By पं. अभिषेक शर्मा
नक्षत्र, बाल्यकथा, परिवार, असर, अनुभव, उपाय, FAQs

मान लीजिए पुरानी दिल्ली की गलियों में एक परिवार रहता है। उनकी दूसरी संतान का जन्म बैसाख की गर्मियों में हुआ। छठे दिन बच्चा बिना किसी बीमारी के तड़प-तड़प कर रो रहा था। दादी ने कहा, यह गंडमूल की छाया है। माँ-बाप डरे। उन्होंने डॉ. विनय बजरंगी या पंडित पवन कौशिक जैसे आधिकारिक ज्योतिषी को बुलाया। कुंडली निकली: चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण में। सबने मिलकर पूजा कराई और बच्चे को पीपल, केले व चावल दान कराया।
कुछ दिनों में राहत मिली। बच्चे की बेचैनी दूर हुई, माँ का भय कम हुआ।
यही नहीं, गंडमूल की कहानियाँ भारत के हर गांव-शहर में प्रचलित हैं-कहीं बच्चे के सिर पर तांबे का कड़ा, कहीं तिलक, पीले वस्त्र, कहीं सात दिन का व्रत।
प्रश्न यह है-क्या गंडमूल दोष वाकई इतना ताकतवर है या अंधविश्वास है? कौन-सी विद्या इसे मायने देती है? आइए, विस्तार से जानते हैं-गंडमूल दोष के खगोलीय नियम, पारिवारिक कहानियां, वैज्ञानिक संकेत, प्राचीन विधि और उपाय, ताकि आप डरने के बजाय जागरूक बन सकें।
गंडमूल दोष तब बनता है जब चंद्रमा अश्विनी, मघा, मूल (केतु के) या आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती (बुध के) नक्षत्र में होता है, विशेष रूप से पहले या अंतिम चरण में।
ये नक्षत्र 'गांठ' (संक्रांति) और 'मूल' (जड़) के चौराहे हैं। जब चंद्रमा का प्रवेश या बुझाव इन बिंदुओं पर होता है, यह दोष जातक के मन, ऊर्जा और परिवार पर असर डाल सकता है।
मिथ्या नहीं-बल्कि सांस्कृतिक अनुभवों का निचोड़ है।
ज्योतिष मानता है कि इन नक्षत्रों की संधि बिंदु पर जन्म विशेष संवेदनशीलता, बाधा व कर्मशीलता की परीक्षा देता है।
| नक्षत्र | ग्रह | संधि | खास संवेदनशीलता |
|---|---|---|---|
| अश्विनी | केतु | मेष का प्रारंभ | पिता या खुद के स्वास्थ्य में बाधा, घबराहट |
| मघा | केतु | सिंह का प्रारंभ | वंश, पिता, सम्मान संबंधी चिंता |
| मूल | केतु | धनु का प्रारंभ | पहचान का संघर्ष, परिवार में गुमनामी |
| आश्लेषा | बुध | कर्क का अंत | फेफड़े, भावनात्मक तनाव, माता से बाँह |
| ज्येष्ठा | बुध | वृश्चिक का अंत | सामाजिक विवाद, भाइयों में दूरी |
| रेवती | बुध | मीन का अंत | मानसिक उधेड़बुन, कला या करियर में उतार-चढ़ाव |
| क्षेत्र | प्रमुख प्रभाव |
|---|---|
| स्वास्थ्य | जन्म के बाद बार-बार बीमार, डॉक्टरों की न समझ में आने वाली बीमारी |
| परिवार | माँ, पिता या भाई-बहनों के साथ मनमुटाव, कलह |
| मनोदशा | डर, असुरक्षा, आत्मसंदेह, भावनाओं में उतार-चढ़ाव |
| करियर | बार-बार चांस हाथ से जाना, नकारात्मक सोच |
| समाज | अलगाव, बार-बार आरोप, असंघटित जिंदगी |
आधुनिक शोध यह मानता है कि बचपन की बीमारी, अचानक डर, मनोविकृति, डेप्रेशन, या भावनात्मक उधेड़बुन का कारण बचपन के खगोलीय पैटर्न भी हो सकते हैं।
गंडमूल नक्षत्रों में चंद्रमा मन का दर्पण होता है-माता या परिवार के साथ ऊर्जा-विचलन बच्चे में बहुत जल्दी दिखता है।
क्या यह अभिशाप है? नहीं, यह चेतावनी है कि ऐसे बच्चे पर सकारात्मक ध्यान, प्यार, चिकित्सा और आध्यात्मिक देखभाल होनी चाहिए।
काशी के एक ब्राह्मण परिवार का पहला बेटा कई बार बीमार हुआ, पढ़ाई कभी जमकर नहीं हुई। दादी ने गंडमूल शांति करवाई। छह सप्ताह बाद बेटा स्वस्थ, स्कूल में आगे, मंदिर का पुजारी बना।
उनके जीवन का ध्येय-कष्ट को कर्म और सेवा में तब्दील करना।
रेवती नक्षत्र में जन्मी बालिका का गला बार-बार बैठ जाता, लेकिन शांति पूजा और नियमित संगीत साधना से न केवल उसका स्वास्थ्य सुधरा बल्कि उसने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता जीत ली। उसके शिक्षक हमेशा कहते, यही है 'गंडमूल' की असली सीख-रुकावट को अवसर बनाओ।
दिल्ली के एक हाई-प्रोफाइल परिवार ने देखा, बेटा स्कूल से भागता है, दोस्ती में उलझता है, डरता है। मनोवैज्ञानिक और ज्योतिषी, दोनों ने सलाह दी-योग, संगीत, बाल चिकित्सक के अलावा, गंडमूल दोष शांति पूजा और शुक्रवार को दान। दस महीने में बालक ने खुद-ब-खुद आत्मविश्वास और मन की स्थिरता पाई।
| नक्षत्र | चरण | प्रभाव |
|---|---|---|
| अश्विनी | 1 | पिता को स्वास्थ्य परेशानी |
| अश्विनी | 2 | घर में धन-संपत्ति |
| अश्विनी | 3 | सामाजिक प्रतिष्ठा, ऊँचा पद |
| अश्विनी | 4 | पारिवारिक शांति |
| ... | ... | ... |
(हर नक्षत्र के हर चरण का अलग महत्व है-इसलिए पूरी कुंडली, ग्रहों की दृष्टि और दशा समीक्षाएं आवश्यक हैं।)
नहीं, कुंडली के अन्य शुभ योग, ग्रहों की स्थिति, परिवार की सेवा और समय पर उपाय करने से गंभीरता का स्तर कम हो जाता है।
मनोवैज्ञानिक संकेत-चाइल्डहुड इमोशनल स्टेबिलिटी, न्यूरल पैटर्न-ऐसे मामलों में ज्योतिष और चिकित्सा का संयुक्त सहयोग जरूरी है।
यदि साहस, प्रेम, वातावरण अनुकूल हो तो दोष खुद-ब-खुद निष्क्रिय भी हो सकता है, लेकिन जोखिम लेना उचित नहीं।
गंडमूल शांति पूजा, शिक्षा-दान, माता-पिता का ध्यान और सकारात्मक पारिवारिक माहौल।
कभी-कभी हाँ-परिवार का सामूहिक संतुलन, पितरों की शांति और वंश, कुल में ऊर्जा संतुलन नया जन जीवन दे सकते हैं।
गंडमूल दोष कोई अभिशाप नहीं बल्कि नव आत्म-जागृति, सेवा, अनुशासन, परिवार तथा परंपरा में वैदिक जागरूकता का संदेश है। व्यक्ति अपनी कहानी को पुनः लिख सकता है, शांति पूजा, शिक्षा, सेवा और प्रेम से जो किसी भी ग्रह दोष को शक्ति का रास्ता बना सकता है।

अनुभव: 19
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इनके क्लाइंट: छ.ग., म.प्र., दि., ओडि, उ.प्र.
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