By पं. अभिषेक शर्मा
जन्म समय के बिना भी प्रश्न के क्षण पर सटीक भविष्यदृष्टि की प्राचीन विधा
प्रश्न शास्त्र वैदिक ज्योतिष की एक प्राचीन शाखा है, जो बिना जन्म समय के केवल प्रश्न के क्षण पर आधारित होकर सटीक भविष्यवाणी कर सकती है। यह विद्या कर्म, संकेत और दिव्यता की अत्यंत सूक्ष्म परख करती है। .यह ज्योतिष की एक ऐसी शाखा है जिसमें किसी व्यक्ति द्वारा अचानक पूछे गए प्रश्न के समय पर आधारित होकर फलादेश किया जाता है। प्रश्न शास्त्र विशेष रूप से उन परिस्थितियों में उपयोगी होता है जहाँ जन्म विवरण उपलब्ध न हो या समय का अभाव हो। इसमें पूछे गए प्रश्न के ठीक समय पर एक कुंडली बनाई जाती है और उसी के आधार पर उत्तर प्रदान किया जाता है।
प्राचीन भारत की परंपरा में समय केवल क्षण नहीं था, वह चेतन शक्ति था। "प्रश्न शास्त्र" इसी समय की दिव्यता पर आधारित वह विद्या है जो व्यक्ति के मन में उठे किसी प्रश्न के क्षण विशेष की ग्रह स्थिति से भविष्य की संभावनाओं का उद्घाटन करती है।
प्रश्न शास्त्र में भविष्यवाणी उस समय आधारित कुंडली पर की जाती है जब व्यक्ति कोई विशेष प्रश्न पूछता है। यह विधा विशेष रूप से तब उपयोगी होती है जब जन्म कुंडली उपलब्ध नहीं होती या समय सीमित होता है। हालाँकि, कुछ ज्योतिषी प्रश्न कुंडली के साथ-साथ जन्म कुंडली और वर्ष कुंडली का भी उपयोग करते हैं, जिससे वे व्यक्ति के कर्मों की गहराई से व्याख्या कर पाते हैं।
यदि प्रश्न कुंडली का सूक्ष्मता से विश्लेषण किया जाए तो यह अत्यंत सटीक और प्रभावी भविष्यवाणी देने में सक्षम होती है। इसके लिए ज्योतिषी को पराशरी सिद्धांतों के साथ-साथ ताजिक पद्धति, योग, ग्रहों की स्थिति, डिग्री और लग्न का भी गहन ज्ञान होना आवश्यक है।
प्रश्न शास्त्र में प्रश्न पूछने वाले व्यक्ति का स्थान और प्रश्न का समय उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना कि जन्म समय। जब कोई जातक ज्योतिषी से भविष्य पूछने आता है, तो उस क्षण का काल और दैविक शक्ति का संयोग अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और यही कारण है कि जन्म कुंडली और प्रश्न कुंडली की व्याख्याएं कभी-कभी भिन्न हो सकती हैं।
प्रश्न शास्त्र वैदिक ज्योतिष की एक ऐसी शाखा है जो केवल प्रश्न पूछे जाने के समय की कुंडली बनाकर उत्तर देती है - चाहे व्यक्ति का जन्म विवरण उपलब्ध हो या न हो। यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता और उपयोगिता है।
प्रश्न कुंडली वह जन्म कुंडली है जो प्रश्न पूछे जाने के सटीक समय और स्थान के आधार पर बनाई जाती है। इसमें पूछने वाले व्यक्ति को "प्रश्नकर्ता" और उसके द्वारा पूछे गए विषय को "प्रश्न" कहा जाता है। यह कुंडली वैसी ही होती है जैसे किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली - पर फर्क यह है कि इसमें प्रश्न का क्षण ही जन्म समय होता है।
प्रश्न शास्त्र में यह मान्यता है कि जिस क्षण कोई व्यक्ति किसी जिज्ञासा को लेकर ज्योतिषी के पास आता है, वही क्षण उस प्रश्न का 'जन्म समय' है। उसी क्षण कीलग्न, चंद्रमा की स्थिति और ग्रहों का संयोजन, प्रश्न का उत्तर देने हेतु विश्लेषित किया जाता है।
इस कुंडली के लिए आवश्यक हैं:
ये तत्व 14 लक्षणों में आते हैं: सांस की प्रकृति, आरूढ़ा, दिशा, चेष्टा, वेशभूषा, शकुन, प्रश्नाक्षर, आदि।
यदि प्रश्न स्पष्ट और एकाग्रता से पूछा गया हो, समय ठीक दर्ज किया गया हो और ज्योतिषी को ताजिक व पाराशरी सिद्धांतों की गहरी समझ हो - तो प्रश्न कुंडली से अत्यंत सटीक फलादेश संभव है। यह विद्या मानसिक ऊर्जा, समय और दिव्य संकेतों के संयोग से कार्य करती है - इसलिए यह केवल गणना नहीं, एक 'संवेदनात्मक विद्या' है।
प्रश्न शास्त्र को वैदिक ज्योतिष में मान्यता प्राप्त स्थान प्राप्त है। इसके मूल स्रोत हमें प्रमुख ग्रंथों में मिलते हैं:
प्रश्न शास्त्र में 12 भावों की स्पष्ट भूमिका निर्धारित है। हर भाव किसी विशेष विषय से संबंधित होता है:
भाव | प्रतिनिधित्व |
---|---|
1 | प्रश्नकर्ता का शरीर, भावनाएँ, मस्तिष्क |
2 | धन, वाणी, कुटुंब |
3 | साहस, प्रयास, भाई |
4 | संपत्ति, माता, सुख |
5 | संतान, प्रेम, निवेश |
6 | ऋण, शत्रु, रोग |
7 | जीवनसाथी, साझेदारी |
7 | जीवनसाथी, साझेदारी |
8 | आयु, रहस्य, दुर्घटना |
9 | धर्म, भाग्य, गुरु |
10 | कार्य, व्यवसाय |
11 | लाभ, इच्छाएँ |
12 | हानि, व्यय, जेल |
उदाहरण: विवाह संबंधी प्रश्न में सप्तम भाव और सप्तमेश को देखा जाएगा; नौकरी से संबंधित प्रश्नों में दशम भाव और दशमेश।
प्रश्न शास्त्र में चंद्रमा को विशेष महत्त्व प्राप्त है:
विशेष: कभी-कभी राहु-केतु की उपस्थिति प्रश्न की गूढ़ता या भ्रम को दर्शा सकती है।
प्रश्न शास्त्र में पारंपरिक पाराशरी सिद्धांतों के अतिरिक्त ताजिक प्रणाली की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसमें मुख्यतः विशेष योगों का विचार किया जाता है जैसे:
प्राचीन ऋषियों ने संकेतों के माध्यम से प्रश्न की पुष्टि के अनेक सूत्र दिए हैं। जैसे:
प्रश्न शास्त्र वह आईना है जिसमें केवल प्रश्न ही नहीं, प्रश्नकर्ता की चेतना, नियति और समय का रहस्य झलकता है।
अनुभव: 19
इनसे पूछें: विवाह, संबंध, करियर
इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि., ओडि, उ.प्र.
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