By पं. नीलेश शर्मा
वैदिक ज्योतिष में खगोलीय गणनाओं और ग्रहों की स्थितियों का वैज्ञानिक अध्ययन
गोल खंड या खगोलीय ज्योतिष भारतीय ज्योतिष के उस आधारस्तंभ को कहते हैं जो आकाशीय गोलक, ग्रहों की गति, तारामंडलों की स्थिति और खगोलीय गणनाओं की वैज्ञानिक प्रणाली से संबंधित होता है। यह ‘सिद्धांत स्कंध’ का मुख्य अंग है।
संस्कृत में “गोल” का सामान्य अर्थ है “गोलाई” या “गोलाकार संरचना”। खगोल का शाब्दिक अर्थ है "आकाशीय गोला"। “गोल” ज्योतिष के उस विभाग का नाम है जो खगोलीय गोलक और ग्रहों की गतियों के सिद्धांतों को समझने और गणना करने का कार्य करता है।
गोल को आधुनिक खगोल विज्ञान का प्राचीन वैदिक समकक्ष माना जा सकता है। इसमें पृथ्वी के दृष्टिकोण से ग्रहों, नक्षत्रों और सूर्य-चंद्र आदि की स्थिति, गति और परिभ्रमण की गणनाएं होती हैं।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र को तीन मुख्य स्कंधों (शाखाओं) में बांटा गया है:
गोल सिद्धांत स्कंध का सबसे वैज्ञानिक व गणनात्मक अंग है। इसका कार्य केवल ग्रहों की स्थिति जानना नहीं, बल्कि काल की सटीक गणना करना है जिससे जातक, मुहूर्त या संहिता में उपयोग योग्य डेटा तैयार होता है।
गोल खंड में निम्नलिखित प्रमुख विषयों का अध्ययन होता है:
प्राचीनतम खगोलिक ग्रंथ। इसमें ग्रहों की गति, कक्षा, पृथ्वी की स्थिति और समय की गणना को वैज्ञानिक रूप से बताया गया है।
आर्यभट द्वारा रचित यह ग्रंथ खगोल गणना का मील का पत्थर है। इसमें गोल के साथ त्रिकोणमिति, कालमापन, एवं ग्रहगति के सूत्र हैं।
पांच प्रमुख सिद्धांतों का समन्वय - सूर्य सिद्धांत, रोमक सिद्धांत, वासिष्ठ सिद्धांत, पौलिश सिद्धांत, पितामह सिद्धांत - गोल के अध्ययन का समग्र रूप है।
गोल खंड आधुनिक खगोलशास्त्र का पूर्वज है। अंतर यही है कि आधुनिक खगोल विज्ञान विशुद्ध भौतिक विज्ञान है जबकि वैदिक गोल आध्यात्मिक दृष्टि से भी ग्रहों की गति का महत्व बताता है - यह केवल भौगोलिक नहीं, भाग्यगामी भी है।
भारतीय गोल खंड ने त्रिकोणमिति, गणित, स्फुटफल निर्धारण, चंद्र-सौर गतियों और पूर्वानुमान की अद्भुत तकनीकें दीं जो आज भी वैज्ञानिक आश्चर्य का विषय हैं।
कार्य | गोल खंड से सम्बंध |
---|---|
जन्मकुंडली बनाना | लग्न व ग्रह स्थिति की सटीक गणना |
मुहूर्त निर्धारण | दिन, तिथि, योग, करण की वैज्ञानिक स्थापना |
ग्रहण पूर्व सूचना | ग्रहण तिथि व समय की सटीक गणना |
पंचांग निर्माण | कालचक्र के समस्त तत्वों की प्रस्तुति |
गोचर अध्ययन | वर्त्तमान ग्रह स्थिति के निर्धारण हेतु |
गोल खंड न केवल भारतीय ज्योतिष शास्त्र की रीढ़ है, बल्कि वैदिक विज्ञान और गणित का गौरवशाली प्रमाण भी है। यह सिद्ध करता है कि भारत ने न केवल भाग्य की व्याख्या की, बल्कि उसे समझने के लिए एक सुव्यवस्थित खगोलीय ढांचा भी प्रस्तुत किया। आज के वैज्ञानिक युग में भी यदि पंचांग सही चाहिए, ग्रहणों की सटीकता चाहिए, तो “गोल” के बिना कोई ज्योतिष कार्य संभव नहीं। अतः गोल खगोल विज्ञान और अध्यात्म का संगम है।
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