By पं. नीलेश शर्मा
जानिए तृतीय भाव का वैदिक महत्व, साहस, संचार क्षमता, भाई-बहनों के संबंध और व्यक्तिगत विकास में इसकी भूमिका
वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली के प्रत्येक भाव का जीवन के किसी न किसी पक्ष से गहरा संबंध होता है। कुंडली का तृतीय भाव, जिसे "पराक्रम भाव" या "सहज भाव" भी कहा जाता है, व्यक्ति के साहस, उद्योग, परिश्रम, छोटे भाई-बहनों और संचार कौशल से संबंधित होता है।
यह भाव किसी जातक की आंतरिक शक्ति, संघर्ष करने की क्षमता, मानसिक दृढ़ता और जीवन के उतार-चढ़ाव से जूझने की हिम्मत को दर्शाता है। तृतीय भाव को भलीभांति समझना अत्यंत आवश्यक है, विशेषकर जब किसी की करियर में सफलता, लेखन क्षमता, प्रभावशाली बोलने की शैली, या व्यवसायिक संपर्कों की बात आती है।
तत्व | विवरण |
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भाव संख्या | 3 (तीसरा भाव) |
नाम | तृतीय भाव / सहज भाव / पराक्रम भाव |
काल पुरुष राशि | मिथुन (Gemini) |
तत्व (Element) | वायु (Air) |
स्वाभाविक कारक ग्रह | मंगल (Mars) |
स्वामी ग्रह (काल पुरुष के अनुसार) | बुध (Mercury) |
कारक ग्रह | मंगल (Mars) |
क्षेत्र | विवरण |
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साहस और पराक्रम | यह भाव दर्शाता है कि जातक जीवन की कठिन परिस्थितियों से किस प्रकार जूझेगा। अगर यह भाव बली हो, तो जातक निडर, आत्मविश्वासी और साहसी होता है। |
भाई-बहन और समीपस्थ संबंध | तृतीय भाव छोटे भाई-बहनों का भाव है। इससे उनकी संख्या, स्वभाव और जातक से संबंधों का पता चलता है। यदि यह भाव शुभ हो तो भाई-बहनों से सहयोग प्राप्त होता है, अन्यथा मतभेद या दूरी हो सकती है। |
संचार और बुद्धिमत्ता | इस भाव से व्यक्ति की लेखन शैली, अभिव्यक्ति की शक्ति, भाषण कला और संवाद कौशल का आंकलन किया जाता है। आज के युग में यह मीडिया, पत्रकारिता, विज्ञापन और डिजिटल संचार से जुड़ी संभावनाओं का भी प्रतिनिधि बन चुका है। |
छोटी यात्राएँ | इस भाव से देश के अंदर की छोटी यात्राओं और पड़ोसियों से संबंधों का विचार किया जाता है। यह भाव व्यापारिक यात्राओं और मानसिक लचीलापन को भी दर्शाता है। |
शारीरिक अंग | इस भाव से शरीर के अंगों जैसे हाथ, कंधे, भुजाएं, गर्दन और छाती का ऊपरी भाग देखा जाता है। यदि यह भाव पीड़ित हो तो इनमें कमजोरी या रोग की संभावना होती है। |
युवावस्था और मनोरंजन | तृतीय भाव व्यक्ति के युवाकाल, प्रारंभिक प्रयासों और उद्योग से जुड़ा होता है। यह दिखाता है कि व्यक्ति किस प्रकार अपने जीवन की शुरुआत में संघर्ष करता है और अपनी पहचान बनाता है। |
कलात्मक झुकाव और शौक | इस भाव से संगीत, कला, चित्रकारी, नृत्य और अन्य रचनात्मक गतिविधियों की रुचि देखी जाती है। यदि यहाँ शुक्र, बुध या चंद्रमा शुभ स्थिति में हों, तो जातक कलात्मक होता है। |
ग्रह | फल |
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सूर्य | आत्मविश्वासी, नेतृत्व क्षमता, लेकिन भाई से दूरी संभव |
चंद्रमा | संवेदनशील, रचनात्मक, भाई-बहनों से भावनात्मक लगाव |
मंगल | अत्यधिक साहस, सैन्य झुकाव, शारीरिक सक्रियता |
बुध | बुद्धिमत्ता, लेखन, संवाद में कुशल |
गुरु | धार्मिक प्रवृत्ति, भाई-बहनों से ज्ञान की साझेदारी |
शुक्र | कला और सौंदर्य में रुचि, अच्छे संबंध |
शनि | संघर्षपूर्ण संबंध, धीरे परंतु स्थिर प्रयास |
राहु/केतु | भ्रमित साहस, अस्थिरता या छिपे उद्देश्य |
कुंडली का तीसरा भाव व्यक्ति के साहस, संचार कौशल और पारिवारिक संबंधों की नींव है। यह भाव जितना मजबूत होगा, जातक उतना ही प्रतिस्पर्धी, समाज में सक्रिय और अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित होगा। वहीं, इसका कमजोर होना जीवन में अस्थिरता और चुनौतियों को बढ़ा सकता है। वैदिक ज्योतिष में इस भाव का विस्तृत विश्लेषण व्यक्ति को उसकी कमजोरियों और शक्तियों से अवगत कराकर सही मार्गदर्शन प्रदान करता है।
अनुभव: 25
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