By पं. अमिताभ शर्मा
तिथि सूची, भावार्थ, उपाय, संख्या, क्षेत्रीय विविधता व कुल-धार्मिक लाभ
वर्ष 2025 के पितृ पक्ष में एक अत्यंत शक्तिशाली ग्रह स्थिति बनने जा रही है, जिसमें मांगलिक दोष सुधारने का महान योग उपस्थित होगा। जीवन में विवाह, रिश्तों और पारिवारिक स्थिरता की तलाश कर रहे जातकों के लिए यह दो सप्ताह (7 सितंबर से 21 सितंबर) केवल पूर्वजों की पूजा और श्राद्ध तर्पण के लिए ही विशेष नहीं है बल्कि मंगल दोष जैसी समस्याओं को शांत करने के श्रेष्ठ योग वाला दुर्लभ काल भी है।
13 सितंबर को मंगल ग्रह तुला राशि में प्रवेश करता है। यह पूरे पितृ पक्ष के दौरान मांगलिक योग और वैवाहिक खगोलीय ऊर्जा में असाधारण हलचल लाता है। मंगल के इस गोचर का पितृ पक्ष जैसे पारिवारिक-कर्म और वंश-शुद्धि के समय से मिलना केवल संयोग नहीं बल्कि आशिष का अवसर है।
तिथि | पर्व | विवरण |
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7 सितंबर 2025 | पितृ पक्ष प्रारंभ | तर्पण, श्राद्ध, जप आरम्भ |
13 सितंबर 2025 | मंगल-गोचर तुला राशि | उपाय और यज्ञ श्रेष्ठ दिन |
21 सितंबर 2025 | सर्वपितृ अमावस्या | अन्तिम तर्पण, पूर्ण शांति |
एक ओर जहां इस समय पूर्वजों की आत्मा पृथ्वी पर आती है, वहीं दूसरी और मंगल अपने गोचर से संबंध, विवाह-योग, ऊर्जा एवं संघर्ष को तेज करता है। दोनों का संगम, उपायों की सफलता को कई गुना बढ़ा देता है।
मांगलिक दोष कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, द्वादश भाव में मंगल होने से बनता है। परंपरा के अनुसार, यह दोष विवाह में देरी, वैवाहिक कलह, रिश्तों में बार-बार उथल-पुथल, क्रूर बाधाएं और भावनात्मक असंतुलन देता है। कई बार जातक का दाम्पत्य जीवन स्थिर नहीं रहता।
मंगल ग्रह वीर्य, जुनून, ऊर्जा, साहस और ‘लड़ाकू वृत्ति’ का संकेतक है। इसकी उच्च ऊर्जा अनुशासन के बिना संकट में बदल सकती है। तुला में मंगल मूल्य, सहमति, साझेदारी के क्षेत्र में असंतुलन पैदा करता है; तुला प्रेम और संतुलन का भेद है, मंगल संघर्ष और प्रतियोगिता का।
कुंडली भाव | मंगल दोष प्रभाव |
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1, 4, 7, 8, 12 | वैवाहिक विलंब, कुंठा, महत्त्वाकांक्षा की तीव्रता, छोटी बात में बहस |
मनुस्मृति एवं बृहज्जातक में मंगल को भगवान कार्तिकेय, नरसिंह और महान योद्धा का प्रतीक कहा गया है। किंतु मांगलिक दोष हो तो विवाह में सन्तुलन हेतु अतिरिक्त प्रयास आवश्यक हो जाते हैं।
बरसों का शोध और अनुभव यही बताता है कि जब मंगल तुला राशि में गोचर करता है-विशेषकर पितृ पक्ष के बीच-तो वैवाहिक विवाद, कुंठा, कर्ज, वशीकरण तथा विवाह योग्य वाधाएं एक साथ प्रबल होती हैं, परंतु उपाय करने पर इन्हें शमन भी उसी गति से प्राप्त होता है। तिथि का मेल और ज्योतिषीय योग यह सिद्ध करते हैं कि 'कर्म+कर्मफल' के बीच पुरखों का अनुग्रह कर्मफल को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकता है।
मंगल आपकी राशि का स्वामी है। इस काल में मांगलिक दोष वाले जातकों को ऊर्जा नियंत्रण, प्रशंसा, धैर्य, संवाद और श्राद्ध/मंगल उपाय पर विशेष ध्यान देना चाहिए। शादीशुदा मेष जातकों को रिश्तों में सहमति और व्यावहारिकता अपनानी होगी, प्रेम को गुस्से पर प्राथमिकता दें।
कर्क जातकों के लिए घर, माता-पिता, जायदाद और पारिवारिक समन्वय प्रभावित हो सकते हैं। श्राद्ध-विधि में दूध-चावल, सफेद कपड़े, जल और तिल के साथ तर्पण करें। वाणी और स्वभाव को सकारात्मक रखें।
मंगल का आना प्रेम-संबंधों, मित्रता, दाम्पत्य जीवन में बेचैनी व टकराव ला सकता है। काली तिल के तर्पण, श्राद्ध हेतु तुलसी और लाल पुष्प, मंगलवार को उपवास, मंदिर सेवा के लाभ हैं।
छिपे विवाद, अविश्वास या गुप्त शत्रुता का योग बनता है। पुराने झगड़ों को खत्म करने के लिए ल्यागत, हनुमान-पूजा, कंबल, लोहे का दान सलाह दी जाती है। पित्र दोष के उपाय से सुशांति मिलती है।
आर्थिक उलझनें, दाम्पत्य में प्रतिकार, आत्मविश्वास की कमी हो सकती है। पितृ पक्ष में तर्पण, लाल मसूर, तिल और अन्न का दान, दक्षिण-पश्चिम में दीप जलाने से स्थिरता आएगी। संवाद के साथ-साथ आंतरिक संतुलन भी बनाना होगा।
उपाय | लाभ |
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तर्पण व श्राद्ध | पितृ दोष का शमन, पारिवारिक ऊर्जा शुद्धिकरण |
मंगल शांति मंगलवार | विवाह एवं मांगलिक समस्याओं में राहत, मानसिक शांति |
मंदिर स्नान/दीपदान | ग्रहों के शमन एवं मांगलिक दोष में कमी |
प्रश्न 1: क्या बिना श्रद्धा या सही विधि के मांगलिक शांति संभव है?
उत्तरा: उपाय का वास्तविक फल तभी मिलेगा जब साधना, भाव और विधि तीनों का समन्वय हो।
प्रश्न 2: किन राशियों को अतिरिक्त सतर्कता चाहिए?
उत्तरा: मेष, वृश्चिक, तुला, मीन और कर्क - सभी को अपने-अपने कर्म-क्षेत्र और संबंधों पर ध्यान देना चाहिए।
प्रश्न 3: क्या कठिनाइयों/विवादों के बावजूद एक ही तिथि पर दो उपाय किए जा सकते हैं?
उत्तरा: हां, श्राद्ध तर्पण के साथ मंगल remedies एक ही दिन हो सकते हैं - इससे फल तीव्र और सटीक मिलेगा।
प्रश्न 4: क्या मांगलिक दोष शांति का लाभ विवाहोत्तर जीवन पर भी पड़ता है?
उत्तरा: हां, यह उपाय केवल विवाह हेतु नहीं, संतान, स्वास्थ्य, कुल व परिवार के हित में भी श्रेष्ठ है।
प्रश्न 5: अनुष्ठान में पंडित या ज्योतिषी की भूमिका कितनी जरूरी है?
उत्तरा: साधारण उपाय स्वयं करें, किन्तु जटिल पित्र दोष या मांगलिक दोष के लिए मार्गदर्शक आवश्यक हैं।
पितृ पक्ष 2025 और मंगल गोचर का यह विलक्षण संगम, आपके गृहस्थ जीवन, मनोबल, स्वास्थ्य और कुलवृद्धि के लिए दुर्लभ अवसर है। इस विशेष काल में संस्कारित उपाय, श्रद्धा और ऊर्जा में गहन सामंजस्य से हर तरह की बाधा को भी अनुकूल बनाना संभव है।
अनुभव: 32
इनसे पूछें: जीवन, करियर, स्वास्थ्य
इनके क्लाइंट: छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश
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