By पं. नीलेश शर्मा
जानिए दशम भाव का वैदिक महत्व, करियर, कर्तव्यों, सामाजिक छवि, प्रतिष्ठा और उत्तरार्ध जीवन में इसकी भूमिका की गहराई
दशम भाव को वैदिक ज्योतिष में “कर्म स्थान”, “राज्य स्थान” या “व्यवसाय भाव” कहा जाता है। यह भाव व्यक्ति की आजीविका, पेशा, सामाजिक प्रतिष्ठा, कर्तव्यबोध और लोक-कल्याणकारी कार्यों को दर्शाता है। किसी भी जातक के जीवन की दिशा और उसकी समाज में कैसी छवि बनेगी-इसका गहन अध्ययन दशम भाव से किया जाता है। दशम भाव यह दर्शाता है कि व्यक्ति समाज में किस प्रकार अपनी पहचान बनाएगा, उसकी महत्वाकांक्षा क्या है और वह किस क्षेत्र में सबसे अधिक सफलता प्राप्त कर सकता है। यह भाव जीवन के उत्तरार्ध (मध्य और अंतिम काल) में विशेष रूप से सक्रिय रहता है।
दशम भाव एक केन्द्रीय भाव (Kendra) है और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के चतुष्टय में "अर्थ" की प्राप्ति हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह भाव जातक के जीवन में प्रभाव, प्रतिष्ठा, सफलता और समाज में छवि को दर्शाता है।
तत्त्व | विवरण |
---|---|
भाव संख्या | दशम (10वां) |
प्राकृतिक राशि | मकर (Capricorn) |
तत्त्व (Element) | पृथ्वी (Earth) |
स्वाभाविक ग्रह | शनि |
कारक ग्रह (Significators) | सूर्य, शनि, बृहस्पति, बुध |
भाव का प्रकार | केन्द्र (Kendra) + अर्थ त्रिकोण |
क्षेत्र | विवरण |
---|---|
कर्म और करियर | व्यक्ति किस प्रकार का कार्य करेगा-सरकारी नौकरी, निजी क्षेत्र, व्यवसाय, स्वतंत्र पेशा आदि-इसका निर्धारण दशम भाव से होता है। |
कर्म और करियर | जातक की नौकरी में स्थिरता, वेतन, प्रमोशन और सफलता की ऊँचाई को दशम भाव बताता है। |
कर्म और करियर | जातक की कार्यशैली-मेहनती, चतुर, धूर्त, निष्ठावान, या आलसी-दशम भाव से ज्ञात होती है। |
कर्म और करियर | यह भाव यह भी बताता है कि व्यक्ति स्थानीय स्थान पर काम करेगा या विदेश जाएगा, या घर से दूर जाकर कार्य करेगा। |
सामाजिक प्रतिष्ठा | दशम भाव जातक की सार्वजनिक छवि (Public Image), प्रतिष्ठा, सम्मान और प्रभाव को निर्धारित करता है। |
सामाजिक प्रतिष्ठा | यदि दशम भाव या दशमेश (इस भाव का स्वामी ग्रह) बलवान हो, तो जातक को समाज में मान-सम्मान, पद और प्रभाव प्राप्त होता है। |
पिता और वरिष्ठजन | दशम भाव से पिता की स्थिति, उम्र और उनके साथ संबंध का आकलन किया जाता है। |
पिता और वरिष्ठजन | जातक अपने पिता से आगे बढ़ेगा या नहीं-इसका विचार भी इसी भाव से होता है। |
प्रेरणा और महत्वाकांक्षा | जीवन के लक्ष्य, नेतृत्व क्षमता और समाज में योगदान। |
शारीरिक बल और स्वास्थ्य | शरीर की शक्ति, स्वास्थ्य और जीवनशैली। |
जीवन का उत्तरार्ध | 50 वर्ष के बाद का जीवन, उपलब्धियाँ और सामाजिक योगदान। |
जीवन का उत्तरार्ध | दशम भाव से जीवन के अंतिम चरण में व्यक्ति की स्थिति, सामाजिक योगदान और उत्तराधिकार का भी आकलन किया जाता है। |
ग्रह | शुभ प्रभाव | अशुभ प्रभाव |
---|---|---|
सूर्य | उच्च पद, नेतृत्व, सरकारी सेवा, समाज में प्रतिष्ठा | अहंकार, पिता से मतभेद, कार्य में अस्थिरता |
चंद्रमा | सामाजिक संस्थाओं में प्रमुखता, दान-पुण्य, मित्रता | भावनात्मक अस्थिरता, करियर में उतार-चढ़ाव |
मंगल | साहसी करियर, कृषि, सेना, खेल, व्यापार में सफलता | आक्रामकता, विवाद, जल्दबाजी से हानि |
बुध | व्यापार, लेखन, शिक्षा, धर्मार्थ कार्यों में सफलता | भ्रम, करियर में बार-बार परिवर्तन |
गुरु | सदाचारी, धन-सम्पन्न, शिक्षा और कृषि में लाभ | आलस्य, अवसरों का न गवाना |
शुक्र | विधि, कला, शिक्षा, न्यायिक सेवा, सामाजिक सफलता | भोग-विलास, अनावश्यक खर्च |
शनि | कठोर परिश्रम के बाद सफलता, विदेश यात्रा, तीर्थाटन | विलंब, बाधाएँ, स्वास्थ्य समस्याएँ |
राहु | तकनीकी क्षेत्र, राजनीति, असामान्य सफलता | धोखा, विवाद, अस्थिरता |
केतु | समाज सेवा, अनुसंधान, बुद्धिमत्ता, यात्रा | आत्मसंतुष्टि में कमी, करियर में अस्पष्टता |
दशम भाव व्यक्ति के कर्म, करियर और सामाजिक प्रतिष्ठा का आधार है। यह भाव जितना मजबूत और शुभ होगा, जातक को उतनी ही ऊँचाई, सफलता और समाज में सम्मान मिलेगा। इसका कमजोर या पीड़ित होना करियर में उतार-चढ़ाव, अस्थिरता और सामाजिक पहचान में बाधा का कारण बन सकता है। वैदिक ज्योतिष में दशम भाव का गहन विश्लेषण व्यक्ति को उसकी वास्तविक क्षमता, लक्ष्य और समाज में योगदान के प्रति जागरूक करता है।
अनुभव: 25
इनसे पूछें: करियर, पारिवारिक मामले, विवाह
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि.
इस लेख को परिवार और मित्रों के साथ साझा करें