By पं. अभिषेक शर्मा
राशियों की उत्पत्ति, विकास और सांस्कृतिक यात्रा का विस्तारपूर्ण पाठ
ज्योतिष शास्त्र में कुल 12 राशियों का वर्णन किया गया है। प्रत्येक राशि की अपनी विशेषताएं होती हैं - जैसे कि उसकी ताकत, कमजोरियाँ, स्वभाव और जीवन के प्रति नज़रिया। ये राशियाँ बारह नक्षत्रों के आधार पर बनती हैं और इन्हें बारह भागों में बाँटा गया है: मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन। हर राशि का एक विशिष्ट प्रतीक चिन्ह भी होता है, जो उस राशि के स्वभाव और गुणों का प्रतिनिधित्व करता है। इस लेख में हमारा प्रयास है इन चिन्हों के इतिहास और विकास की यात्रा के बारे में बताने का।
ज्योतिष की परंपरा की शुरुआत दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में प्राचीन मेसोपोटामिया से मानी जाती है। बेबीलोन में सितारों और ग्रहों का उपयोग देवी-देवताओं की ओर से मिलने वाले संकेतों की व्याख्या के लिए किया जाता था। कई इतिहासकारों के शोध से मिलती है।
हालांकि, इन संकेतों को समझने का अधिकार हर किसी को नहीं था। केवल विशेष रूप से प्रशिक्षित बेबीलोनियन पुरोहितों को ही यह जिम्मेदारी दी जाती थी कि वे आकाशीय घटनाओं के आधार पर राज्य और राजा पर पड़ने वाले प्रभावों की भविष्यवाणी करें। इसका प्रमाण हमें “एनुमा अनु एनलिल” नामक ग्रंथ से मिलता है, जिसमें लगभग 7,000 खगोलीय संकेतों को 70 कीलाक्षर पट्टिकाओं (क्यूनीफॉर्म टेबलेट) पर लिखा गया है।
बेबीलोनियों ने 12 राशियों की एक प्रणाली विकसित की थी, जिनमें से कई को बाद में पश्चिमी ज्योतिष में शामिल कर लिया गया। लेकिन इन राशियों को तारामंडलों के नाम देकर और सूर्य की कक्षा के आधार पर विशिष्ट तिथियों से जोड़ने का कार्य प्राचीन यूनानियों ने किया। उन्हीं के द्वारा जिन 12 राशियों के नाम दिए गए, वे हैं: मेष (एरीज़), वृषभ (टॉरस), मिथुन (जैमिनी), कर्क (कैंसर), सिंह (लियो), कन्या (वर्गो), तुला (लिब्रा), वृश्चिक (स्कॉर्पियस), धनु (सैजिटेरियस), मकर (कैप्रीकॉर्नस), कुंभ (एक्वेरियस) और मीन (पाइसेज़)।
जोडिएक (Zodiac) शब्द भी यूनानी भाषा से लिया गया है-ज़ोडिअकोस कईकलोज़ (zōdiakos kyklos), जिसका अर्थ है "पशुओं का चक्र"।
हालांकि बेबीलोनवासियों ने सबसे पहले राशियों की संरचना की, लेकिन बाद में यूनानियों ने इन राशियों को नाम दिए और उन्हें अपने पौराणिक पात्रों से जोड़ा। यूनानी और रोमन विद्वानों ने राशियों को मानवीय गुणों से जोड़कर उन्हें और अधिक व्यवस्थित और व्याख्यायित किया। आज हम राशियों के जो स्वभाव या व्यक्तित्व-विशेषताएँ पढ़ते हैं, वे इसी यूनानी-रोमन सोच पर आधारित हैं।
ज्योतिष आज भी दुनियाभर में एक सांस्कृतिक परंपरा, आत्मनिरीक्षण का माध्यम और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के रूप में गहराई से जुड़ा हुआ है। यह केवल ग्रहों की स्थिति के आधार पर भविष्य जानने की कोशिश नहीं है, बल्कि बहुत से लोगों के लिए यह स्वयं को समझने, अपनी प्रवृत्तियों और व्यवहार को पहचानने का एक तरीका बन चुका है।
कुछ लोग इसे महज मनोरंजन मानते हैं, तो कुछ इसे अपने जीवन के अहम फैसलों में मार्गदर्शक मानते हैं - जैसे विवाह, करियर, या स्वास्थ्य से जुड़े निर्णय। कई बार लोग कठिन समय में ज्योतिष की ओर इसलिए भी आकर्षित होते हैं क्योंकि यह उन्हें नियंत्रण और उम्मीद का एक भाव देता है।
वैज्ञानिक समुदाय के बीच इसकी मान्यता सीमित हो सकती है, लेकिन यह नकारा नहीं जा सकता कि ज्योतिष का सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव आज भी बहुत व्यापक है। यह इंसानों की उस पुरानी प्रवृत्ति को दर्शाता है, जिसमें वे अपने जीवन और ब्रह्मांड के बीच कोई गहरा संबंध खोजते रहे हैं - और शायद हमेशा खोजते रहेंगे।
इतिहास में राशियों के कई रूप रहे हैं।
इन सभी परिवर्तनों के बावजूद, राशियों की मूल अवधारणा-सूर्य की गति के आधार पर व्यक्तित्व और भविष्य का आकलन-आज भी ज्योतिष के केंद्र में बनी हुई है।
राशियाँ हजारों वर्षों की खगोलीय, सांस्कृतिक और दार्शनिक सोच का परिणाम हैं। ये सिर्फ एक प्राचीन प्रणाली नहीं, बल्कि एक ऐसी परंपरा हैं जो आज भी लोगों की पहचान, सोच और विश्वास का हिस्सा बनी हुई हैं।
अनुभव: 19
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