By अपर्णा पाटनी
कन्या राशि में स्थित हस्त नक्षत्र का गहन ज्योतिषीय अध्ययन: करियर, व्यक्तित्व और आध्यात्मिक महत्व

नक्षत्रों की गणना में हस्त नक्षत्र तेरहवां स्थान ग्रहण करता है। कन्या राशि में स्थित यह नक्षत्र 10 अंश से लेकर 23 अंश 20 कला तक फैला हुआ है। इसका संबंध चंद्रमा से है और अधिष्ठाता देवता सवितृ हैं। इसका प्रतीक खुला हुआ हाथ है जो शक्ति, दान, कौशल और जीवन को दिशा देने की क्षमता का द्योतक है। यही हाथ वस्तुओं को आकार देते हैं, यही हाथ आशीर्वाद प्रदान करते हैं और यही हाथ जीवन में कर्मों को मूर्त रूप देते हैं।
चंद्रमा के स्वामित्व के कारण इस नक्षत्र में भावनाओं की गहराई, लचीलापन और मानसिक उतार-चढ़ाव की झलक मिलती है। वहीं कन्या राशि इसे तर्कशीलता, अनुशासन और कार्य में सूक्ष्म दृष्टि प्रदान करती है। इस प्रकार यह एक ऐसा नक्षत्र है जो भावनाओं और तर्क दोनों का संतुलन करता है।
हस्त नक्षत्र के जातकों की सबसे बड़ी विशेषता उनकी हाथों से कार्य करने की विलक्षण क्षमता है। चाहे वह कला हो, शिल्प हो, चिकित्सा हो या लेखन, वे अपनी रचनात्मकता से विशेष पहचान बना लेते हैं।
इनकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
कुछ जातक आत्मालोचना करने में अधिक प्रवृत्त होते हैं। इस कारण वे कभी-कभी स्वयं से असंतुष्ट रहते हैं। दूसरों से भी अधिक अपेक्षा रखने के कारण निराशा उत्पन्न हो सकती है।
हस्त नक्षत्र जातकों का व्यक्तित्व आकर्षक और जीवंत होता है। इन्हें देखकर उनमें जोश और जीवन्तता का भाव स्पष्ट झलकता है। इनकी आँखें स्वस्थ और चमकदार होती हैं। हाथ और हावभाव इनके विशेष अंग माने जाते हैं क्योंकि यह हर कार्य को प्रभावी तरीके से कर दिखाते हैं।
स्वास्थ्य की दृष्टि से इन्हें पाचन से संबंधित समस्या हो सकती है। चंद्रमा के प्रभाव के कारण वात और कफ दोष बढ़ने की संभावना रहती है। कभी-कभी त्वचा संबंधी रोग या मानसिक तनाव भी इन्हें प्रभावित करता है। नियमित योग और ध्यान से ये परेशानियाँ कम की जा सकती हैं।
| पाद | डिग्री (कन्या) | नवांश शासक | बीजाक्षर | प्रमुख स्वभाव |
|---|---|---|---|---|
| प्रथम पाद | 10°00′-13°20′ | मेष | पु | साहसी और नेतृत्व क्षमता |
| द्वितीय पाद | 13°20′-16°40′ | वृषभ | शा | स्थिरता और कार्यनिष्ठा |
| तृतीय पाद | 16°40′-20°00′ | मिथुन | न | संवाद कौशल और चपलता |
| चतुर्थ पाद | 20°00′-23°20′ | कर्क | थ | पालन-पोषण करने वाला स्वभाव |
ये विभाजन व्यक्ति के व्यवहार, नामकरण और गुणों पर सीधा प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के लिए तीसरे पाद के जातक श्रेष्ठ वक्ता या लेखक हो सकते हैं जबकि चौथे पाद वाले ममता और करुणा से भरपूर रहते हैं।
हस्त नक्षत्र से जन्मे लोग उन क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं जहाँ सृजनशीलता और सूक्ष्म दृष्टि की आवश्यकता हो।
इन सभी क्षेत्रों में इनकी सफलता इसलिए होती है क्योंकि इनमें सेवा, कौशल और संचार एक साथ विकसित होते हैं।
हाँ, वे परिजनों और समाज दोनों के प्रिय बन जाते हैं। ये हंसमुख और करुणामयी होते हैं और बच्चों के प्रति विशेष स्नेह रखते हैं। विवाह में यह निष्ठावान और दयालु होते हैं। परंतु कभी-कभी उच्च अपेक्षाएँ मतभेद उत्पन्न कर सकती हैं।
हस्त नक्षत्र यह सिखाता है कि ईश्वर का प्रकाश हमारे कर्म के माध्यम से अभिव्यक्त होता है। यह केवल भावनाओं तक सीमित नहीं रहता बल्कि उन्हें व्यावहारिक जीवन का हिस्सा बनाता है। गायत्री मंत्र का उच्चारण, भगवान सवितृ और शिव की आराधना तथा निःस्वार्थ सेवा को श्रेष्ठ माना गया है।
कभी-कभी बालारिष्ट दोष या प्रारंभिक जीवन की कठिनाइयाँ इस नक्षत्र में दिखाई देती हैं। इसके लिए मंत्रजाप, रत्न धारण, अथवा पूजा-पाठ किये जा सकते हैं। यह नक्षत्र मूलतः शुभ माना गया है परंतु यदि ग्रह पीड़ित हो तो उपाय अनिवार्य होते हैं।
पौराणिक कथाओं में सवितृ देव की महिमा से हस्त नक्षत्र जुड़ा हुआ है। वे सूर्य के रूप में प्रकाश और ऊर्जा का संचार करते हैं। उनके द्वारा प्रदान किया गया प्रेरणा का प्रकाश व्यक्ति को कला और कर्म दोनों में आगे बढ़ाता है। कथाओं का मुख्य संदेश है कि कर्म, प्रयास और कौशल से अंधकार पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
| पाद | डिग्री (कन्या) | नवांश शासक | बीजाक्षर | प्रमुख स्वभाव |
|---|---|---|---|---|
| प्रथम पाद | 10°00′-13°20′ | मेष | पु | साहसी और नेतृत्व क्षमता |
| द्वितीय पाद | 13°20′-16°40′ | वृषभ | शा | स्थिरता और कार्यनिष्ठा |
| तृतीय पाद | 16°40′-20°00′ | मिथुन | न | संवाद कौशल और चपलता |
| चतुर्थ पाद | 20°00′-23°20′ | कर्क | थ | पालन-पोषण करने वाला स्वभाव |
हाँ, यह शुभ नक्षत्र माना जाता है और अधिकतर पाद दोषरहित होते हैं।
गायत्री मंत्र का जप, भगवान सवितृ और शिव की आराधना तथा दान पुण्य करना सबसे प्रभावी उपाय माने गए हैं।
कला, चिकित्सा, शिक्षा, लेखन और व्यापार में उनकी विशेष सफलता देखी जाती है।
वे सहृदय, हंसमुख, परोपकारी और करुणाशील होते हैं, किन्तु आत्मालोचना की प्रवृत्ति उनमें रहती है।
हाँ, इन्हें पाचन संबंधी समस्या, वातजन्य रोग अथवा मानसिक तनाव की संभावना रहती है।
अनुभव: 15
इनसे पूछें: पारिवारिक मामले, मुहूर्त
इनके क्लाइंट: म.प्र., दि.
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