैं। तारा ने अपनी गलती स्वीकार की और बृहस्पति के पास लौटने का निर्णय लिया। बृहस्पति ने तारा को क्षमा कर दिया, लेकिन तब तक तारा गर्भवती हो चुकी थीं।
तारा ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम रखा गया ‘बुध’। लेकिन यह विवाद यहीं नहीं थमा - क्योंकि बृहस्पति और चंद्रमा दोनों ने बुध को अपना पुत्र मानने का दावा किया। अंततः तारा ने स्वीकार किया कि बुध चंद्रमा के पुत्र हैं। बृहस्पति ने इस सत्य को स्वीकार किया और बुध को आशीर्वाद दिया।
यह कथा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है - जब जीवन में रिश्तों की परीक्षा हो, तो मोह, ईर्ष्या और क्रोध की जगह संवाद, क्षमा और सत्य को अपनाएं। बुध की तरह, हर उलझन के बाद एक नई बुद्धि, नई शुरुआत और संतुलन का जन्म होता है।
अगर आपको यह कथा रोचक और प्रेरक लगी हो, तो इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ जरूर साझा करें। शायद किसी के जीवन में आज तारा, चंद्रमा और बृहस्पति जैसी जटिलता को सुलझाने के लिए यह कहानी मार्गदर्शन बन जाए।
पौराणिक कथाओं में छुपे जीवन के सूत्र - यही है भारतीय संस्कृति की असली सुंदरता।
अनुभव: 27
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