By पं. अमिताभ शर्मा
धर्म से लेकर चिकित्सा तक: ज्योतिष का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
ज्योतिष केवल ग्रह-नक्षत्रों की गणना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी प्रणाली है जिसने हजारों वर्षों से मानव सभ्यता के हर पहलू को छुआ है। धर्म से लेकर चिकित्सा तक, पौराणिक कथाओं से लेकर विज्ञान तक-ज्योतिष ने न केवल विश्वासों को आकार दिया, बल्कि व्यवहार, परंपराओं और ज्ञान की संरचना को भी प्रभावित किया।
भारतीय संस्कृति में ज्योतिष को ‘वेदांग’ के रूप में मान्यता मिली है-यानी वह शाखा जो वेदों को समझने में सहायक है। वैदिक ज्योतिष न केवल जन्म से जुड़े पूर्वनिर्धारित कर्मों को समझने का माध्यम है, बल्कि यज्ञ, पूजा और धार्मिक आयोजनों की सही तिथियां जानने का भी स्रोत है।
मिस्र और बेबीलोन की सभ्यताओं में आकाशीय घटनाओं को देवताओं के संकेत माना जाता था। वहाँ के पुरोहितों को खगोलीय घटनाओं की व्याख्या करने का विशेष अधिकार था और उनका प्रभाव राज्य की नीतियों और निर्णयों तक देखा जाता था।
ईसाई परंपरा में भी ज्योतिष की छाया रही है। नए नियम ( न्यू टेस्टामेंट ) में “मेजाइ” नामक ज्योतिषियों का वर्णन आता है, जिन्होंने खगोलीय संकेतों के आधार पर यीशु के जन्म का पूर्वानुमान लगाया।
इस्लाम में कुछ विद्वान ज्योतिष को गुमराही मानते हैं, लेकिन मध्यकालीन इस्लामी दुनिया में ज्योतिष को खगोलशास्त्र, गणित और चिकित्सा के विकास के लिए इस्तेमाल किया गया। कई प्रसिद्ध मुस्लिम विद्वानों ने खगोलीय गणनाएं और राशिफल निर्माण में योगदान दिया।
ज्योतिष और पौराणिक कथाएं गहराई से जुड़ी हुई हैं। लगभग सभी सभ्यताओं की कहानियों में आकाशीय पिंडों को देवताओं, राक्षसों या पौराणिक पात्रों से जोड़ा गया है।
पौराणिक कथाएं ज्योतिष को सिर्फ भविष्यवाणी नहीं, बल्कि जीवन की गूढ़ सच्चाइयों को समझने के प्रतीकात्मक उपकरण के रूप में देखती हैं।
ज्योतिष ने न केवल धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण को आकार दिया, बल्कि सामाजिक रीति-रिवाज, जीवनशैली और सांस्कृतिक मूल्यों को भी प्रभावित किया।
हालाँकि आज ज्योतिष को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से एक "छद्म-विज्ञान" माना जाता है, लेकिन इसका ऐतिहासिक योगदान विज्ञान के विकास में अनदेखा नहीं किया जा सकता।
प्राचीन समय में ज्योतिष और चिकित्सा का आपसी संबंध बहुत गहरा था। शरीर और ब्रह्मांड के बीच तालमेल पर आधारित चिकित्सा प्रणाली को चिकित्सा ज्योतिष कहा गया।
आज भी आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में ज्योतिष के सिद्धांतों का आंशिक प्रयोग होता है।
ज्योतिष केवल एक प्राचीन भविष्यवाणी प्रणाली नहीं है - यह मानव सभ्यता के बौद्धिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विकास का हिस्सा रही है। धार्मिक विश्वासों, पौराणिक कहानियों, वैज्ञानिक खोजों और चिकित्सा विधियों में इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। ज्योतिष का ऐतिहासिक योगदान अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह आज भी मानव अनुभव, आत्मनिरीक्षण और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का एक समृद्ध स्रोत बना हुआ है।
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